विभिन्न क्षेत्रों में कारोबार करने वाले अडानी समूह (Adani Group) के लिए यह साल ठीक नहीं बीत रहा है. देश के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति गौतम अडानी (Gautam Adani) की कंपनियों को साल की शुरुआत से ही लगातार झटके लग रहे हैं. पहले अडानी समूह को हिंडनबर्ग की रिपोर्ट (Hindenburg Adani Report) ने निशाने पर लिया और अब द केन (The Ken Adani Report) व रेटिंग एजेंसी फिच की रिपोर्ट (Fitch Adani Report) परेशानी बढ़ाने आ गई है.


केन की रिपोर्ट में ये सवाल


द केन की रिपोर्ट में सवाल उठाया गया था कि समूह के प्रवर्तकों ने गिरवी रखे गए शेयरों के बदले लिए कर्ज की किस्तें शायद नहीं चुकाई हैं. इस रिपोर्ट ने अडानी समूह के शेयरों पर बुरा असर किया. करीब एक महीने से अडानी समूह के शेयरों में चली आ रही रैली पर इसने ब्रेक लगा दिया. रिपोर्ट के सामने आने के बाद अडानी समूह के सारे 10 शेयर लगातार दो दिन गिरावट में जा चुके हैं. इस रिपोर्ट के चलते महज दो दिनों में अडानी समूह की कंपनियों का एमकैप 01 बिलियन डॉलर से ज्यादा कम हो गया.


अडानी समूह ने किया खारिज


वहीं अडानी समूह ने केन की रिपोर्ट में उठाए गए सवालों को सिरे से नकार दिया है. अडानी समूह का कहना है कि केन की रिपोर्ट में गलत दावे किए गए हैं. अडानी समूह का कहना है कि उसने 2.15 बिलियन डॉलर के मार्जिन-लिंक्ड शेयर-बैक्ड लोन को समय से पहले ही पूरी तरह से चुका दिया है. समूह ने इस बारे में बयान जारी किया और कहा कि समूह की कंपनियों अडानी ग्रीन (Adani Green), अडानी पोर्ट्स (Adani Ports), अडानी ट्रांसमिशन (Adani Transmission) और अडानी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises) के गिरवी रखे शेयर कम हुए हैं.


कम हुए गिरवी रखे शेयर


कंपनी के बयान पर यकीन करें तो अडानी ग्रीन में जहां गिरवी रखे शेयर 31 दिसंबर 2022 को 4.4 फीसदी थे, वे कम होकर 27 मार्च 2023 को 3.5 फीसदी पर आ गए. इसी तरह अडानी पोर्ट्स के गिरवी शेयर 17.3 फीसदी से कम होकर 4.7 फीसदी, अडानी ट्रांसमिशन में 6.6 फीसदी से घटकर 3.8 फीसदी और अडानी एंटरप्राइजेज में 2.7 फीसदी की तुलना में 0.6 फीसदी रह गए हैं. समूह ने यह भी दावा किया है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद किसी ऑपरेटिंग कंपनी के शेयरों को गिरवी रखकर कर्ज नहीं लिया गया है.


फिच ने दिया ये बयान


केन के बाद रेटिंग एजेंसी फिच ने भी अडानी समूह की परेशानियां बढ़ा दी. फिच का कहना है कि अडानी समूह की दो कंपनियों के ऊपर संकट मंडरा रहा है. एजेंसी के अनुसार, समूह के स्पॉन्सर के लेवल पर कंपनी संचालन की कमजोरियों के चलते अडानी ट्रांसमिशन और अडानी पोर्ट्स के सामने जोखिम हैं. इन कंपनियों के वित्तीय लचीलेपन पर प्रतिकूल असर हो सकता है. हालांकि फिच ने दोनों कंपनियों की बीबीबी निगेटिव रेटिंग को बरकरार रखा है. फिच ने इससे पहले 23 फरवरी को अडानी ट्रांसमिशन की रेटिंग को बरकरार रखा था.


ऐसा रहा अन्य एजेंसियों का रुख


फिच के इस कदम से पहले अन्य रेटिंग एजेंसियां भी अडानी समूह को लेकर रुख साफ कर चुकी हैं. रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स यानी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स (S&P Global Ratings) ने हाल ही में इशारा किया था कि अडानी समूह की कंपनियों की रेटिंग को लेकर नकारात्मक कदम उठाए जा सकते हैं. रेटिंग एजेंसी ने साफ कहा था कि अगर उसे किसी गंभीर गड़बड़ी का पता चलता है, तो वह अडानी समूह की कंपनियों पर निगेटिव रेटिंग एक्शन ले सकती है. मूडीज ने 11 फरवरी को समूह की फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज समेत अडानी टोटल गैस, अडानी ट्रांसमिशन और एसीसी के रेटिंग आउटलुक को डाउनग्रेड कर दिया था.


नहीं दूर हुआ हिंडनबर्ग रिपोर्ट का असर


केन की ताजी रिपोर्ट और फिच का बयान ऐसे समय आया है, जब अडानी समूह की कंपनियां अब तक हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के असर से उबर नहीं पाई हैं. अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग ने 24 जनवरी को अडानी समूह के खिलाफ रिपोर्ट जारी की थी. हिंडनबर्ग ने अडानी समूह के ऊपर गलत तरीके से अपने शेयरों के भाव को ऊपर चढ़ाने समेत कई गंभीर आरोप लगाया था. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट जारी होने के बाद अडानी समूह के शेयरों की वैल्यू में 80 फीसदी तक की गिरावट आई थी. समूह की 10 लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप मिलाकर 12.06 लाख रुपये कम हुआ था. इसके चलते गौतम अडानी की नेटवर्थ महज 40 बिलियन डॉलर से भी कम हो गई थी और महज एक महीने में उन्हें 80 बिलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ा था.


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