2000 Rupee Notes: भारतीय रिजर्व बैंक ने 19 मई 2023 को अचानक एलान कर 2000 रुपये के नोटों को सर्कुलेशन से वापस लेने का एलान कर दिया. 2000 रुपये के नोटों को सर्कुलेशन में आए सात साल भी नहीं हुए थे उसे वापस ले लिया गया. लेकिन राज्यसभा में 2000 रुपये के नोटों की प्रिंटिंग और उसे नष्ट किए जाने की लागत को लेकर सरकार से सवाल पूछा गया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि जुलाई 2016 से जून 2017 और जुलाई 2017 से जून 2018 के बीच सभी डिनॉमिनेशन वाले नोट्स की प्रिंटिंग पर 12877 करोड़ रुपये की लागत आई थी. लेकिन उन्होंने बताया कि 2000 रुपये के नोटों को वापस लेने की प्रक्रिया पर जो लागत आई है उसे अलग से कैलकुलेट नहीं किया गया है. 


2000 के नोटों की छपाई-नष्ट करने पर आया कितना खर्च? 
 
राज्यसभा सांसद संदीप कुमार पाठक ने वित्त मंत्री से प्रश्नकाल में 2000 रुपये के नोटों की प्रिंटिंग और डिस्ट्रक्शन को लेकर सवाल पूछा. उन्होंने वित्त मंत्री से सवाल किया कि, 2000 रुपये के कितने नोटों की प्रिंटिंग की गई है और इन नोटों की प्रिंटिंग और उसे नष्ट करने पर कितनी लागत आई है? 


इन दोनों प्रश्नों के लिखित जवाब में वित्त मंत्री सीतारमण ने बताया, भारतीय रिजर्व बैंक के मुताबिक 2000 रुपये के डिनॉमिनेशन वाले 3702 मिलियन (370.2 करोड़) नोटों की सप्लाई की गई जिसका वैल्यू 7.40 लाख करोड़ रुपये है. वित्त मंत्री ने आरबीआई के हवाले से बताया, जुलाई 2016 से जून 2017 और जुलाई 2017 से जून 2018 के बीच सभी डिनॉमिनेशन वाले नोटों की प्रिंटिंग पर 7965 करोड़ रुपये और 4912 करोड़ रुपये की लागत आई थी. यानि नोटबंदी से चार महीने पहले और उसके बाद 20 महीने तक नोटों की छपाई पर 12877 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. आपको बता दें ये वही काल है जब 8 नवंबर 2016 को 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट वापस लेने के एलान के बाद 2000 रुपये के नोटों के साथ 500 रुपये के नए सीरीज वाले नोट, 200 रुपये और 100 रुपये, 20 रुपये, 20 रुपये और 10 रुपये के नए सीरीज वाले नोट जारी किए गए थे.  


1000 पीस की छपाई पर आया इतना खर्च!


अपने जवाब में वित्त मंत्री ने 2000 रुपये के नोटों की छपाई पर आए लागत का खुलासा भी किया है. उन्होंने बताया कि 2000 रुपये के डिनॉमिनेशन वाले 1000 पीस नोटों के छापने पर 3540 रुपये की लागत आई है. यानि एक 2000 रुपये के नोट की छपाई पर 3.54 रुपये की लागत आई थी. इस हिसाब से जोड़ें तो 3702 मिलियन नोटों की छपाई पर 1310.508 मिलियन रुपये (1310.50 करोड़ रुपये) खर्च हुए थे. वित्त मंत्री ने बताया कि 19 मई 2023 को जब 2000 रुपये नोटों को वापस लेने का एलान किया गया तब 3.56 लाख करोड़ रुपये के बैंकनोट्स सर्कुलेशन में मौजूद थे जिसमें से 30 जून, 2024 तक 3.48 लाख करोड़ रुपये के नोट बैंकिंग सिस्टम में वापस आ चुके हैं. 


किसने की नोट को लाने और वापस लेने की सिफारिश? 


वित्त मंत्री से ये भी सवाल किया गया कि, किस कमिटी की सिफारिशों के आधार पर 2000 रुपये के बैंक नोट को सर्कुलेशन में लाया गया और किस कमिटी की सिफारिशों के आधार पर सर्कुलेशन से वापस लिया गया? वित्त मंत्री से ये भी पूछा गया कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर 2000 रुपये के नोट को लाने और वापस लेने का क्या असर पड़ा है? इस प्रश्न के जवाब में वित्त मंत्री ने बताया, नवंबर 2026 में 500 और 1,000 रुपये के नोट जो कि सर्कुलेशन में मौजूद कुल नोटों के वैल्यू का 86.4 फीसदी था उसके लीगल टेंडर स्टेटस को खत्म करने के बाद अर्थव्यवस्था में करेंसी की जरूरतों को पूरा करना सबसे बड़ी प्राथमिकता थी. इसी के मद्देनजर 10 नवंबर 2016 को आरबीआई एक्ट 1934  के सेक्शन 24 (1) के तहत बारतीय रिजर्व बैंक 2000 रुपये के नोटों को सर्कुलेशन में लेकर आया. वित्त मंत्री ने बताया कि 2000 रुपये के नोटों को लाने का मसकद उस समय पूरा हो गया जब पर्याप्त संख्या में दूसरे डिनॉमिनेशन वाले नोट उपलब्ध हो गए. 


उपयोग करने लायक नहीं थे रह गए थे नोट!


वित्त मंत्री सीतारमण ने बताया कि नॉमर्ल करेंसी मैनेजमेंट ऑपरेशन के तौर पर 2000 रुपये के नोटों को वापस लेने की प्रक्रिया जारी है. दूसरे डिनॉमिनेशन वाले नोट्स नागरिकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त संख्या में उपलब्ध है. वित्त मंत्री ने बताया कि 2000 रुपये के नोट्स जो कि मार्च 2017 से पहले जारी किए गए उनके उपयोग करने के लायक की समयसीमा खत्म हो रही थी. आरबीआई के मुताबिक, लेन-देन के लिए लोग 2000 के बैंक नोटों को तरजीह भी नहीं दे रहे थे. वित्त मंत्री ने सदन को लिखित जवाब में बताया कि, इन बातों को ध्यान में रखते हुए और आरबीआई की क्लीन नोट पॉलिसी के तहत 2000 रुपये नोटों को सर्कुलेशन से वापस लेने का फैसला किया गया.   


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