नई दिल्ली: ACMA यानी Automotive Component Manufacturers Association of India ने दावा किया है कि आने वाले समय में वाहनों के कलपुर्जा उद्योग से 10 लाख नौकरियां जा सकती हैं. उसका कारण है कि बाजार में नए वाहनों की डिमांड कम हो गई है. जिसकी वजह से वाहन बनाने वाली कंपनियों ने कलपुर्जों की डिमांड कम की है और यही कारण हैं कलपुर्जा उद्योग के प्रोडक्शन में भी 20 से 25 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. जो कि आने वाले समय में और बढ़ सकती है.
ACMA के डायरेक्टोरेट जनरल विनी मेहता ने बताया कि कलपुर्जों पर GST की दर 28 प्रतिशत है. जिसकी वजह से कलपुर्जे और वाहन दोनों ही महंगे हो रहे हैं. और यही कारण हैं कि लोग वाहन कम खरीद रहे हैं. कलपुर्जा उद्योग 50 लाख लोगों को नौकरी देता है जिसमें से 20 प्रतिशत लोगों की नौकरी अब जा सकती है. ऐसे में सरकार को इसमें पहल करनी चाहिए ताकि लोग बेरोजगार ना हों. साथ ई-वाहन की नीति को भी अब प्रोत्साहन देने का समय आ गया है. जिससे व्यापार में और बढ़ावा हो साथ ही रोज़गर के नए अवसर बनें.
और ज्यादा मंदी आई तो लोगों को निकालना पड़ेगा
कलपुर्जों की प्राइवेट कंपनी में काम करने वाले समूह से एबीपी न्यूज़ ने बात की. कंपनी में काम करने वाले प्लांट हेड ललित बताते हैं कि इस कंपनी में 3 हजार लोग काम करते हैं. अगर बाजार में लाखों लोगों की नौकरी जाती है, तो यहां भी कई लोगों की नौकरी जाएगी. पहले इस कंपनी में 3 शिफ्ट में काम हुआ करता था, लेकिन जून और जुलाई में बाजार में आई मंदी के कारण अब दो शिफ्ट में काम हो रहा है और तीसरी शिफ्ट के कर्मचारियों को दूसरे विभागों में शिफ्ट करना पड़ा है. अब अगर और मंदी आती है तो लोगों को निकालने की शुरुआत करना पड़ेगी. बिहार, राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और हिमाचल प्रदेश समेत कई राज्यों से आए लोग इस कंपनी में साल 1994 से काम करते आ रहे हैं. अब अगर इनके इनकी नौकरी जाती है तो किसी और काम को करने लायक नहीं बचेंगे. लिहाजा बेरोजगारी का डर इन्हें सता रहा है.
5 ट्रिलियन इकोनॉमी के लिए GDP दर 8-9% जरूरी
वित्त विशेषज्ञ के मुताबिक किसी भी क्षेत्र में इकोनॉमिक ग्रोथ का धीमा पड़ना पूरी इकोनॉमी पर असर डाल देता है. ऑटोमोबाइल सेक्टर और कंपोनेंट सेक्टर बहुत जॉब मुहैया कराते हैं ऐसे में इनका धीमा पड़ना रोज़गार अवसरों को कम करेगा. साथ ही उन्होंने कहा कि इंडिया एक प्राइस सिस्टम मार्केट है और यहां पर अगर कलपुर्जा उद्योग के लिए GST 28 से घटाकर 18 प्रतिशत हो जाती है तो सेल्स बढ़ जाएगी, जिससे GST से आने वाले कलेक्शन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. लेकिन रोज़गर के अवसर बढ़ेंगे साथ ही इकोनॉमिकल ग्रोथ भी बढ़ेगी.
GST की दर कम करने से सरकार को कोई नुकसान नहीं होगा. सरकार ने 5 ट्रिलियन इकोनॉमी का लक्ष्य रखा है, जिसके लिए GDP 8-9 प्रतिशत से ऊपर रहना चाहिए. जिसके लिए ऑटोमोबाइल सेक्टर का उत्साह बना रहना बहुत ज़रूरी है. अगर ऑटोमोबाइल सेक्टर का बाजार धीमा पड़ा तो जो भी इंडस्ट्री इससे जुड़ी होंगी उन सभी पर इसका असर दिखेगा.
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