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Success Story: किसान बनकर खेती की, लैंप में करते थे पढ़ाई, स्कूल में हुए फेल पर आज हैं माइक्रोसॉफ्ट में इंजीनियर

Success Story: संतोष मिश्रा बिहार के एक छोटे गांव में पले-बढ़े थे. उनका जीवन संघर्ष से भरा रहा है. उनके गांव में हमेशा बिजली की समस्या रहती थी, इस कारण वह लैंप की रोशनी में पढ़ाई किया करते थे.

Inspirational Story: कहते है कि अगर व्यक्ति एक बार मन में कुछ ठान ले तो उसके कुछ भी असंभव नहीं है. बिहार के छोटे से जिले में रहने वाले संतोष मिश्रा ने यह साबित करके दिखाया है कि व्यक्ति अगर चाहें तो उसके लिए कुछ भी मुश्किल नहीं है. पटना के पास एक गांव में रहने वाले किसान के बेटे संतोष मिश्रा की कहानी बेहद प्रेरणादायक (Inspirational Story) है. संतोष मिश्रा ने बिहार के छोटे से गांव में किसान से लेकर माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) में नौकरी पाने तक का सफर तय किया है. Humans of Bombay को दिए अपने इंटरव्यू में संतोष मिश्रा ने अपने सफर के बारे में बताया है.

पढ़ाई में थे बेहद कमजोर
संतोष मिश्रा बिहार (Bihar) के एक छोटे गांव में पले-बढ़े थे. उनका जीवन संघर्ष से भरा रहा है. उनके गांव में हमेशा बिजली की समस्या रहती थी, इस कारण वह लैंप की रोशनी में पढ़ाई किया करते थे. संतोष का मन बचपन में पढ़ाई में बहुत ज्यादा नहीं लगता था. वह पढ़ाई में इतने कमजोर थे जिसके कारण वह बार-बार स्कूल में फेल हो जाते थे. गांव और स्कूल के लोग उन्हें मूर्ख कहते थे. संतोष जब 9 वीं क्लास में पहुंचे तो उनकी पढ़ाई के प्रति रुचि बढ़ने लगी, लेकिन 10 वीं कक्षा भी वह बढ़ी मुश्किल से पास कर पाएं.

इसके बाद गांव वालों और रिश्तेदारों ने उन्हें गांव में ही रहकर किसानी करने की सलाह दी, मगर उन्होंने पटना जाकर आगे की पढ़ाई की इच्छा घर वालों के सामने जाहिर की. पहले तो घर वालों ने मना किया, लेकिन बाद उन्हें पटना आगे की पढ़ाई के लिए भेज दिया. उन्होंने पटना में 12 वीं की परीक्षा दी लेकिन पहली बार में वह फेल हो गए. इसके बाद दोबारा एग्जाम में वह किसी तरह के पास हुए. 12 वीं के बाद उन्होंने डिस्टेंस लर्निंग कोर्स से ही ग्रेजुएशन किया.

NIT तिरुचिरापल्ली में हुए एडमिशन
इन सभी चीजों के बावजूद भी संतोष मिश्रा ने हार नहीं मानी और लगाता प्रयास करते रहे. इसके बाद मास्टर्स की डिग्री के लिए उनका NIT तिरुचिरापल्ली में एडमिशन हो गया. NIT में जाने के बाद उनके सामने एक मुश्किल खड़ी हो गई. उनकी इंग्लिश बहुत कमजोर थी. इस कारण बाकी बच्चे उसका मजाक बनाते थे, लेकिन उन्होंने अपनी भाषा को ठीक करने की ठान ली. इसके बाद उन्होंने इंग्लिश किताबें, मूविज़ आदि देखकर अपनी इंग्लिश को ठीक किया. कॉलेज के आखिरी साल में संतोष का कैंपस प्लेसमेंट हुआ, लेकिन उन्हें अपने बैच में सबसे कम पैकेज मिला. इस कारण उन्हें बहुत निराशा भी हुई.

 
 
 
 
 
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संतोष ने नहीं मानी हार
इसके बाद भी संतोष ने हार नहीं मानी और लगातार प्रयास करते रहे. इसके बाद उन्होंने 1.5 साल तक लगातार प्रयास किया और इसके बाद उनका सपना पूरा हुआ. उन्हें दुनिया की दिग्गज टेक कंपनी  माइक्रोसॉफ्ट में नौकरी का ऑफर मिला. इस बार उन्हें सैलरी में भी जबरदस्त हाइक मिला. यह जानकर संतोष की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उनकी सालों की मेहनत आखिर रंग लेकर आई है. Humans of Bombay से बात करते हुए उन्होंने कहा कि वह कभी हार नहीं मानते हैं और लगातार प्रयास करते रहते हैं. इस नौकरी के बाद उन्होंने अपनी दो छोटी बहनों की शादी कराई. इसके बाद अपने माता-पिता के लिए घर बनाया. उनका कहना है कि यह उनके सफर की शुरुआत भर है और वह आगे भी जिदंगी में लगातार प्रयास करते ही रहेंगे. 

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