Survey: ज्यादा वसा, चीनी और नमक वाले पैकट बंद खाद्य पदार्थों पर 10 में से सात भारतीय “चेतावनी का निशान” दर्शाए जाने के पक्ष में हैं. एक नए सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है. सामुदायिक सोशल मीडिया मंच ‘लोकल सर्कल्स’ द्वारा किए गए अध्ययन से पता चला है कि 11,439 उपभोक्ताओं में से 31 फीसदी ऐसे पैकेट बंद उत्पादों पर “चेतावनी के लाल संकेत” के पक्ष में हैं.


जानिए लोगों की क्या है राय
वहीं 39 फीसदी ने कहा कि लाल संकेत के अलावा, “स्वस्थ उत्पादों पर एक हरा या नारंगी निशान होना चाहिए” जबकि 20 फीसदी ने कहा कि प्रत्येक उत्पाद की सामग्री के आधार पर एक स्टार रेटिंग होनी चाहिए. सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाले केवल आठ फीसदी उत्तरदाताओं ने कहा कि “उपरोक्त में से किसी की भी आवश्यकता नहीं है, पैकेट बंद खाद्य उत्पादों को बिना किसी चेतावनी या संकेत के बेचा जाना जारी रखना चाहिए.”


भारत में हर साल लगभग 58 लाख लोग एनसीडी के कारण काल के गाल में- अनुमान
पिछले दो दशकों में भारतीयों में ‘जंक फूड’ (अस्वास्थ्यकर भोज्य सामग्री), विशेष रूप से पैकेट बंद और प्रसंस्कृत खाद्य सामग्री की खपत में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है क्योंकि इनमें से अधिकांश खाद्य पदार्थों में उच्च मात्रा में चीनी या नमक और खराब वसा वाले तत्व होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप मोटापा जैसे गैर-संचारी रोग (एनसीडी) में वृद्धि के साथ-साथ मधुमेह और हृदय रोग जैसी स्थितियों में भी वृद्धि होती है. ऐसा अनुमान है कि भारत में हर साल लगभग 58 लाख लोग एनसीडी के कारण मर जाते हैं.


लोग बनें अंतर करने में सक्षम
सर्वेक्षण में कहा गया है कि इस तेजी से बढ़ती समस्या के निराकरण के लिए नियमन एक समाधान है, जो उपभोक्ताओं को प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का उपभोग करने की योजना बनाते समय विकल्प तय करने में मदद करेगा. इसमें कहा गया कि लोगों को पैकेट बंद और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों और नमक, चीनी, वसा (एचएफएसएस) की उच्च मात्रा वाले खाद्य पदार्थों के बीच अंतर करने में सक्षम होना चाहिए.


एचएसआर शुरू करने की योजना का प्रस्ताव
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने पैकेट बंद खाद्य उत्पादों के लिए हेल्थ स्टार रेटिंग (एचएसआर) शुरू करने की योजना का प्रस्ताव किया है. पांच सितारा पैमाने पर एचएसआर दर वाले खाद्य पदार्थ ऊर्जा, संतृप्त वसा, सोडियम, कुल चीनी, और प्रोटीन जैसे स्वस्थ पहलुओं और प्राकृतिक अवयवों जैसे कारकों पर आधारित होते हैं.


स्टार रेटिंग पर है आपत्ति
उपभोक्ता कार्यकर्ता समूहों और खाद्य विशेषज्ञों की आलोचना के बावजूद, नियामक ने पैकेट बंद खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों के लिए एक नयी स्टार रेटिंग प्रणाली के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया है. उपभोक्ता अधिकार कार्यकर्ता समूहों ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को पत्र लिखकर चेतावनी दी है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य से समझौता करते हुए इस तरह की प्रणाली में उद्योग द्वारा आसानी से हेरफेर किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि ‘पोषण संबंधी जानकारी’ हालांकि उत्पाद के बारे में कुछ विचार प्रदान करती है, लेकिन यह उपभोक्ताओं को एक स्वस्थ विकल्प के संबंध में मदद नहीं करती है.


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