डायरेक्ट नहीं, इनडायरेक्ट टैक्स की दरें घटाई जाएं: पी चिदंबरम
नई दिल्लीः नोटबंदी के कारण आम लोगों की परेशानी के मद्देनजर पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने शनिवार को सुझाव दिया कि अब कठिनाइयां झेल रहे लोगों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार को अप्रत्यक्ष कर यानी इनडायरेक्ट टैक्स की दरों में कमी करनी चाहिए. चिदंबरम ने कहा, "टैक्स कटौती के लिए इनडायरेक्ट टैक्स सही है. आप सर्विस टैक्स, उत्पादकर और सीमा शुल्क में कटौती कर सकते हैं. इनडायरेक्ट टैक्स में कोई भी कटौती का लाभ लाखों लोगों को मिलेगा."
उन्होंने कहा, "एक डायरेक्ट टैक्स में कटौती का फायदा बहुत कम लोगों- 25 से 50 लाख लोगों से ज्यादा लोगों को नहीं मिलेगा. अप्रत्यक्ष कर में कटौती का लाभ देश के करोड़ों लोगों को मिलेगा और अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करेगी. कांग्रेस नेता ने आगे कहा, "अब आपको इस देश के लोगों की कठिनाइयों और परेशानियों को दूर करना है." उन्होंने कहा कि नोटबंदी ने देश की आर्थिक विकास दर को कम से कम 1 फीसदी प्रभावित किया है.
उन्होंने सुझाव दिया कि मौजूदा सरकार को राजकोषीय मजबूती के रास्ते पर बने रहना चाहिए. यानी राजकोषीय घाटा 3 फीसदी के नीचे रहना चाहिए. चिदंबरम ने कहा, "चालू खाता का घाटा 1 से 1.5 फीसदी के बीच और सीपीआई महंगाई (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति) 5 फीसदी के नीचे रहना चाहिए. राजकोषीय स्थिरता बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा, "अगर आज मैं देश का वित्तमंत्री होता तो इनडायरेक्ट टैक्स में कटौती कर दी गई होती.
जानिए क्या है डायरेक्ट और इनडायरेक्ट टैक्स
भारत में मुख्य तौर पर दो तरह के टैक्स होते हैं Direct Taxes और Indirect Taxes
1. Direct Taxes यानी वो टैक्स जो सरकारें सीधे आपसे लेती हैं.
- डायरेक्ट टैक्स में सबसे पहला टैक्स है इनकम टैक्स. हर एक व्यक्ति, जिसकी आय टैक्स योग्य सीमा से ज्यादा होती है, उसे आयकर यानी इनकम टैक्स देना होता है. भारत में 2.5 लाख रुपये से ज्यादा की सालाना आय पर इनकम टैक्स देना होता है.
- भारत में दूसरा डायरेक्ट टैक्स है Capital Gains Tax. इसके तहत अगर आपकी संपत्ति, शेयर, बॉन्ड्स या महंगी वस्तुओं को बेचकर आप मुनाफा कमाते हैं तो आपको ये टैक्स सरकार को चुकाना होता है.
- तीसरा डायरेक्ट टैक्स है Securities Transaction Tax. इसके तहत स्टॉक एक्सचेंज में हर ट्रांजेक्शन पर आपको टैक्स देना होता है.
- चौथे प्रकार का डायरेक्ट टैक्स है कॉर्पोरेट टैक्स जिसके तहत देश भर की कंपनियां अपनी आय पर सरकार को टैक्स देती हैं.
2. Indirect Taxes यानी वो टैक्स जो अप्रत्यक्ष तौर पर आप सरकारों को देते हैं
- इनडायरेक्ट टैक्स के तहत वस्तुओं को बेचने पर लगने वाले टैक्स को सेल्स टैक्स कहते हैं. जिसका सीधा बोझ ग्राहक पर पड़ता है.
- ज्यादातर राज्य सरकारें वस्तुओं और सेवाओं पर Value Added Tax यानी वैट भी लगाती हैं. वैट की दर अलग-अलग राज्यों में अलग अलग है.
- सभी सेवाओं पर लगने वाले टैक्स को Service Tax कहते हैं. अभी भारत में आपको हर सेवा पर 15 फीसदी Service Tax देना पड़ता है.