Adani Group: अडानी ग्रुप ने अपने खिलाफ रिपोर्ट का दिया जोरदार जवाब- कहा ये रीसाइकिल्ड आरोप, इन्हें खारिज करते हैं
ADANI Group Clarification: अडानी समूह के खिलाफ आई नई OCCRP रिपोर्ट पर ग्रुप की ओर से जवाब दिया गया है और कहा गया है कि ये रिपोर्ट पहले के ही आरोपों को (हिंडनबर्ग रिसर्च) रीसाइकिल करके लगाए गए हैं.
ADANI Group Clarification on FT Report: अडानी समूह के लिए मुश्किलें बढ़ाने की कोशिश करने वाली एक रिपोर्ट आई है और इसका निगेटिव असर समूह के सभी शेयरों पर देखा जा रहा है. अडानी स्टॉक्स में भारी गिरावट देखी जा रही हैं. इसी रिपोर्ट पर अडानी समूह की ओर से जवाब दिया गया है और कहा गया है कि ये रिपोर्ट पहले के ही आरोपों को (हिंडनबर्ग मामला) रीसाइकिल करके लगाए गए हैं. जानिए क्या है सारा मामला और अडानी समूह ने क्या जवाब दिया है-
OCCRP ने रिपोर्ट जारी की- गिरे सभी अडानी स्टॉक्स
गैर-लाभकारी मीडिया संगठन संगठित अपराध और भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (OCCRP) ने एक रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट के मुताबिक, अडानी ग्रुप के कुछ सार्वजनिक तौर पर कारोबार करने वाले कंपनियों के शेयरों में 'अपारदर्शी' मॉरीशस फंड के माध्यम से लाखों डॉलर का निवेश किया गया है. इसकी वजह से ये पता नहीं चल पा रहा है कि अडानी फैमिली के कथित व्यापारिक भागीदारों की हिस्सेदारी कितनी और कहां पर है. OCCRP ने कई टैक्स हेवन्स और आंतरिक अडानी ग्रुप के ईमेल से फाइलों की समीक्षा के आधार पर कहा कि जांच में कम से कम दो मामले सामने आए जिनसे पता चलता है कि अडानी ग्रुप के निवेशकों ने ऑफशोर स्ट्रक्चर्स के माध्यम से अडानी स्टॉक्स खरीदे और बेचे हैं.
अडानी ग्रुप ने क्या कहा है
अडानी ग्रुप ने कहा है कि हम इन रीसाइकिल्ड आरोपों को साफ तौर से अस्वीकार करते हैं. ये न्यूज रिपोर्ट्स सोरोस-फंडेड हितों द्वारा विदेशी मीडिया के एक वर्ग द्वारा समर्थित एक और ठोस प्रयास लगती हैं जिससे योग्यताहीन हिंडनबर्ग रिपोर्ट को दोबारा जीवित किया जा सके. हालांकि इसकी पूरी संभावना थी क्योंकि पिछले हफ्ते मीडिया द्वारा इसके बारे में रिपोर्ट किया गया था.
कंपनियों का कोई ओवर वैल्यूएशन नहीं बना था- अडानी समूह
अडानी समूह ने कहा है कि ये दावे एक दशक पहले के बंद मामलों पर आधारित हैं जब राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने ओवर इनवॉइसिंग, विदेश में फंड ट्रांसफर संबंधित पार्टी लेनदेन और एफपीआई के माध्यम से निवेश के आरोपों की जांच की थी. इसके बाद एक स्वतंत्र निर्णायक प्राधिकारी और एक अपीलीय न्यायाधिकरण दोनों ने पुष्टि की थी कि अडानी की कंपनियों का कोई ओवर वैल्यूएशन नहीं था और ट्रांजेक्शन उस समय के लागू कानून के मुताबिक थे. मार्च 2023 में मामले को अंतिम रूप मिला जब भारत के माननीय सुप्रीम कोर्ट ने हमारे पक्ष में फैसला सुनाया. लिहाजा साफ तौर से कह सकते हैं कि कोई ओवर वैल्यूएशन नहीं था, इसलिए फंड के ट्रांसफर पर इन आरोपों की कोई प्रासंगिकता या बेस नहीं है.
पब्लिकेशन्स ने हमारा जवाब और पक्ष नहीं लिया- अडानी समूह
खास तौर से ये एफपीआई पहले से ही सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) की जांच का हिस्सा हैं. सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति के मुताबिक मिनिनमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग (एमपीएस) की आवश्यकताओं के उल्लंघन या स्टॉक की कीमतों में हेरफेर का कोई सबूत नहीं है. लेकिन ये बेहद दुखद है कि इन पब्लिकेशन्स ने हमें अपने सवाल और उत्सुकता तो भेजी लेकिन हमारा पूरा जवाब ना लेने का फैसला लिया.
इन कोशिशों को इसलिए किया जा रहा है जिससे शेयरों को तोड़कर और स्टॉक प्राइस गिराकर ये शॉर्ट सेलर अपना मुनाफा कमाना चाहते हैं पर ये भी सच है कि ये संगठन या रिुपोर्ट्स विभिन्न अथॉरिटीज की जांच के दायर में हैं. माननीय सुप्रीम कोर्ट और सेबी इस मामले को देख ही रहे हैं, ये जरूरी है कि जारी रेगुलेटरी प्रक्रिया का सम्मान किया जाए.
अडानी ग्रुप ने साफ तौर पर कहा कि
- हमें कानून की उचित प्रक्रिया पर पूरा भरोसा है.
- हम अपने डिस्क्लोजर की गुणवत्ता और कॉर्पोरेट गवर्नेंस स्टैंडर्ड्स के प्रति भरोसेमंद हैं.
- इन समाचार रिपोर्टों का समय संदिग्ध, शरारतपूर्ण और दुर्भावनापूर्ण है.
- हम इन रिपोर्टों को पूरी तरह से खारिज करते हैं.
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