8th Pay Commission Salary Hike: 8वें वेतन आयोग के गठन का ऐलान जब से केंद्र की मोदी सरकार ने किया है, लगभग 36.57 लाख सरकारी कर्मचारी और 33.91 लाख पेंशनभोगी इस उम्मीद में बैठे हैं कि इस पे कमीशन के लागू होने के बाद से उनकी सैलरी और पेंशन में अच्छा खासा इजाफा हो जाएगा. हालांकि, इस देश में कई ऐसे कर्मचारी भी हैं, जिन्हें हम सरकारी समझते हैं, लेकिन उन पर ये वेतन आयोग लागू नहीं होगा.


यानी कि 8वें वेतन आयोग के लागू होने के बाद, जहां लाखो कर्मचारियों की सैलरी बढ़ जाएगी, वहीं इन विभागों में के काम करने वाले कर्मचारियों की सैलरी में एक भी रुपये का इजाफा नहीं होगा. चलिए, आपको इन विभागों के बारे में विस्तार से समझाते हैं.


पहले समझिए 8वें वेतन आयोग से सैलरी कितनी बढ़ेगी


8वें वेतन आयोग के तहत सरकारी कर्मचारियों की सैलरी में बढ़ोतरी का निर्धारण मुख्य रूप से फिटमेंट फैक्टर और भत्तों के आधार पर होगा. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, फिटमेंट फैक्टर 1.92 से 2.86 के बीच हो सकता है. आसान भाषा में इसे ऐसे समझिए कि अगर किसी कर्मचारी की मौजूदा बेसिक सैलरी 20,000 रुपये है और फिटमेंट फैक्टर 2.86 होता है, तो कर्मचारी की नई सैलरी 20,000×2.86 = 57,200 रुपये होगी. आपको बता दें, 7वें वेतन आयोग के अनुसार, मौजूदा समय में न्यूनतम बेसिक सैलरी 18,000 है, जो संभावित रूप से बढ़कर 51,480 हो सकती है, अगर फिटमेंट फैक्टर 2.86 लागू होता है.


8वें वेतन आयोग से बाहर होंगे ये लोग


कोई भी वेतन आयोग जब लागू होता है तो वह सबसे पहले केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों पर लागू होता है. इसके बाद, राज्य सरकारें इसे अपने यहां लागू करती हैं और इससे राज्य सरकार के सरकारी कर्मचारियों को लाभ होता है. हालांकि, हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट के जज, पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग (PSU) के कर्मचारी या फिर किसी ऑटोनॉमस बॉडी के कर्मचारियों पर वेतन आयोग लागू नहीं होता. दरअसल, इन लोगों के लिए वेतन और भत्ते के नियम अलग होते हैं और सिर्फ वही नियम उनपर लागू होते हैं.


कब लागू होगा 8वां वेतन आयोग


पिछले वेतन आयोगों की समयसीमा को देखते हुए, 8वें वेतन आयोग के लागू होने की संभावित समयसीमा का अनुमान लगाया जा सकता है. 6वें वेतन आयोग की सिफारिशें 2006 में लागू हुईं, जबकि इसका गठन 2005 में हुआ था. वहीं, 7वें वेतन आयोग का गठन फरवरी 2014 में हुआ और सिफारिशें 1 जनवरी 2016 से लागू की गईं. जबकि 8वें वेतन आयोग की घोषणा जनवरी 2025 में हुई थी. वहीं, इसे 1 जनवरी 2026 से लागू करने की योजना है. हालांकि, विशेषज्ञों के अनुसार, ToR और बजट में इसके लिए फंड का जिक्र न होने के कारण इसे लागू करने में देरी हो सकती है.


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