5G Services Rollout: क्या ट्राई की सिफारिशों के बाद 5जी मोबाइल सेवा को अफोर्डेबल रखने में मिलेगी मदद?
5G Mobile Services: टेलीकॉम कंपनियों ने सरकार को संकेत दे दिए थे कि 5जी स्पेक्ट्रम की कीमतें ज्यादा रखी जाएगी तो वे बोली में हिस्सा नहीं ले सकेंगे. अब रिजर्व प्राइस को 39% कम रखा गया है.
5G Services Rollout Soon: टेलीकॉम क्षेत्र के रेग्युलेटर ट्राई ( TRAI) ने 5जी (5G) सेवा शुरू करने के लिए स्पेक्ट्रम की निलामी के लिए बेस प्राइस को लेकर अपनी सिफारिशें सरकार को सौंप दी है. ट्राई ने 5जी स्पेक्ट्रम के रिजर्व प्राइस में 39 फीसदी कमी करने का सुझाव दिया है. टेलीकॉम रेग्युलेटर ने 7.5 लाख करोड़ रुपये में 1 लाख मेगाहर्टज स्पेक्ट्रम की निलामी करने की सिफारिशें सौंपी है. जो कि 30 सालों के लिए होगा. यदि सरकार टेलीकॉम कंपनियों को 20 साल के लिए स्पेक्ट्रम का आवंटन करती है तो 5.07 लाख करोड़ रुपये सरकार को बोली के जरिए मिलेंगे
रिजर्व प्राइस घटाने के क्या है मायने
देश की टेलीकॉम कंपनियों ने पहले ही सरकार को संकेत दे दिए थे कि 5जी स्पेक्ट्रम की कीमतें ज्यादा रखी जाएगी तो वे बोली में हिस्सा नहीं ले सकेंगे. पिछले दो दफा स्पेक्ट्रम बेचने की सरकार ने कोशिश की थी. लेकिन खरीदार नहीं मिला क्योंकि स्पेक्ट्रम का रिजर्व प्राइस बेहद ज्यादा रखा गया था. ट्राई ने 2018 की सिफारिशों के मुकाबले इस बार स्पेक्ट्रम की कीमतें सभी बैंड में कम रखी है. ट्राई के चेयरमैन पी डी वघेला ने कहा है कि 5जी स्पेक्ट्रम को लेकर सौंपी गई सिफारिशें स्टेकहोल्डर्स के साथ कंसलटेशन और बहुत ज्यादा चर्चा के बाद सोच समझकर तैयार किया गया है.
3300 - 3670 मेगाहर्टज वाले 5जी प्राइम फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम के लिए रिजर्व प्राइस 317 करोड़ रुपये प्रति मेगाहर्ट्ज रखा गया है जो कि ट्राई की पिछली सिफारिशों के मुकाबले 35 फीसदी कम है.
कंपनियों ने कम कीमत रखने की थी मांग
देश के टेलीकॉम ऑपरेटरों ने ट्राई को तार्किक स्पेक्ट्रम की कीमतें तय करने को कहा था. इन ऑपरेटरों ने संकेत दे दिए थे कि स्पेक्ट्रम की कीमतें कम नहीं रखी गई तो स्पेक्ट्रम नहीं बिक पाएगी. देश के सबसे पुराने और दिग्गज टेलीकॉम ऑपरेटर भारतीय एयरटेल के चेयरमैन ने पूर्व स्पेक्ट्रम के "उपयुक्त" मूल्य तय करने की मांग की थी. टेलीकॉम कंपनियों की संस्था COAI ने भी ने जोर देकर कहा था कि स्पेक्ट्रम मूल्य निर्धारण को बाजार की स्थितियों के अनुकूल रखा जाना चाहिए क्योंकि 5G में बहुत ज्यादा पूंजी शुरुआत में ही निवेश किया जाता है. स्पेक्ट्रम की ज्यादा कीमतें ऑपरेटरों को दूर रखने का काम करेगी.
5जी मोबाइल सेवा अफोर्डेबल रखने में मिलेगी मदद
बहरहाल ट्राई के 5जी स्पेक्ट्रम को लेकर सौंपी गई सिफारिशों के बाद मौजूदा वित्त वर्ष में 2022-23 में स्पेक्ट्रम की बोली मंगाई जाएगी, जिससे जल्द से जल्द देश में 5जी मोबाइल सेवा को लॉन्च किया जा सके. सबसे बड़ी बात ये है कि स्पेक्ट्रम की कीमत तय रखने से सरकार को ज्यादा राजस्व हासिल होगा तो टेलीकॉम ऑपरेटरों को 5जी सेवा के साथ ज्यादा ग्राहकों को जोड़ने में भी मदद मिलेगी और 5जी मोबाइल सेवा को अफोर्डेबल रखा जा सकेगा.
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