Ideas of India: ABP Ideas of India के समिट में  5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बयानबाजी है या वास्तविकता इसी पर चर्चा करते हुए नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने कहा है कि अगर कोरोना महामारी का चौथा संक्रमण नहीं आया, 8 फीसदी के दर से भारतीय अर्थव्यवस्था विकास करती है तो अगले आठ सालों से कम समय में अर्थव्यवस्था दोगुनी हो सकती है. ऐसे में 2030 से पहले भारत 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनमी का लक्ष्य हासिल कर सकता है. योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवालिया ने इस विषय पर कहा कि, ये एक स्लोगन है लेकिन स्लोगन देना जरुरी होता है. उन्होंने कहा कि 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था  हासिल करने की बात करना और आर्थिक विकास का एक लक्ष्य हासिल करना कहने में कोई अंतर नहीं है और ये मायने नहीं रखता है. ये देखना ज्यादा जरुरी है कि हम हर वर्ष कितना विकास कर रहे हैं और इसे मापा जाना चाहिए.  


5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बयानबाजी या वास्तविकता!
ABP Ideas of India के समिट में  5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बयानबाजी है या वास्तविकता इसी पर चर्चा करने के लिए नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार और योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवालिया पहुंचे थे. दरअसल मोदी सरकार 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर हासिल करने का लक्ष्य लेकर चल रही थी. जिसपर कोरोना महामारी ने पानी फेर दिया है. मोदी सरकार के इस लक्ष्य को लेकर सवाल भी उठते आए हैं.


कोरोना के दौर से देश गुजरा 
राजीव कुमार ने कहा कि जहां तक 5 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी का लक्ष्य हासिल कब तक होगा तो हमें ये याद रखना चाहिए कि दो सालों में कोरोना महामारी का दौर हमने देखा, वैश्विक कारणों ( रूस- यूक्रेन के युद्ध) के चलते कमोडिटी प्राइसेज कहां जाएंगी कहां तक जाएंगी कहना कठिन है. तेल की कीमतें कहां जाएंगी कहना कठिन है. 



 


वास्तविकता से परे है टारगेट 
मोंटेक सिंह अहलुवालिया ने कहा कि 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर को लेकर सरकार को कुछ कहना गलत होगा. क्योंकि इस दौरान कोरोना महामारी समेत हमने काफी कुछ देखा है. उन्होंने कहा कि फिलहाल 2.9 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था है. लेकिन 2030 तक 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था हासिल करने की भी बात की जाती है. लेकिन इसके लिए 11 फीसदी के दर से आर्थिक विकास करना होगा. उन्होंने बताया कि चीन भी 10 फीसदी से ज्यादा विकास नहीं कर सका है. मोंटेक सिंह अहलुवालिया ने कहा, मुझे  लगता है कि ये अवास्तविक टारगेट है. 2030 तक 10 ट्रिलियन डॉलर ये काफी दूर है. छोटी अवधि में देखें तो हम महामारी से गुजरें हैं लेकिन वैश्विक क्राइसिस से गुजर रहे हैं. रूस यूक्रेन युद्ध कब तक चलेगा, इसका तेल की कीमतों पर क्या असर पड़ेगा कहना कठिन है. अंतराष्ट्रीय जानकार इसे तात्कालिक समस्या नहीं मानते हैं. 


कोरोना से पहले ही अर्थव्यवस्था की रफ्तार पड़ी धीमी 
मोंटक सिंह अहलुवालिया के मुताबिक अर्थव्यवस्था को रफ्तार पकड़ने में वक्त लगेगा. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के आने से तीन साल पहले ही अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी पड़ चुकी थी. कुछ लोग सोचते हैं नोटबंदी और जीएसटी के चलते ये हुआ है. हालांकि जीएसटी बेहतर कदम था. लेकिन इसके चलते दिक्कतें हुई है. उन्होंने यूपीए और मोदी सरकार के कार्यकाल की तुलना करते हुए कहा कि मौजूदा सरकार के पहले तीन सालों में अर्थव्यवस्था 7 फीसदी के औसत दर से विकास कर रहा था जबकि इस दौरान दुनिया की अर्थव्यवस्था बेहतर तरीके से विकास कर रही थी. मोंटेक के मुताबिक अगर 8 फीसदी का लक्ष्य रखते हैं और 7 फीसदी भी हासिल करते हैं तो ये बुरा नहीं है लेकिन इसके लिए बेहतरीन पॉलिसी का होना जरुरी है. 


खाली पद जानबूझकर नहीं भर रहीं सरकारें 
मोंटक सिंह अहलुवालिया ने शिक्षक और अन्य खाली पदों को नहीं भरने के सवाल पर कहा कि, राज्य सरकारें जानबूझकर खाली पदों को नहीं भरती क्योंकि उनके पास वेतन देने के लिए उनके पास पैसा नहीं है. वो वेतन नहीं देना चाहती. वो कॉंट्रैक्ट पर लोगों को रखती है जिसमें कम वेतन देना पड़ता है. लेकिन हाल के दिनों में ये अच्छी बात है कि लोग सरकार से सवाल कर रहे हैं वो इस दिशा में क्या कर रही हैं.


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