Government Project: रोड ट्रांसपोर्ट और हाईवे क्षेत्र में सबसे ज्यादा 460 प्रोजेक्ट लंबित हैं. इसके बाद रेलवे की 117 और पेट्रोलियम क्षेत्र में 90 प्रोजेक्ट देरी से चल रहे हैं. सरकार की एक रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है.


बुनियादी ढांचा क्षेत्र की परियोजनाओं पर जनवरी, 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक, सड़क परिवहन और राजमार्ग क्षेत्र में 749 में से 460 परियोजनाओं में देरी हो रही है. रेलवे के 173 में से 117 प्रोजेक्ट अपने समय से पीछे चल रहे हैं. वहीं पेट्रोलियम क्षेत्र की 152 में से 90 प्रोजेक्ट अपने निर्धारित समय से पीछे चल रहे हैं. अवसंरचना और परियोजना निगरानी प्रभाग (आईपीएमडी) 150 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली केंद्रीय क्षेत्र की परियोजनाओं की निगरानी करता है. आईपीएमडी, सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के अंतर्गत आता है.


कौन सा प्रोजेक्ट है सबसे पीछे 


रिपोर्ट से पता चलता है कि मुनीराबाद-महबूबनगर रेल परियोजना सबसे अधिक देरी वाली परियोजना हैं. यह अपने निर्धारित समय से 276 महीने पीछे है.


दूसरी सबसे देरी वाली परियोजना उधमपुर-श्रीनगर-बारापूला रेल परियोजना है. इसमें 247 महीने की देरी है. इसके अलावा बेलापुर-सीवुड शहरी विद्युतीकरण दोहरी लाइन परियोजना अपने निर्धारित समय से 228 महीने पीछे है. जनवरी, 2023 की रिपोर्ट में 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक की लागत वाली केंद्रीय क्षेत्र की 1,454 परियोजनाओं का ब्योरा है.


रिपोर्ट के अनुसार, 871 प्रोजेक्ट अपने मूल समय से पीछे हैं. वहीं 272 प्रोजेक्ट ऐसी हैं जिनमें पिछले माह की तुलना में विलंब की अवधि और बढ़ी है. इन 272 परियोजनाओं में से 59 विशाल यानी 1000 करोड़ रुपये से अधिक की प्रोजेक्ट हैं.


सड़क परिवहन के 749 लेट प्रोजेक्ट की लागत में हुआ इजाफा


सड़क परिवहन और राजमार्ग क्षेत्र के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि 749 प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन की मूल लागत 4,09,053.84 करोड़ रुपये थी, जिसके अब बढ़कर 4,27,518.41 करोड़ रुपये होने का अनुमान है. इस तरह इन परियोजनाओं की लागत 4.5 फीसदी बढ़ने का अनुमान है. जनवरी, 2023 तक इन परियोजनाओं पर 2,34,935.32 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, जो मूल लागत का 55 फीसदी है.


रेलवे के लेट 173 प्रोजेक्ट की लागत कितनी बढ़ी


इसी तरह रेलवे क्षेत्र में 173 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 3,72,761.45 करोड़ रुपये थी, जिसे बाद में संशोधित कर 6,26,632.52 करोड़ रुपये कर दिया गया. इस तरह इनकी लागत में 68.1 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. इन परियोजनाओं पर जनवरी, 2023 तक 3,72,172.64 करोड़ रुपये या परियोजनाओं की अनुमानित लागत का 59.4 फीसदी खर्च किया जा चुका है.


पेट्रोलियम सेक्टर की लेट प्रोजेक्ट्स की लागत कितनी बढ़ी


पेट्रोलियम सेक्टर की 152 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 3,78,090.07 करोड़ रुपये थी, लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 3,96,608.48 करोड़ रुपये कर दिया गया. इन परियोजनाओं की लागत में 4.9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. जनवरी 2023 तक इन परियोजनाओं पर 1,49,364.38 करोड़ रुपये या उनकी अनुमानित लागत का 37.7 फीसदी खर्च हो चुका है.


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