Higher Education Loan: केंद्र सरकार ने दिल्ली, अरुणाचल प्रदेश गोवा सहित 5 ऐसे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बारे में संसद में जानकारी दी है जिन्हें पिछले 5 साल में उच्च शिक्षा के लिए लोन नहीं मिला है. क्या इसके तहत केंद्र सरकार कुछ राज्यों और यूनियन टेरेटरी के साथ भेदभाव कर रही है? इस सवाल के जवाब में सरकार ने इस बात का खंडन किया है.


शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने दिया लिखित जवाब


शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने हालांकि कहा है कि जहां तक उच्च शिक्षा की बात है, केंद्र सरकार किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश को लोन देने में भेदभाव नहीं कर रही है. लोकसभा में एक लिखित जवाब में शिक्षा राज्यमंत्री ने ये कहा. लोकसभा में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि राज्यों को उसी आधार पर फंड आवंटन किया जाता है जिसके लिए वो सरकार के पास प्रोजेक्ट जमा कराते हैं. हालांकि संसद में पेश दस्तावेजों में दिए गए आंकड़ों के मुताबिक पिछले पांच सालों में उच्च शिक्षा को सब तक पहुंचाने, सर्व समान रूप से क्वालिटी एजूकेशन दिलाने के लिए दिल्ली, लक्ष्यद्वीप और अंडमान-निकोबार आईलैंड को कोई लोन नहीं दिया गया है.


दो स्कीमों के तहत सरकार दे रही है लोन 


सरकार ने केंद्र द्वारा प्रायोजित दो स्कीमों राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान ( RUSA) और टेक्निकल एजूकेशन क्वालिटी इंप्रूवमेंट प्रोग्राम (TEQIP)के जरिए पिछले पांच सालों में 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 4,851.05 करोड़ रुपये का फंड या लोन आवंटित किया है. राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के जरिए केंद्र सरकार उच्च शिक्षा को सब तक पहुंचाने, समान रूप से प्रसारित करने और क्वालिटी एजूकेशन दिलाने के लिए कार्यरत रहती है. वहीं टेक्निकल एजूकेशन क्वालिटी इंप्रूवमेंट प्रोग्राम के जरिए राज्य के संस्थानों में क्वालिटी टेक्निकल एजूकेशन पहुंचाने की कोशिश की जाती है.


इन राज्यों को मिली सबसे ज्यादा रकम


असम को RUSA के तहत सबसे ज्यादा 253.91 करोड़ रुपये का आवंटन मिला और उत्तर प्रदेश को TEQIP के तहत 201.79 करोड़ रुपये का आवंटन मिला है.


पूर्वोत्तर राज्यों को नहीं मिले फंड


प्रमुख पूर्वोत्तर राज्यों जैसे अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और सिक्किम को TEQIP के तहत साल 2018 से किसी भी तरह का फंड नहीं मिला है. इसके अलावा कई और केंद्र शासित प्रदेशों जैसे दादर और नगर हवेली, दमन एंड दीव, लद्दाख और लक्ष्यद्वीप को भी इस अवधि के दौरान किसी तरह का लोन नहीं मिला जिससे ये अपने यहां हायर एजूकेशन को बढ़ा सकें.


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