5 लाख तक के गहनों की खरीदारी पर पैन ना मांगा जाए: ज्वैलरी इंडस्ट्री
नई दिल्ली: वर्ष 2016 में भारी उठापटक के दौर से गुजर चुके रत्न और आभूषण उद्योग ने बजट में सरकार से थोड़ी राहत देने का अनुरोध किया है. 5 लाख रुपये से कम के गहनों की खरीद-फरोख्त पर स्थायी खाता संख्या-परमानेंट अकाउंट नंबर (पैन) नंबर बताना अनिवार्य नहीं होना चाहिये. जेम्स एंड ज्वैलरी इंडस्ट्री ने कहा है कि 2017-18 के बजट में सोने पर आयात शुल्क भी घटाकर 5 फीसदी कर दिया जाना चाहिये.
अखिल भारतीय रत्न और आभूषण व्यापार महासंघ (जीजेएफ) ने वित्त मंत्री को सौंपे बजट पूर्व ज्ञापन में कहा है कि 5 लाख रुपये से कम के गहनों की खरीद-फरोख्त में पैन कार्ड का उल्लेख करने की अनिवार्यता नहीं होनी चाहिये. 5 लाख या इससे ज्यादा की खरीद-फरोख्त पर ही पैन कार्ड का उल्लेख किया जाना जरूरी होना चाहिये.
महासंघ के चेयरमैन नितिन खंडेलवाल ने कहा, "गहनों की 2 लाख रुपये अथवा उससे ज्यादा की खरीदारी पर पैन कार्ड अनिवार्य किये जाने से इंडस्ट्री के सामने गंभीर संकट खड़ा हुआ है. रत्न और आभूषण का संगठित इंडस्ट्री जो कि हर साल 2 फीसदी की दर से बढ़ रहा है इस नियम की वजह से सीधे प्रभावित हुआ है. हम सरकार से निवेदन करते हैं कि इस सीमा को पहले की तरह बढ़ाकर 5 लाख अथवा उससे ज्यादा की खरीद फरोख्त पर रखा जाये.’’ महासंघ ने यह भी कहा है कि सोने के इंपोर्ट पर इंपोर्ट ड्यूटी को मौजूदा 10 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी किया जाना चाहिये. उन्होंने कहा, ‘‘सोने पर 10 फीसदी की ऊंची इंपोर्ट ड्यूटी से जेम्स एंड ज्वैलरी इंडस्ट्रि पर निगेटिव असर पड़ रहा है. इसकी वजह से एक समानांतर अर्थव्यवस्था यानी पैरेलल इकोनॉमी खड़ी हो रही है और सोने की तस्करी बढ़ रही है. इसका घरेलू रिटेल और मैन्यूफैक्चरिंग इंडस्ट्री पर भी बुरा असर पड़ रहा है. इंपोर्ट ड्यूटी को घटाकर 5 फीसदी पर लाने से 2 नंबर के बाजार की तरफ रुख कम होगा.
जीजेएफ ने वस्तु और सेवाकर (जीएसटी) के तहत रत्न और आभूषण क्षेत्र के लिये 1.25 फीसदी की दर रखे जाने की सिफारिश की है. इस दर पर जीएसटी लगाने से इंडस्ट्री संगठित क्षेत्र की तरफ बढ़ेगा. खंडेलवाल ने यह भी कहा कि ज्वैलर्स को भी उनकी दुकानों पर अशोक चक्र वाले सोने के सिक्के बेचने की मंजूरी दी जानी चाहिये. अशोक चक्र वाले सोने के सिक्के की शुरुआत प्रधानमंत्री ने की है. उन्होंने कहा कि ऐसा करने से इन सिक्कों को दूरदराज इलाकों तक पहुंचाया जा सकेगा और उनकी बिक्री भी बढ़ेगी.
इस बीच विश्व स्वर्ण परिषद-वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) ने कहा है कि नोटबंदी की वजह से भारत में सोने की मांग छोटी अवधि के लिये प्रभावित हुई है लेकिन लंबी अवधि के लिए संभावनायें बेहतर बनी हुई हैं. साल 2020 तक सोने की औसत खपत 850 से 950 टन सालाना के दायरे में रहेगी.
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल ने कहा है कि इस दौरान मुख्य मांग सोने के गहनों की होगी फिर भी 2020 तक सोने की छड़ों और सिक्के में 250 से 300 टन का निवेश होने की उम्मीद है. इस दौरान आभूषण निर्यात मौजूदा 8.6 अरब डालर से बढ़ाकर 40 अरब डालर तक पहुंचने का अनुमान है.