भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को 2000 रुपये के नोट को चलन से वापस लेने के लिए फैसला लिया था. इसे लेकर स्टेट बैंक के चेयरमैन दिनेश कुमार खारा ने कहा कि 2000 रुपये के नोट के विड्रॉल करने के फैसले से अर्थव्यवस्था पर इसका कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) ट्रांजेक्शन इस गैप को पूरा करेगा. 


एसबीआई के चेयरमैन ने कहा कि जीडीपी का करीब 63 से 64 फीसदी यूपीआई या करेंसी को सपोर्ट करता है. वहीं यूपीआई मौजूदा समय में जीडीपी का 50 से 51 फीसदी हिस्सा कंट्रीब्यूट करता है और सिर्फ 13 फीसदी करेंसी का योगदान है. इसलिए 2016 में जारी किए गए 2000 रुपये के नोट को चलन से वापस लेने के फैसले का प्रभाव बहुत कम होगा. 


2000 रुपये का नोट बंद होने पर कितना होगा असर 


बिजनेस टूडे टीवी से खासबातचीत के दौरान एसबीआई के चेयरमैन दिनेश कुमार खारा ने कहा कि 2000 रुपये के नोट का सर्कुलेशन में योगदान करीब 50 फीसदी है. उनका कहना है कि इसे चलन से बाहर करने से 10.8 फीसदी से 11 फीसदी प्रभाव पड़ सकता है, लेकिन यूपीआई इसे पूरा कर सकता है और यह फैसला यूपीआई को और आगे बढ़ाने पर फोकस करेगा. 


बैंक ने 2000 रुपये को वापस लेने का दिया निर्देश 


केंद्रीय बैंक ने शुक्रवार को कहा कि 2000 रुपये के नोट को वापस लिए जाने का फैसला लिया गया है. हालांकि अभी 2000 रुपये के नोट लीगल टेंडर बने रहेंगे. आरबीआई ने बैंकों को भी कहा कि वे 2000 रुपये के नोटों को जारी करने से तत्काल प्रभाव से रोक दें. इसके अलावा, आरबीआई ने कहा कि 19 क्षेत्रीय ऑफिस और अन्य बैंक 23 मई से नोटों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू करें. 


एक्सचेंज करने की सुविधा 


खारा ने कहा कि यह नोट लीगल टेंडर बना रहेगा. उन्होंने कहा कि आरबीआई ने क्लियर किया है कि 2000 रुपये के नोट को किसी भी नोट के साथ बदला जा सकता है. उन्होंने 500 रुपये के नोट के शॉर्टेज पर कहा कि मुझे नहीं लगता कि ऐसा होगा. ये यूपीआई ट्रांजेक्शन से पूरा हो सकता है, क्योंकि करंट टाइम में यूपीआई से ज्यादा पेमेंट किया जा रहा है. 


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