Tirumalla Edible Oil: भारत में खाद्य तेल क्षेत्र की दो मुख्य विशेषताओं ने इसके विकास की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इसकी पहली विशेषता साल 1996 में तिलहन के लिए टेक्नोलॉजी मिशन की स्थापना करना और बाद में इसका साल 2014 में तिलहन और पाम ऑइल (NMOOP) पर नेशनल मिशन में परिवर्तित होना है. इस पहल का उद्देश्य तिलहन के उत्पादन को बढ़ाना था, जो इस क्षेत्र के विकास में अहम भूमिका निभाता रहा है. 2018-19 में बीज प्रोत्साहन, प्रदर्शन और कृषि उपकरणों से जुड़ी कई योजनाओं, सह योजनाओं और कार्यक्रमों को पुनर्निर्मित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) के तहत विलय कर दिया गया, जिससे इस दिशा में सरकार के प्रयासों को और बढ़ावा मिला.


इन पहलों के चलते बीते सालों में तिलहन उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है. 1986-87 में मामूली 11.3 मिलियन टन से, तिलहन का उत्पादन 2019-20 में बढ़कर 22 मिलियन टन हो गया. गौरतलब है कि ज्यादातर तिलहनों की खेती सीमांत भूमि पर की जाती है, जो वर्षा और दूसरे जलवायु परिस्थितियों पर बहुत अधिक निर्भर करती है. तकनीकी प्रगति और कृषि पद्धतियों पर ध्यान केंद्रित करने से उत्पादन में वृद्धि हुई है और एक सफल उद्योग का मार्ग प्रशस्त हुआ है. दूसरी महत्वपूर्ण विशेषता उदारीकरण कार्यक्रम है जिसने खाद्य तिलहन और तेल उद्योग को आकार दिया है.


तिरुमला एडिबल ऑइल्स की क्या है खासियत


नियंत्रण और विनियमों में ढील के साथ, बाजार बहुत प्रतिस्पर्धात्मक हो गया है, जिसमें घरेलू और बहुराष्ट्रीय दोनों खिलाड़ी बाजार हिस्सेदारी के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं. इस परिदृश्य में तिरुमला एडिबल ऑइल्स अर्थव्यवस्था और उपभोक्ताओं की संपूर्ण भलाई में महत्वपूर्ण योगदान देते हुए एक अग्रणी खिलाड़ी के रूप में उभरा है. एक भरोसेमंद ब्रांड के रूप में तिरुमला एडिबल ऑइल्स ने उपभोक्ताओं की पसंद और उनकी विभिन्न जरूरतों को पूरा करने के लिये खुद को एक उच्च गुणवत्ता वाले खाद्य तेल प्रदाता के रूप में स्थापित किया है.


उपभोक्ताओं को सबसे अच्छा खाद्य तेल प्राप्त हों, इसे सुनिश्चित करने के लिये तिरुमला एडिबल ऑइल्स, बाजार में मजबूत पकड़ के साथ, खाद्य तेल उद्योग में अपनी पर्याप्त हिस्सेदारी रखता है. खाद्य तेलों पर आयात-निर्यात नीति, मांग और आपूर्ति के संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. खपत के तरीकों और सीमित उत्पादन के चलते भारत में खाद्य तेल की मांग और घरेलू उत्पादन के बीच के अंतर को पूरा करने के लिये आयात पर निर्भर है. देश में आवश्यक तेलों के निरंतर प्रवाह को बनाए रखने के लिये ओपन जनरल लाइसेंस (OGL) नीति के तहत खाद्य तेलों के आयात की अनुमति दी गई है. सरकार किसानों, प्रोसेसरों और उपभोक्ताओं के बीच संतुलन बनाने के लिये नियमित रूप से खाद्य तेल शुल्क संरचना की समीक्षा करती है.


'हमारा उद्देश्य बेहतर स्वास्थ्य में योगदान देना है'


तिरुमला एडिबल ऑइल्स के लिए अपनी दूरदर्शी दृष्टि रखने वाली श्रीमती अर्चना सुरेश कूटे कहती हैं कि हमारा उद्देश्य सर्वोच्च गुणवत्ता वाले खाद्य तेल प्रदान कर उपभोक्ता के खाने के स्वाद को ही नहीं बढ़ाना है बल्कि उनके बेहतर स्वास्थ्य में भी योगदान देना है. खाद्य तेल से जुड़ी अर्थव्यवस्था में अपना समर्थन देने पर हमें गर्व है और हम ग्राहकों को संतुष्ट रखने की दिशा में सर्वोच्च गुणवत्ता बनाए रखने के लिये प्रतिबद्ध हैं. 


तिरुमला एडिबल ऑइल्स, फिजिकली रिफाइंड राइस ब्रान ऑइल, रिफाइंड सनफ्लॉवर ऑइल, रिफाइंड सोयाबीन ऑइल, फ़िल्टर्ड ग्राउंडनट ऑइल, कच्ची घानी मस्टर्ड ऑइल, रिफाइंड कॉटनसीड ऑइल और रिफाइंड पामोलिन ऑइल सहित खाना पकाने के तेलों की अपनी विशाल श्रृंखला के साथ, उपभोक्ताओं की अलग-अलग मांग को पूरा करता है. इस तेल से बने व्यंजन में न केवल एक अनोखा स्वाद मिलता है बल्कि यह खाद्य तेल सर्वोच्च गुणवत्ता मानकों को भी पूरा करते हैं.


भारत में खाद्य तेल उद्योग में नयेपन को अपनाकर तिरुमला एडिबल ऑइल्स निरंतर प्रगति कर रहा है. गुणवत्ता के लिये प्रतिबद्धता, उपभोक्ता संतुष्टि और अर्थव्यवस्था में योगदानदेने के साथ, तिरुमला एडिबल ऑइल्स इस क्षेत्र में सबसे आगे टिका हुआ है, और साथ ही देश भर में अनगिनत घरों और व्यवसायों में लोगों के जीवन को खुशहाल बना रहा है.