नई दिल्लीः सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी यानी (CMIE) ने एक अनुमान जताया है कि देश में 12.2 करोड़ लोगों को पिछले महीने अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है. सीएमआईई एक निजी संस्था है जो बेरोजगारी से जुड़े आंकड़े भी देती है और अन्य रिसर्च करती है. इसकी रिपोर्ट के मुताबिक रोजाना के कामगारों यानी दिहाड़ी मजदूरों और छोटे कारोबारियों पर इस लॉकडाउन का सबसे बुरा असर पड़ा है. हॉकर्स, सड़क किनारे रेहड़ी लगाने वाले, कंस्ट्रक्शन सेक्टर में काम करने वाले कामगारों और रिक्शा तथा हाथगाड़ी चलाने वाले लोगों पर इस लॉकडाउन की सबसे बुरी मार पड़ी है.


वहीं वर्ल्ड बैंक के आंकड़ों के मुताबिक भारत में 1.2 करोड़ लोग बहुत ही गरीबी के दायरे में फिसल गए हैं और इनके लिए आजीविका का संकट खड़ा हो गया है. वर्ल्ड बैंक ने ये भी कहा है कि दुनियाभर में 4.9 करोड़ लोग अत्याधिक गरीबी के दायरे में फिसल गए हैं और इनमें वो लोग हैं जो रोजाना 1.9 डॉलर प्रतिदिन से भी कम में गुजारा करते हैं.


कोरोना वायरस महामारी के कारण जारी लॉकडाउन का असर विश्व के लगभग सभी देशों पर देखा जा रहा है और जो वैश्विक गरीबी बढ़ रही है उसमें भारत बहुत तेजी से आगे दिख रहा है. यहां करोड़ों लोग लॉकडाउन के चलते अपनी नौकरियां गंवा चुके हैं और आगे भी ये सिलसिला जारी रहता हुआ दिख रहा है.


सीएमआईई ने कहा है कि लॉकडाउन के चलते देश में बेरोजगारी की दर 24 मई को खत्म हफ्ते के दौरान बढ़कर 24.3 फीसदी पर आ गई है. इससे पिछले हफ्ते में बेरोजगारी दर 24.01 फीसदी पर थी.


बता दें कि पूरे लॉकडाउन के दौरान बेरोजगारी की औसत दर 24 फीसदी के करीब रही है. CMIE के मुताबिक पूरे लॉकडाउन के दौरान गांवों की बेरोजगारी के मुकाबले शहरी बेरोजगारी में ज्यादा इजाफा देखा गया है.


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