भारत में कानूनी साक्षरता के लिये आवश्यक है आम नागरिकों में जागरूकता- एडवोकेट रूपांकन कमला शर्मा
दैनिक जीवन और जरूरी परिस्थितियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए कानूनी सिद्धांतों की बुनियादी समझ की आवश्यकता होती है. इसलिए आम लोगों में कानूनी बारीकियों की समझ को विकसित करना जरूरी है.
भारतीय कानून की जटिताओं के मद्देनजर आम लोगों में कानूनी बारीकियों की समझ को विकसित करना जरूरी है. कानूनों, विनियमों और न्यायिक उदाहरणों के पेचीदे जाल के कारण दैनिक जीवन और आकस्मिक परिस्थितियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए कानूनी सिद्धांतों की बुनियादी समझ की आवश्यकता होती है.
क्रिमिनोलॉजी (अपराध विज्ञान), जमानत और आपराधिक पुनरीक्षण में विशेषज्ञता हासिल करने वाले एडवोकेट रूपांकन कमला शर्मा कानूनी क्षेत्र में जागरूकता फैलाने का कार्य करते हैं. एडवोकेट रूपांकन के अनुसार, कानूनी क्षेत्र से जुड़े लोगों को व्यक्तिगत रूप से आम जनता के बीच कानून के संबंध में सामूहिक जागरूकता और शिक्षा को शामिल करने पर जोर देने के लिये आगे बढ़ना चाहिये. कानून के जानकारों द्वारा प्रस्तावित बदलावों में डिजिटल समाधान, उन्नत केस प्रबंधन प्रणाली, और ई-कोर्ट पहलों का कार्यान्वयन किया जाना है, जो कानूनी प्रक्रियाओं की विकसित हो रही प्रकृति को बल देता है. कानूनी ढांचे में होने वाले संशोधनों के संबंध में जानकारी के लिये आम लोगों के लिये लगातार जागरूकता की आवश्यकता होती है.
कानूनी पेशेवरों के सामने कानूनी जटिलता, संसाधन की कमी और तकनीकी प्रगति को अपनाने जैसी चुनौतियां हैं, जो इस पेशे की शक्तिशाली प्रकृति को भी दर्शाती हैं. कानूनी परिदृश्य में बदलाव के साथ आम आदमी को मौजूदा विषयों को समझने और उसमें सार्थक रूप से योगदान देने के लिए कानूनी शिक्षा में सक्रियता के साथ सम्मिलित होना चाहिए.
किशोर न्याय(जूवेनाइल जस्टिस) और अपराधी के कृत्य की जांच में एडवोकेट रूपांकन द्वारा किया जा रहा प्रयास इसकी गंभीरता पर प्रकाश डालता हैं जिसके लिये सार्वजनिक रूप से जागरूक होने की आवश्कता है. तब भी आम जीवन में कभी न कभी प्रभावित करने वाले कानूनी मामलों की व्यापक पहुंच के लिये साक्षरता पैदा करने के लिये मजबूत प्रयास की जरूरत है.
ऐसे ही समान परिस्थिति का सामना कर रहे व्यक्तियों के लिये कार्य करने वाले एडवोकेट रूपांकन शर्मा ने वकालत के क्षेत्र में एक उदाहरण पेश किया है. कानूनी केस को करते हुए उन्होंने लोगों को व्यक्तिगत रूप से कानून की बारीकियों की समझ पैदा करने के महत्व को समझाया है.
भारत की सुव्यवस्थित न्यायिक प्रणाली, एक लिखित संविधान और एक व्यापक कानून में निहित है, जो केस बैकलॉग, कानून प्रवर्तन मुद्दों, सामाजिक कारकों और साइबर सुरक्षा चिंताओं जैसी चुनौतियों का सामना करती है. कानूनी परिदृश्य में बदलाव के साथ इन चुनौतियों के बारे में आम आदमी की समझ बहुत जरूरी है जो क्रियाशील कानूनी प्रणाली को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण है. भारतीय कानून के बारे में आम आदमी की जागरूकता न केवल व्यक्ति को सशक्त बनाने के लिये जरूरी है, बल्कि एक मजबूत और न्यायसंगत कानूनी प्रणाली की आधारशिला भी है.
इस संबंध में चल रही कानूनी शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता, प्रस्तावित कानूनी सुधारों की समझ और कानूनी चुनौतियों से जुड़ी चर्चा में सक्रिय रूप से शामिल होना जरूरी है. एडवोकेट रूपांकन कमला शर्मा का प्रेरक प्रयास भारत में न्यायिक रूपरेखा को मजबूत करने के लिए सामूहिक रूप से जागरूक नागरिक वर्ग की आवश्यकता पर जोर देता है.
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