पोर्ट से लेकर एयरपोर्ट तक विभिन्न क्षेत्रों में कारोबार करने वाला अडानी समूह करीब 4 महीने बीत जाने के बाद भी हिंडनबर्ग की विवादित रिपोर्ट के असर से नहीं उबर पाया है. अभी भी समूह की कंपनियों के शेयर रिपोर्ट से पहले के स्तर से गिरे हुए हैं, वहीं दूसरी ओर हिंडनबर्ग के आरोपों के चलते समूह को सेबी की जांच का सामना करना पड़ रहा है. इस बीच वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी का कहना है कि अडानी समूह के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की समिति को गड़बड़ी का कोई सबूत नहीं मिला है.


नहीं मिला गड़बड़ी का सबूत


उन्होंने कहा कि हिंडनबर्ग ने अडानी समूह के ऊपर शेयरों के भाव में हेराफेरी करने का आरोप लगाया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के द्वारा गठित एक्सपर्ट कमिटी को इस संबंध में कोई ठोस सबूत नहीं मिला है. उन्होंने कहा, अडानी समूह संदेह से परे है. चाहे शेयरों के भाव में हेराफेरी की बात हो या न्यूनतम पब्लिक शेयरहोल्डिंग की या रिलेटेड पार्टी ट्रांजेक्शन की, अडानी समूह या समूह की कंपनियों के द्वारा किसी प्रकार की गड़बड़ी करने का कोई सबूत नहीं मिला है.


सेबी के नियमों का पूरा पालन


रोहतगी ने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट के द्वारा गठित पैनल की रिपोर्ट में रिलेटेड पार्टी ट्रांजेक्शन को लेकर कोई उल्लंघन नहीं पाया गया है. पैनल ने पाया है कि सेबी के द्वारा न्यूनतम पब्लिक शेयरहोल्डिंग का जो पैमाना तय किया गया है, उसका पूरी तरह से पालन किया गया है. सबसे महत्वपूर्ण बात... पैनल ने पाया है कि अडानी समूह के शेयरों के भाव स्थिर हैं. उनकी कीमतें भले ही उस स्तर पर नहीं हैं, जहां 24 जनवरी से पहले थीं, लेकिन वे स्थिर हैं और निवेशकों के मन में भरोसा है. अडानी समूह ने निवेशकों का भरोसा सुनिश्चित करने के लिए बहुत प्रयास किया है.


अभी भी नुकसान में अडानी के शेयर


आपको बता दें कि अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट 24 जनवरी को सामने आई थी. रिपोर्ट में हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह के ऊपर कई गंभीर आरोप लगाए थे, जिनमें शेयरों के भाव में हेराफेरी भी शामिल है. उसके बाद करीब एक महीने के दौरान अडानी समूह की कंपनियों की वैल्यू में 150 बिलियन डॉलर से ज्यादा की भारी-भरकम गिरावट आई थी और नुकसान से अब तक अडानी के शेयर नहीं उबर पाए हैं.


इस पैनल की निगरानी में जांच


हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडानी से जुड़ा मामला देश में राजनीतिक बहस का केंद्र बन चुका है. फिलहाल बाजार नियामक सेबी अडानी समूह के ऊपर हिंडनबर्ग रिसर्च के द्वारा लगाए गए विभिन्न आरोपों की जांच कर रहा है और सुप्रीम कोर्ट ने उसकी निगरानी करने के लिए विशेषज्ञों का एक पैनल बनाया है. विशेषज्ञों के पैनल में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज जस्टिस एएम सप्रे, जस्टिस ओपी भट्ट, केवी कामथ, नंदन निलेकणि और सोमशेखर सुंदरेशन शामिल हैं.


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