नई दिल्लीः अभी भी देश भर में आधे से ज्यादा व्यापारी कार्ड या मोबाइल बटुए जैसे डिजिटल माध्यमों से भुगतान स्वीकार नहीं कर रहे हैं. ये बात उद्योग संगठन सीआईआई और रिसर्च फर्म डेलॉयट के सर्वे मे सामने आयी है. ये सर्वे ऐसे दिन जारी किया गया है जब नोटबंदी के 100 दिन पूरे हो रहे हैं.


चारों दिशाओं के आठ शहरों में 255 व्यापारियों पर किए एक सर्वे के नतीजे बताते हैं:

  • 56 फीसदी व्यापारी अभी भी डिजिटल माध्यमों से भुगतान स्वीकार नहीं कर रहे हैं

  • वैसे अगर डिजिटल माध्यमो से लेन-देन स्वीकार करने की बात करें तो मुंबई 87 फीसदी व्यापारियों के साथ अव्वल रहा जबकि दिल्ली 68 फीसदी के साथ दूसरे स्थान पर.

  • वहीं मेट्रो को छोड़ दूसरे शहरों की बात करें तो गांधी नगर और जयपुर में 33 फीसदी, नागपुर में 37 फीसदी और त्रिसूर में

  • 30 फीसदी व्यापारियों ने डिजिटल लेन-देन स्वीकर करने की बात मानी.

  • सर्वे में शामिल सभी पेट्रोल पम्प पर डिजिटल माध्यमों से लेन-देन होता पाया गया

  • लेकिन सिर्फ 20 फीसदी किरयाने की दुकान और 16 फीसदी रेस्त्रां कार्ड या मोबाइल बटुए से लेन-देन स्वीकार कर रहे हैं.

  • 67 फीसदी व्यापारियो ने कहा कि नोटबंदी के बाद ग्राहक खुद कार्ड या मोबाइल बटुए से भुगतान करना चाहते हैं. साध ही डिजिटल लेन-देन के लिए आधार तैयार हुआ. इन्ही कारणो से भुगतान के इस विकल्प को अपनाया.

  • व्यापारियो को ये भी डर था कि यदि वो डिजिटल नहीं अपनाते हैं तो उनके कारोबार पर असर पड़ेगा. नकद को हैंडल करने का झंझट भी उन्हे परेशान कर रहा था.

  • पॉस मशीन और मोबाइल बटुए से लेन-देन मे 2 गुना से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है.


बहरहाल, सर्वे इस नतीजे पर पहुंचा कि आगे चल कर डिजिटल लेन-देन में और बढ़ोतरी होगी. सर्वे में सुझाव दिया गया है कि लेस कैश सोसायटी बनाने के लिए सबसे महत्वूपर्ण बात ये है कि अत्यंत छोटे और छोटे व्यापारियों (सालाना कारोबार 15 लाख रुपये से भी कम) को डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने की कोशिश में शामिल किया जाए.

जनवरी तक के आंकड़े बताते है कि देश में करीब 17 लाख पॉस (प्वाइंट ऑफ सेल्स यानी स्वाइप मशीन) है. वही कार्ड की बात करे तो 75 करोड़ से भी ज्यादा डेबिट कार्ड और 2.8 करोड़ से ज्यादा क्रेडिट कार्ड हैं. 18 वर्ष या उससे ज्यादा उम्र वाली करीब 99 फीसदी आबादी के पास आधार कार्ड है. इस की वजह से भी आधार आधारित डिजिटल भुगतान में तेजी दिख रही है. आंकड़े बताते हैं कि 39 करोड़ से भी ज्यादा बैंक खाते आधार से जोड़े जा चुके हैं, वहीं डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के तहत सरकारी योनजाओ में करीब 50 हजार करोड़ रुपये भुगतान करने के लिए आधार आधारित माध्यमों का इस्तेमाल हुआ. मोबाइल बटुए के इस्तेमाल की एक बड़ी वज ये भी है कि हर तीसरा या चौथा मोबाइल हैंडसेट स्मार्ट फोन है. वहीं सामान्य यानी बेसिक या फीचर फोन के जरिए भी डिजिटल लेन-देन मुमकिन हो गया है.