नई दिल्ली: एनडीए सरकार के चौथे बजट दस्तावेज में कुछ चीजें पहली बार होंगी. स्वतंत्र देश के बजट के इतिहास में पहली बार होगा जब रेल बजट और आम बजट एक साथ आएंगे. हालांकि वित्त मंत्री अरुण जेटली के लिए और भी काफी नई चीजें होंगी.


बजट 2017-18 में पहली बार सरकार के खर्चे को प्‍लान और नॉन प्‍लान कैटेगरी में नहीं रखा जाएगा.


यानी वित्त मंत्रालय ने बजट में योजना और गैर-योजना आवंटन का वर्गीकरण खत्म कर सरकारी योजनाओं पर एकसमान रूप से पैसा खर्च करने का फैसला किया है. सरकारी खर्चों के नए क्‍लासिफिकेशन से सालाना आधार पर तुलना करने में मदद मिलेगी. सूत्रों के अनुसार मुताबिक सरकार ने बजटीय वर्गीकरण में योजनागत व्यय और गैर-योजना व्यय के विलय का फैसला किया है. इसका मकसद सरकारी योजनाओं के तहत सृजित पूंजीगत ढांचे को चलाने और रखरखाव के लिये पर्याप्त पैसा मुहैया कराना है. इसकी बजाय रेवेन्‍यू एक्‍सपेंडिचर और कैपिटल एक्‍सपेंडिचर में सरकारी खर्च को बांटा जाएगा.


योजना आयोग भारत की इकोनॉमी का 5 साल के लिए खाका तैयार करता था जिसे योजना अवधि के नाम से जाना जाता था. इसी के लिए प्‍लान और नॉन प्‍लान एक्सपेंडिर का क्‍लासिफिकेशन किया गया था. मौजूदा 12वीं योजना आखिरी पंचवर्षीय योजना जो 31 मार्च 2017 को खत्म हो रही है. मोदी सरकार पहले ही योजना आयोग की जगह नीति आयोग का गठन कर चुका है. इस प्रकार, आर्थिक विकास को मजबूती प्रदान करने के लिये नया जोर दिया गया है और इसके बाद इस तरह के खर्चों के वर्गीकरण की जरूरत खत्म हो गई है.


विभिन्न मंत्रालय और विभागों के साथ-साथ राज्य सरकारों को सार्वजनिक व्यय पर वर्गीकरण के लिये पहले हीप्‍लान और नॉन प्‍लान कैटेगरी विलय के बारे में दिशानिर्देश नोट’ उपलब्ध कराया गया है. वित्त मंत्री अरूण जेटली एक फरवरी को 2017-18 का बजट इस नये वर्गीकरण को ध्यान में रुखकर पेश करेंगे.


अंतर को हटाये जाने के साथ व्यय बजट दस्तावेज के भाग दो पार्ट बी: चार श्रेणियों. सामान्य, सामाजिक, आर्थिक और अन्य. में सार्वजनिक व्यय के तहत दिखाया जाएगा.


फिलहाल ज्यादातर जोर प्लान्ड एक्सपेंडिचर पर है और योजनाओं के रखरखाव और उसके सुचारू तरीके से चलाने के लिये इस्तेमाल होने वाले नॉन-प्लान्ड एक्सपेंडिचर की उपेक्षा होती है. पहले यह लगता था कि ज्यादा प्लान्ड एक्सपेंडिच का मतलब है ज्यादा विकास और लोगों का कल्याण. यह एक गलत धारणा थी. उदाहरण के लिए स्कूल का निर्माण प्लान्ड एक्सपेंडिचर के तहत हुआ जबकि उसका रखरखाव और शिक्षकों की सैलरी नॉन प्लान्ड एक्सपेंडिचर के दायरे में आता है.