15 जुलाई, सूरत: जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के 11 वें अधिशास्ता युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण का सोमवार को वस्त्रनगरी डायमंड नगरी सूरत में चातुर्मासिक मंगल प्रवेश हुआ. करीब दो दशकों की प्रतीक्षा पूर्ण हुई तो सुरतवासी हर्षोल्लास से झूम उठे. वर्ष 2003 में दसवें अधिशास्ता आचार्य श्री महाप्रज्ञ ने सूरत सिटीलाइट तेरापंथ भवन में चतुर्मास किया था. गत वर्ष 2023 का अक्षय तृतीया महोत्सव परमपूज्य आचार्य श्री महाश्रमण के पावन सान्निध्य में सूरतवासियों को प्राप्त हुआ था. और इस वर्ष पूर्ण चातुर्मास प्राप्त होने से सूरतवासियों के मन में अपार हर्ष देखने को मिला. पूज्य आचार्य प्रवर ने प्रातः 7:30 पर तेरापंथ भवन सिटीलाइट से विहार किया. संयम रैली के रूप में हजारों श्रद्धालु चरम उत्साह के साथ अपने आराध्य की अगवानी कर रहे थे. करीब 4 किमी विहार कर आचार्यश्री ने पूर्व निर्धारित समयानुसार 9.41 बजे संयम विहार में प्रवेश किया. इस अवसर पर गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी सहित अनेकों गणमान्य अभिनंदन में उपस्थित थे.


सर्वप्रथम पंक्तिबद्ध साध्वियां, मध्य में आचार्य महाश्रमण और उनके पीछे संतों की पंक्तियां तदनुसार मार्ग के दोनों किनारे तथा संतों के पीछे जनता का अपार सागर लहरा उठा. बुलंद जयघोष से वातावरण गुंजायमान हो रहा था.


मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में परमपूज्य आचार्य श्री ने महावीर समवसरण में उपस्थित विशाल जनमेदिनी को प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि जैन आगम दशवें आलियं में धर्म क्या है? इसका उल्लेख हमें मिलता है . मुनि मनक के संदर्भ में श्रुत केवली स्वंयभू ने इस आगम की रचना की है . हर व्यक्ति निर्विघ्नता व मंगल खुद का भी चाहता है और अपने स्नेहिल लोगों का भी व अन्य का भी . धर्म उत्कृष्ट मंगल है . चार मंगल का हमें उल्लेख मिलता है – अर्हत मंगल, सिद्ध मंगल, साधु मंगल तथा केवली भाषित धर्म मंगल . धर्म मंगल का कारण है, पर कौनसा धर्म ? सनातन, जैन, इस्लाम, क्रियश्चन या कोई ओर . यहाँ किसी धर्म के नाम का प्रयोग व उल्लेख नहीं किया गया है . उल्लेख है केवल धर्म की गुणवत्ता का – अहिंसा, संयम व तप में सारे धर्म समाविष्ट हो जाते हैं . इन तीनों के बाद कोई धर्म शेष नहीं बचता. जिसका मन सदा धर्म में रमा रहता है – उसे देवता भी नमस्कार करते है . यहाँ मन व मन से निकले भावों व भीतर के अध्यवसायों को बड़ा महत्व दिया गया है .


परमपूज्य आचार्य प्रवर ने सूरतवासियों पर कृपा बरसाते हुए फरमाया कि आज हमारा सुरत का चातुर्मासिक प्रवेश हुआ है . भगवान महावीर नाम की यूनिवर्सिटी में चातुर्मास का यह पहला अवसर है . यूनिवर्सिटी विधा का एक मन्दिर होती है, वह धर्म का भी मन्दिर बने . भगवान महावीर हमारे आराध्य हैं और मुख्य मुनि का नाम भी महावीर ही है . चातुर्मास में धर्म साधना चलती रहे .


पूज्यप्रवर ने तेरापंथ के आद्य प्रवर्तक आचार्य भिक्षु, नवमाचार्य आचार्य तुलसी एवं आचार्य महाप्रज्ञ एवं मंत्री मुनि श्री सुमेरमलजी का पावन स्मरण किया. आचार्य प्रवर ने बहुश्रुत परिषद संयोजक मुख्य मुनि महावीरकुमार, साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभा व साध्वीवर्या संबुद्धयशा के कार्यो व सेवाओं का भी उल्लेख किया. शासनश्री मुनि श्री धर्मरूचिजी आज पूज्यप्रवर की सन्निधि में पहुंचे. मुनि श्री पारसकुमार ने 22 की तपस्या में आज पूज्यप्रवर के दर्शन किए. मुनि श्री उदितकुमार जी के बारे में पूज्यप्रवर ने बताया कि मेरे सहदीक्षित है एवं सूरत में चातुर्मास पूर्व प्रवासित तेरापंथ धर्मसंघ के साधु साध्वियों के बारे में आशीर्वचन फरमाया.


दक्षिण अफ्रीकी देश गबोन के राष्ट्रपति श्री Brice Oligui Nguema ने आचार्य श्री महाश्रमणजी को पत्र भेज कर दर्शन करने की इच्छा जताई है . गुजरात के गृह राज्य मंत्री श्री हर्ष सिंघवी एवं श्री राजेश पारीख ने गुरुदेव को पत्र भेंट किया . मुनि श्री कुमारश्रमणजी ने राष्ट्रपतिजी द्वारा प्रेषित पत्र का वाचन किया.


गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी, आचार्य श्री महाश्रमण प्रवास व्यवस्था समिति अध्यक्ष संजय सुराणा, स्वागताध्यक्ष संजय जैन ने परमपूज्य आचार्य प्रवर के स्वागत में अपनी भावनाएं अभिव्यक्त की. तेरापंथ महिला मंडल व कन्या मंडल सूरत द्वारा स्वागत गीतिका एवं सिटीलाइट ज्ञानशाला द्वारा पूज्यप्रवर के स्वागत में
विशेष प्रस्तुति दी गयी.


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