अब इस बिजनेस में आमने-सामने होंगे अडानी और बिड़ला, कॉपर और सीमेंट सेक्टर में पहले हो चुका है कड़ा मुकाबला
Adani and Aditya Birla Group: कॉपर और सीमेंट इंडस्ट्री में एक-दूसरे को टक्कर देने के बाद अब अडानी ग्रुप और आदित्य बिड़ला ग्रुप सीमेंट सेगमेंट में दमदार एंट्री लेने वाले हैं.

Adani and Aditya Birla Group: सीमेंट सेक्टर में अपनी गहरी पैठ जमाने के बाद अब गौतम अडानी की अगुवाई वाला अडानी ग्रुप और कुमार मंगलम बिड़ला का आदित्य बिड़ला ग्रुप तार और केबल सेगमेंट में दमदार एंट्री लेने की तैयारी कर रहे हैं.
कॉपर और सीमेंट सेक्टर में पहले से ही दोनों में आगे निकलने की होड़ लगी है. अब दोनों ग्रुप तार और केबल सेगमेंट में कदम रखने जा रहे हैं. सीमेंट सेक्टर में कई छोटी-बड़ी कंपनियों को पछाड़ते हुए इन दोनों में कड़ा मुकाबला है और अब बारी केबल और वायर सेगमेंट की है, जिसमें आने वाले समय में काफी ग्रोथ की संभावना है.
तेजी से आगे बढ़ रहा यह सेक्टर
देश के वायर और केबल इंडस्ट्री का रेवेन्यू फाइनेंशियल ईयर 2019 और 2024 में 13 परसेंट के कम्पाउंड एनुअल ग्रोथ के साथ आगे बढ़ा. अब इन दोनों बड़ी कंपनियों के इस सेगमेंट में कदम रखने के साथ इसमें वृद्धि की संभावना और भी कई गुना बढ़ जाएगी. इसका असर शेयर मार्केट में भी देखने को मिलेगा. वायर और केबल सेगमेंट में लिस्टेड कंपनियों के शेयर प्राइस में 19 मार्च के बाद गिरावट आई.
इस सेगमेंट की सबसे बड़ी कंपनी पॉलीकैब इंडिया और केईआई इंडस्ट्रीज के शेयर की कीमत 20 मार्च को 52-सप्ताह के निचले स्तर पर पहुंच गई. इसी तरह से हैवेल्स के शेयर प्राइस में भी 5 परसेंट तक की गिरावट आई. इसके अगले दिन फिनोलेक्स केबल्स के शेयर भी 4 परसेंट तक गिर गए.
बड़ी कंपनियों के निवेश के लिए आदर्श सेगमेंट
ब्रोकरेज फर्म जेएम फाइनेंशियल ने अधिक पूंजी वाले निवेशकों के लिए वायर और केबल सेगमेंट को आदर्श बताते हुए कहा, यह एक ऐसी इंडस्ट्री है जहां किसी भी कंपनी का वायर में 15 परसेंट से ज्यादा और केबल में 20 परसेंट से ज्यादा हिस्सेदारी नहीं है.
ग्रोथ के हैं कई मौके
इस इंडस्ट्री में छोटी-बड़ी कंपनियों की संख्या कुल लगभग 400 है और रेवेन्यू 50-400 करोड़ के बीच में है. ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म जेफरीज के मुताबिक, भारत में करीब 80,000 करोड़ रुपये की केबल और वायर इंडस्ट्री (56,000 करोड़ रुपये केबल और 24,000 करोड़ रुपये तार) के पास आकर्षक अवसर हैं.
जेफरीज के एनालिस्ट का मानना है कि इस इंडस्ट्री में ग्रोथ के कई मौके हैं क्योंकि यह दहाई अंक में बढ़ रहा है और इंडस्ट्री का 30 परसेंट हिस्सा अब भी असंगठित क्षेत्र के पास है. साल 2028-29 में इस इंडस्ट्री का आकार 1,30,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा.
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