Electoral Bond Scheme: 30 फेज में एसबीआई से खरीदा गया 16,518 करोड़ का चुनावी बॉन्ड, सरकार ने संसद में दी जानकारी
Electoral Bond Scheme News: चुनावी बॉन्ड के जारी करने और रिडेम्पशन पर 10.47 करोड़ रुपये सरकार ने खर्च किए हैं जो डोनर्स ने नहीं वसूला गया है.
Electoral Bond Scheme: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार 15 फरवरी 2024 को अपने ऐतिहासिक फैसले में चुनावी बॉन्ड स्कीम (Electoral Bond Scheme) को असंवैधानिक करार दिया है. पर हाल में संसद के बजट सत्र के दौरान सरकार ने बताया कि एसबीआई से 30 चरणों में कुल 16,518 करोड़ रुपये का चुनावी बॉन्ड खरीदा गया है. सरकार ने अपने जवाब में ये भी कहा कि चुनावी बॉन्ड योजना का मकसद ये सुनिश्चित करना है कि बैंकों के रास्ते टैक्स का भुगतान करने के बाद क्लीन मनी पॉलिटिकल फंडिंग में आए.
खरीदा गया 16518 करोड़ का चुनावी बॉन्ड
संसद में अंतरिम बजट पेश होने के चार दिनों के बाद ही 5 फरवरी 2024 को कांग्रेस के लोकसभा सांसद मनीष तिवारी ने प्रश्नकाल में वित्त मंत्री से सवाल किया कि अबतक कुल कितना चुनावी बॉन्ड खरीदा जा चुका है. साथ ही चुनावी बॉन्ड के खरीद पर जीएसटी या फिर टैक्स या सेस वसूलकर सरकार ने कितनी कमाई की है. इस प्रश्न का लिखित में जवाब देते हुए वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने कहा भारतीय स्टेट बैंक से कुल 30 चरणों में कुल 16,518 करोड़ रुपये का चुनावी बॉन्ड अब तक खरीदा जा चुका है. वित्त राज्यमंत्री ने कहा कि चुनावी बॉन्ड खरीदने वाले से चुनावी बॉन्ड की खरीदारी करने पर कोई जीएसटी, टैक्स या सेस नहीं वसूला जाता है.
10.47 करोड़ सरकार ने किया बॉन्ड पर खर्च
मनीष तिवारी ने सरकार से सवाल किया कि चुनावी बॉन्ड स्कीम को ऑपरेट करने और प्रिटिंग पर सरकार ने अब तक कितना रकम खर्च किया है. इस प्रश्न के जवाब में वित्त राज्यमंत्री ने कहा कि 30 चरणों में चुनावी बॉन्ड के जारी करने और रिडेम्पशन के दौरान सरकार ने एसबीआई को 8.57 करोड़ रुपये कमीशन के तौर पर भुगतान किया है. उन्होंने बताया कि सरकार ने सिक्योरिटी प्रिटिंग एंड मींटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SPMCIL) को 1.90 करोड़ रुपये का पेमेंट किया है.
चुनावी बॉन्ड का भार टैक्सपेयर्स पर क्यों?
मनीष तिवारी से सरकार से पूछा कि भारतीय स्टेट बैंक से चुनावी बॉन्ड खरीदने वाले डोनर्स को किसी भी प्रकार के सर्विस चार्ज (कमीशन) से छूट क्यों दिया गया है? इसकी जगह चुनावी बॉन्ड स्कीम की छपाई से लेकर उसपर आने वाले लागत का भार सरकार और टैक्सपेयर्स को ऊपर डालने का क्या औचित्य है? वित्त राज्यमंत्री ने इस प्रश्न के जवाब में कहा कि चुनावी बॉन्ड का उद्देश्य ये सुनिश्चित करना है कि बैंकिंग चैनल के माध्यम से राजनीतिक फंडिंग में टैक्स चुकाने के बाद स्वच्छ पैसा प्रवाहित हो. उन्होंने कहा कि चुनावी बॉन्ड स्कीम के क्लॉज 10 के तहत जिसका नोटिफिकेशन 2 जनवरी 2018 को जारी किया गया था उसके मुताबिक कोई कमीशन, या ब्रोकरेज या किसी भी प्रकार का चार्ज बॉन्ड के जारी करने पर उसे खरीदने वाले बायर से नहीं वसूला जाएगा.
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