Jaypee Infratech: 20 हजार घर खरीदारों को मिली राहत, जेपी इन्फ्राटेक के अधिग्रहण को NCLT ने दी मंजूरी
Jaypee Infratech: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 20,000 घर खरीदारों के लिए बड़ी खुशखबरी सामने आई है और उनके अधूरे फ्लैटों के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है.
Jaypee Infratech: कर्ज में डूबी कंपनी जेपी इन्फ्राटेक के अधिग्रहण के लिए सुरक्षा समूह की बोली को राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने कल मंजूरी दे दी. इससे नेशनल कैपिटल रीजन (एनसीआर) की विभिन्न परियोजनाओं में फ्लैट बुक कराने वाले 20,000 खरीदारों को अपना घर मिलने की उम्मीद बढ़ गई है. एनसीएलटी ने जेपी इन्फ्राटेक को खरीदने के लिए मुंबई की कंपनी सुरक्षा एआरसी (Suraksha Asset Reconstruction) के रिजॉल्यूशन प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. इससे एनसीआर में 20 हजार घर खरीदारों के फ्लैट का रुका हुआ निर्माण चालू होने का रास्ता साफ हो गया है.
सुरक्षा ग्रुप बनाएगा 20 हजार फ्लैट्स
NCLT के अध्यक्ष रामलिंगम सुधाकर की अगुवाई वाली दो सदस्यीय प्रधान बेंच ने जेपी इन्फ्राटेक लिमिटेड (जेआईएल) के अधिग्रहण के लिए सुरक्षा समूह की तरफ से लगाई गई बोली को मंजूरी दे दी. सुरक्षा ग्रुप ने कर्ज समाधान प्रक्रिया के तहत अपनी बोली लगाई थी. मुंबई-स्थित सुरक्षा समूह को जेआईएल के कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) ने जून, 2021 में अधिग्रहण की मंजूरी दी थी. सीओसी में बैंकों के अलावा घर खरीदार भी शामिल हैं. नोएडा और ग्रेटर नोएडा में स्थित अलग-अलग रेसीडेंशियल प्रोजेक्ट्स में इन खरीदारों ने फ्लैट बुक कराए थे लेकिन जेआईएल के कर्ज में फंसने से फ्लैट की सप्लाई समय पर नहीं हो पाई. एनसीएलटी के इस फैसले से जेपी इन्फ्राटेक की विभिन्न परियोजनाओं के तहत घरों की बुकिंग कराने के बाद भी सालों से इंतजार कर रहे खरीदारों को राहत मिली है. इन 20,000 घर खरीदारों को अपने फ्लैट का कब्जा मिलने की उम्मीद बढ़ गई है
सुरक्षा समूह ने चार सालों में अधूरे फ्लैट्स का कंस्ट्रक्शन पूरा करने का भरोसा दिलाया था
जेपी इन्फ्राटेक के खिलाफ दिवाला समाधान प्रक्रिया अगस्त, 2017 में शुरू हुई थी. यह उन 12 कंपनियों की सूची में थी जिनके खिलाफ दिवाला समाधान प्रक्रिया चलाने का निर्देश रिजर्व बैंक ने सबसे पहले दिया था. सुरक्षा ग्रुप ने अपने समाधान प्रस्ताव में कर्जदाता बैंकों को गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर जारी कर करीब 1,300 करोड़ रुपये और 2,500 एकड़ से अधिक जमीन देने की पेशकश की थी. इसके अलावा समूह ने चार साल में सभी अधूरे फ्लैटों का निर्माण पूरा करने का भी भरोसा दिलाया था.
NCLT ने क्या कहा
NCLT ने जेपी इन्फ्राटेक के समाधान पेशेवर की तरफ से लगाई गई अर्जी पर पिछले साल 22 नवंबर को अपना फैसला सुरक्षित रखा था. इस याचिका में कंपनी की विभिन्न लंबित परियोजनाओं के तहत 20,000 फ्लैट के निर्माण की सुरक्षा समूह को अनुमति देने की अपील की गई थी.इस पर अपना फैसला सुनाते हुए न्यायाधिकरण ने कहा, "हमारे पास सुरक्षा रियल्टी लिमिटेड और लक्षदीप इन्वेस्टमेंट्स एंड फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड की तरफ से पेश समाधान योजना को अनुमति देने के सिवाय कोई विकल्प नहीं है." इसके साथ ही न्यायाधिकरण ने यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण, आईसीआईसीआई बैंक और जेआईएल की मूल कंपनी जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (जेएएल) की तरफ से दायर आपत्तियों को खारिज कर दिया.
किसको मिलेगी कितनी रकम
एनसीएलटी ने अपने फैसले में कहा कि जेएएल की तरफ से सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा कराए गए 750 करोड़ रुपये में से जेआईएल को 542.62 करोड़ रुपये मिलेंगे जबकि 106.9 करोड़ रुपये घर खरीदारों के एक एस्क्रो खाते में जमा होंगे. जेएएल को 100.48 करोड़ रुपये ब्याज के साथ लौटा दिए जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जेएएल ने साल 2018 में रजिस्ट्री के पास कई किस्तों में 750 करोड़ रुपये जमा कराए थे. जेपी इन्फ्राटेक के कर्जदाताओं ने 9,783 करोड़ रुपये का दावा पेश किया था.
एक समिति भी बनेगी
इसके साथ ही न्यायाधिकरण ने जेआईएल की अटकी आवासीय परियोजनाओं को पूरा करने के लिए अंतरिम समाधान पेशेवर को एक निगरानी समिति बनाने को भी कहा है. यह समिति समाधान योजना को तेजी से लागू करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगी. सात दिन के भीतर इस समिति का गठन करना होगा. बेंच ने कहा कि सफल समाधान आवेदक को समाधान योजना में निर्धारित समयसीमा के भीतर फ्लैट की आपूर्ति करनी होगी. बेंच ने कहा, "निगरानी समिति अधूरी परियोजनाओं की प्रगति की दैनिक आधार पर निगरानी करेगी. समिति को मासिक आधार पर इसकी प्रगति रिपोर्ट एनसीएलएटी के समक्ष पेश करनी होगी."
लंबे समय तक अटका था जेपी इंफ्राटेक का मामला
हालांकि, दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) की धारा 12(1) के तहत कर्ज समाधान प्रक्रिया को 180 दिन के भीतर ही पूरा करने का प्रावधान है जिसे कुछ स्थितियों में 330 दिन तक बढ़ाया जा सकता है. लेकिन जेपी इन्फ्राटेक का मामला कई कानूनी विवादों में फंसने से लंबे समय तक अटका रहा.
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