नई दिल्लीः आयकर रिटर्न भरने के लिए उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है. 31 जुलाई 2018 तक आपको आईटीआर रिटर्न भरना होगा वर्ना अबसे आपको पेनल्टी का सामना करना पड़ सकता है. हम आपको इनकम टैक्स के अलग-अलग फॉर्म भरने के तरीके सिलसिलेवार तरीके से बताएंगे. यहां पर आपको इनकम टैक्स आईटीआर (सहज) फॉर्म भरने का तरीका बताया जाएगा और. इस कड़ी का पहला भाग आईटीआर 1 फॉर्म भरने के लिए होगा.


इनकम टैक्स विभाग ने साल 2017-18 के नए इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फॉर्म 1 या सहज फॉर्म अपनी ई-फाइलिंग वेबसाइट पर अपलोड कर दिए हैं. ये वही फॉर्म है जो जो ज्यादातर सैलरीड क्लास अपना आईटीआर भरने के लिए इस्तेमाल में लाता है.


इस बार के फॉर्म पिछले साल से कुछ अलग हैं जिनमें टैक्सपेयर्स को अपनी सैलरी का ब्रेकअप देना होगा और हाउस प्रॉपर्टी से हुई आय का भी ब्यौरा देना होगा. जैसे कि आपको सैलरी पर मिलने वाले अनुलाभ, नॉन एक्सेंप्ट अलाउंस और उधार ली गई पूंजी पर दिए जाने वाले ब्याज जैसी कई बातों का जिक्र इस फॉर्म में करना होगा.


फॉर्म 16
जो टैक्सपेयर आईटीआर फॉर्म 1 (सहज) के जरिए आईटी रिटर्न भर रहे हैं उनके लिए जरूरी सारी जानकारी वो फॉर्म 16 में पा सकते हैं. फॉर्म 16 के जरिए आपको सैलरी से जुड़ी सारी डिटेल्स जैसे बेसिक, अलाउंस और सैलरी पर मिलने वाले लाभ (अनुलाभ) मिल सकते हैं. फॉर्म 16 के जरिए आपको अपनी सैलरी इनकम की सारी जानकारी मिल जाएगी तो आप इसका इस्तेमाल करते हुए आईटीआर फॉर्म 1 में सारी जानकारी सही भरें जिससे आपको इनकम टैक्स विभाग की स्क्रूटनी का सामना न करना पड़े.


सैलरी से मिली इनकम
आयकर विभाग के फॉर्म के इस खाने में सैलरी से जुड़ी कुछ जरूरी बातों का उल्लेख करना होगा. सैलरी (जिसमें सारे अलाउंस शामिल हों, अनुलाभ और सैलरी पर मिलने वाले बेनेफिट आपको बताने होंगे. वो अलाउंस जो टैक्स से छूट के दायरे में नहीं आते, अनुलाभ की वैल्यू, और सैलरी से मिलने वाले अन्य लाभ आपको इस खाने में भरने होंगे. इसके अलावा आपको वो डिडक्शन भी भरने होंगे जो आपने इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 16 के तहत क्लेम किए हों.


इसके तहत आपको निम्न तरीके से सैलरी का ब्यौरा देना होगा


सैलरी
यहां आपको अपनी सैलरी की सारी डिटेल्स, जैसे बेसिक सैलरी का ब्यौरा देना होगा. इसके अलावा ये ध्यान रखें कि इस भाग में आने वाली इन हैंड सैलरी पर पूरा टैक्स लगता है.


वो अलाउंस जो टैक्स से छूट के दायरे में नहीं आते
जैसे कि आप जानते हैं कि बेसिक सैलरी पूरी तरह टैक्सेबल है उसी तरह कुछ ऐसे अलाउंस भी हैं जिनपर टैक्स लगता है. कुछ अलाउंस एक सीमित हद तक टैक्स से छूट के दायरे में आते हैं और कुछ अलाउंस पूरी तरह टैक्सेबल होते हैं.


वित्त वर्ष 2017-18 के लिए ट्रांसपोर्ट अलाउंस 1600 रुपये प्रति महीना या 19,200 रुपये हर साल का टैक्स छूट के दायरे में आएगा. इसके ऊपर की दी गई राशि टैक्स के दायरे में आएगी. इसी तरह हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) का कुछ पार्ट आपके टैक्स के दायरे में आएगा जो इस पर निर्भर करेगा कि आपने कितना अमाउंट टैक्स के रूप में दिया है.


वहीं दूसरी तरफ आपके हाथ आने वाले कुछ अलाउंस पूरी तरह टैक्सेबल हैं. लीव ट्रेवल अलाउंस (एलटीए) कुछ मानकों के आधार पर किसी हद तक ही टैक्स छूट के दायरे में आते हैं.


अनुलाभ
अनुलाभ वो हैं जो आपको नौकरीपेश होने के चलते सैलरी के साथ मिलते हैं. आयकर विभाग ने इन्हें इस तरह परिभाषित किया है कि ये वो फायदे हैं जिन्हें एक सैलरीड व्यक्ति को अपने जॉब के साथ मिलते हैं.


इसके आगे की जानकारी आपको अगले लेख में दी जाएगी. जिसमें सैलरी से मिला हुआ प्रॉफिट, सेक्शन 16 के अंदर दिए गए डिडक्शन, हाउस प्रॉपर्टी से मिली इनकम और ली गई पूंजी पर दिए जाने वाला ब्याज भी शामिल होगा.