कोविड-19 ने दुनिया भर के साथ ही भारतीय श्रम बाजार में भारी उथलपुथल मचाई है. कोरोना संक्रमण की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था को लगे झटके की वजह से लगभग एक करोड़ अस्सी लाख लोगों को 2030 तक नए काम पकड़ने होंगे. मैकिंजी ग्लोबल इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि रिटेल, फूड सर्विसेज, हॉस्पेटिलिटी और ऑफिस एडमिनिस्ट्रेशन जैसे जॉब पर इसका काफी असर होगा. इन सेक्टरों में कम वेतन पाने वाले कर्मचारियों पर इसका सबसे ज्यादा असर होगा.


दुनिया भर के श्रमिकों की आय घटी - आईएलओ 


इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 के खत्म होने के बाद भी कामकाज के तौर-तरीके में आए बदलाव आगे भी जारी रहेंगे. इनमें रिमोट वर्किंग या वर्क फ्रॉम होम शामिल है. ई-कॉमर्स और ई-इंटरेक्शन बढ़ेगा. हालांकि कम वेतन वाले कर्मचारियों पर नकारात्मक असर पड़ेगा. कोविड-19 महामारी की मार से 2020 की पहली तीन तिमाहियों में वैश्विक स्तर पर श्रमिकों की आय में 10.7 फीसदी या 3,500 अरब डॉलर की जबर्दस्त गिरावट आई है. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 की वजह से श्रम के घंटों का भारी नुकसान हुआ. इससे दुनिया भर में श्रमिकों की आमदनी में गिरावट आई है.


सबसे अधिक नुकसान निम्न-मध्यम आय वर्ग के देशों में


आईएलओ के मुताबिक सबसे अधिक नुकसान निम्न-मध्यम आय वर्ग के देशों में हुआ, जहां श्रमिकों की आय का नुकसान 15.1 फीसदी तक पहुंच गया. 2020 के पहले नौ माह में कार्य घंटों का नुकसान पहले लगाए गए अनुमान से कहीं अधिक रहा . आईएलओ ने कहा कि 2020 की चौथी तिमाही में कार्य घंटों का नुकसान पिछले साल की समान तिमाही की तुलना में 8.6 फीसदी रहने का अनुमान है, जो 24.5 करोड़ एफटीई रोजगार के बराबर है.


केयर्न एनर्जी के मामले में आर्बिट्रेशन फैसले को चुनौती देगी भारत सरकार


GST: एक हो सकता है 12 और 18% का स्लैब, जानें क्या होगा सस्ता और क्या महंगा?