4 Day Working Week: हफ्ते में चार दिन काम के सिस्टम को लोगों ने लिया हाथों हाथ, बताया शानदार
4 Day Working Week: हाल ही में एक देश ने अपने यहां की कुछ कंपनियों में 4 डे वर्किंग मॉडल को पायलट योजना के तहत लागू किया था जो बेहद सफल रहा है.
4 Day Working Week: ऐसा माना जाता है कि काम और पर्सनल लाइफ के बीच संतुलन बनाना बहुत जरूरी है. ऐसे में लोग बेहतर काम कर सकें इसके लिए ब्रिटेन (Britain) ने 61 बड़ी कंपनियों ने हफ्ते में केवल चार दिन काम और बाकी दिन आराम की 'पायलट योजना' की शुरुआत की थी. अब इस योजना पर कंपनियों ने अपने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह योजना पूरी तरह से सफल है. इस पायलट प्रोजेक्ट में शामिल होने वाली 61 कंपनियों में से अधिकतर ने इस वर्किंग मॉडल के पक्ष में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि उनके यहां यह बेहद सफल रहा है. ऐसे में आने वाले वक्त में वह इस 'हफ्ते में चार दिन काम' के मॉडल को जारी रखेंगे.
कब शुरू किया गया था ट्रायल?
पिछले साल एक गैर वित्तीय संस्था 'फोर डे वीक ग्लोबल' ने ब्रिटेन ने 4 दिन काम करने के मॉडल को लागू करने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट चालू किया था. इसके तहत देश की कुल 61 कंपनियों के 3,000 कर्मचारियों को उतनी ही सैलरी में 4 दिन काम करने की पेशकश की गई थी. यह ट्रायल जून से दिसंबर, 2022 तक चला है. करीब 91 फीसदी कंपनियों ने इस पायलट प्रोजेक्ट के पक्ष में प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह इस मॉडल से बेहद खुद है और आगे भी इसी पर काम करेगी.
अलग-अलग कंपनियों के नतीजे रहे बेहद स्थिर-
4 डे वर्किंग मॉडल पर शोध कर रहे मुख्य प्रोफेसर जूलियट स्कोर ने कहा कि इस मॉडल को अलग-अलग तरह के कार्यस्थलों पर लागू किया गया है, लेकिन सभी जगह पर इसके नतीजे लगभग स्थिर ही निकले हैं. बता दें कि इस पूरे प्रोजेक्ट में ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता भी शामिल थे. अपनी रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने कहा कि हफ्ते में चार दिन काम करने से लोगों को आराम करने का ज्यादा समय मिला है.
इसके साथ ही लोगों को नींद की परेशानी से भी राहत मिली है. ऐसे में यह वर्किंग मॉडल सफल रहा है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि लगभग 91 फीसदी कंपनियां भी यह चाहती हैं कि वह इस हफ्ते में चार दिन के काम को जारी रखें. वहीं कुछ कंपनियां इसे आगे जारी रखने पर विचार कर रही हैं. वहीं केवल 4 फीसदी ने ही इसे आगे जारी न रखने का फैसला किया है.
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