GST के रेट तयः सोना होगा महंगा, कपड़े-जूते-चप्पल सस्ते
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नई दिल्लीः पूरे देश को एक बाजार बनाने वाली कर व्यवस्था यानी जीएसटी लागू होने के बाद देश के ज्यादात्तर हिस्सों में सोना महंगा हो सकता है जबकि रेडिमेट गारमेंट और जूते-चप्पल सस्ते होंगे. इसके साथ ही सरकार ने एक बार फिर साफ कर दिया कि नयी कर व्यवस्था पहली जुलाई से ही लागू होगा.
वित्त मंत्री अरुण जेटली की अगुवाई में हुई जीएसटी काउंसिल की 15 वीं बैठक में करीब आधे दर्जन सामान पर नयी कर व्यवस्था के तहत दर तय की गयी. इन सामान में सोना-चांदी के अलावा, कपड़े, जूते-चप्पल, बिस्कुट और बीड़ी मुख्य रुप से शामिल है. जीएसटी काउंसिल संविधान में फेरबदल के बाद बनाया गया एक संगठन है जिसमे केंद्र के अलावा 29 राज्यों और विधानसभा वाले दो केंद्र शासित प्रदेश (दिल्ली और पुड्डुचेरी) के प्रतिनिधि शामिल होते हैं. परिषद जीएसटी की दरों के अलावा तमाम तरह के कायदे कानून बनाने का काम करती है.
बैठक के जरिए पूजा सामग्री को लेकर चल रहे विवाद को खत्म करने की कोशिश की गयी. दरअसल काउंसिल की श्रीनगर मे हुई पिछली बैठक के बाद ये विवाद गरमा गया था कि पूजा सामग्री पर 12 फीसदी की दर से जीएसटी लगेगा. हालांकि बाद में सरकार ने साफ किया कि हवन सामग्री समेत पूजन सामग्री पर जीएसटी नहीं लगेगा, साथ ही पूजन सामग्री की परिषाभा, तय की जाएगी. शनिवार की बैठक में तय हुआ कि रुद्राक्ष, पंचद्रव्य जैसे सामग्री पूजन सामग्री के तहत आएंगे और इनपर जीएसटी की दर शून्य होगी. वैसे अगरबत्ती पर 12 फीसदी की दर से जीएसटी लगेगा और उसमें कोई फेरबदल नहीं होगा.
बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जानकारी दी कि काउंसिल की एक और बैठक 11 जून को बुलायी गयी है जिसमें विभिन्न औद्योगिक संगठनों की ओर से जीएसटी दरों को लेकर उठाए गए मुद्दों पर विस्तार से चर्चा होगी और जरुरी समाधान निकाला जाएगा. हालांकि अभी ये तय नहीं है जो दर तय किए जा चुके हैं, उनमें क्या उद्योग जगत की आपत्तियो के बाद कोई फेरबदल होगा या नहीं. ध्यान रहे कि ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री हाइब्रिड कार पर, ड्राई फ्रूड इंडस्ट्री मेवा-मसालों पर और बिल्डिंग मैटेरियल बनाने वाली इंडस्ट्री फ्लाई ऐश से बने सामान पर जीएसटी की दर घटाने की मांग कर रही है.
जेटली ने ये भी जानकारी दी कि इनपुट टैक्स क्रेडिट के मामले में काउंसिल ने ब़ड़ा फैसला किया. इनपुट टैक्स क्रेडिट का मतलब सामान तैयार करने में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल पर लगा कर, तैयार माल पर लगने वाले कर से घटा दिया जाता है. इससे एक सामान के लिए कर पर कर नहीं लगता और उपभोक्ताओं पर बोझ नहीं बढ़ता. लेकिन ये स्थिति उन्ही सामान या सेवाओं के लिए होगी जो जीएसटी के दायरे में शामिल हैं. दरअसल, उद्योग जगत का कहना था कि बगैर बिल या वाउचर की सूरत में सिर्फ 40 फीसदी की दर से ही इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलता है और इसे बढ़ाया जाना चाहिए. अब ये दर ज्यादा से ज्यादा 60 फीसदी होगी. ये सुविधा उत्तराखंड या हिमाचल प्रदेश में तैयार सामान पर भी मिलेगा जहां एक्साइज ड्यूटी से छूट मिली हुई है.
वित्त मंत्री ने एक बार साफ कर दिया कि जीएसटी लागू करने की तारीख में कोई बदलाव नहीं होगा. दरअसल पश्चिम बंगाल और कुछ उद्योग संगठनों का मानना है कि जीएसटी को लेकर तैयारियां पूरी नही है, लिहाजा पहली जुलाई की तारीख को टाल दिया जाना चाहिए. लेकिन जेटली ने कहा कि विभिन्न राज्य तारीखों में किसी तरह के बदलाव के पक्ष में नहीं है.
वहीं पैकेज्ड फूड आईटम्स जिनके ब्रांड या ट्रेडमार्क रजिस्टर्ड हों उनके ऊपर 5 फीसदी की दर से जीएटी लगाया जाएगा.
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