सलीम खान ने की अक्षय की तारीफ, बताया- क्यों फ्लॉप हुई 'ट्यूबलाइट', 'जब हैरी मेट सेजल'
हाल ही में रिलीज हुई अक्षय कुमार की छोटे बजट की फिल्म 'टॉयलेट: एक प्रेम कथा' अच्छी कमाई कर रही है और लोगों ने इसे पसंद भी किया है. सलीम खान भी अक्षय की तारीफ करते नज़र आए. सलीम ने कहा कि अक्षय कुमार बॉलीवुड में अपने अंदर सबसे ज्यादा सुधार लाने वाले कलाकार है. उनका मानना है कि अक्षय अपने अंदर आमिर, अजय और सलमान से ज्यादा सुधार ला चुके हैं. आज अक्षय ऐसा अभिनेता हैं जो हर किरदार में फिट हो सकते हैं.
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View In Appबॉलीवुड में 'शोले', 'त्रिशुल' और 'दीवार' जैसी कई बड़ी सुपरहिट फिल्मों को लिखने वाले सलीम खान उन चंद लोगों में से हैं जो खुलकर हर मुद्दे पर अपनी राय रखते हैं. हाल ही में सलीम खान ने एक वेबसाइट से बातचीत करते हुए 'ट्यूबलाइट' और 'जब हैरी मेट सेजल' जैसी फिल्मों के फ्लॉप होने पर अपनी राय रखी. इसके साथ ही उन्होंने अक्षय कुमार के बारे में भी कुछ बातें कहीं जो आपको जरूर जाननी चाहिए. आगे आपको तस्वीरों के जरिए बता रहे हैं कि सलीम खान ने इस इंटरव्यू के दौरान क्या-क्या कहा....
सलीम खान का कहना है कि ''सलमान के फैन उन्हें पिटते हुए और रोते हुए नहीं देख सकते. इसी वजह से फिल्म में सलमान का किरदार यहीं कमजोर पड़ गया.''
भले ही सलमान खान उनके बेटे हैं लेकिन फिर सलीम खान उनकी फिल्मों के बारे में साफ राय रखते हैं. इस साल रिलीज हुई सलमान खान की 'ट्यूबलाइट' बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास नहीं कर पाई. इस पर उन्होंने कहा कि इस फिल्म में सलमान खान ने जो किरदार किया उसमें वो फिट नहीं बैठते.
आज की फिल्मों के गानों के बारे में सलीम ने कहा कि पहले लेखर स्क्रिप्ट की जरुरत के हिसाब से गाने लिखा करते थे लेकिन आज की फिल्मों में गाने कम और आईटम नंबर ज्यादा हैं.
बड़े सितारों की फ्लाप फिल्मों पर सलीम ने निर्देशकों को आड़े हाथों लिया. सलीम ने कहा कि डायरेक्टर फिल्मों की स्क्रिप्ट अभिनेताओँ के व्यक्तित्व के हिसाब से नहीं बनाते. बड़े सितारों के साथ ऑफ बिट फिल्म बनाने के चक्कर में वो अपनी फिल्में फ्लाप करवा बैठते है.
'ट्यूबलाइट' और 'जब हैरी मेट सेजल' जैसी बड़े सितारों की फिल्मों के फ्लाप होने पर सलीम ने कहा कि ये अच्छी फिल्में थी ही नहीं. उनका मानना है कि अच्छे लेखकों के ना होने के कारण ऐसी फिल्में बन रही है. सलीम खान के मुताबिक उनके समय में किताबें पढ़ने का चलन था और लोग एक दूसरे को अच्छी किताबों के बारे में बताया करते थे, पर अब ये चलन खत्म हो गया है.
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