ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार मुहैया कराने में सरकारी योजना मनरेगा (MGNREGA) की बड़ी भूमिका रहती है. हालांकि इस योजना को लेकर लगातार विवाद चलता रहा है. खासकर इस योजना के तहत किए जाने वाले भुगतान में गड़बड़ियों की शिकायतें खूब होती आई हैं. इसे ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने मनरेगा के भुगतान को आधार से जोड़ने की महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है, जिसकी डेडलाइन जल्द समाप्त होने वाली है.


30 जून को समाप्त हो रही डेडलाइन


न्यूज एजेंसी पीटीआई की एक खबर के अनुसार, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय मनरेगा के तहत अभी काम पा रहे 88 से 90 फीसदी श्रमिकों को इस महीने के अंत तक अनिवार्य आधार आधारित भुगतान प्रणाली यानी एबीपीएस (ABPS) के दायरे में लाने की उम्मीद कर रहा है. महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना, जिसे मनरेगा के नाम से जाना जाता है, के तहत पंजीकृत श्रमिकों को इस भुगतान प्रणाली का हिस्सा बनाने की समय सीमा 30 जून को समाप्त हो रही है.


बिना आधार के भी मिलता रहेगा काम


मंत्रालय ने कहा है कि श्रमिकों के पास अगर आधार नंबर नहीं है तो उन्हें काम देने से इनकार नहीं किया जा सकता है. ऐसे श्रमिकों को डेडलाइन के बाद भी मनरेगा का काम मिलता रहेगा. मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, मनरेगा के तहत अभी काम पा रहे करीब 74.9 फीसदी श्रमिकों को आधार से जुड़ी इस भुगतान प्रणाली के लिए पात्र माना गया है.


राज्यों को विशेष शिविर लगाने का निर्देश


ग्रामीण विकास मंत्रालय ने एबीपीएस के तहत सौ फीसदी कवरेज हासिल करने के लिए राज्यों से विशेष शिविर लगाने को कहा है. इसने यह भी स्पष्ट किया है कि आधार नंबर मुहैया करने का लाभार्थियों से अनुरोध किया जाए, लेकिन उनके पास आधार नंबर नहीं होने की स्थिति में उन्हें काम देने से इनकार नहीं किया जा सकता है.


डेडलाइन तक नहीं हो पाएगा काम


मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों से यहपता चलता है कि 30 जून की समय-सीमा पूरी करने के लिए अभी हर रोज 14,91,848 श्रमिकों को एबीपीएस के तहत पंजीकृत करने की जरूरत होगी. हालांकि, कई राज्य अपने लक्ष्य से बहुत पीछे हैं. ऐसे में हो सकता है कि डेडलाइन निकल जाए, लेकिन तब भी 100 फीसदी श्रमिकों को एबीपीएस से जोड़ने की कवायद पूरी नहीं हो सके.


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