अडानी समूह ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट (Hindenburg Adani Report) आने के बाद कारोबार की रणनीति में बदलाव किया है. अब कंपनी नया कारोबार शुरू करने के बजाय कर्जों के पुनर्भुगतान (Adani Debt Repayment) पर फोकस कर रही है. इस सिलसिले में अडानी समूह अब अपनी विभिन्न कंपनियों के फॉरेन करेंसी बॉन्ड (Adani Group Foreign Currency Bonds) को खरीदने वाला है. इससे अडानी के शेयरों को सीधा फायदा पहुंच सकता है.


इस कंपनी के बॉन्ड से शुरुआत


ईटी में छपी एक खबर में मामले से जुड़े सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि अडानी समूह सरप्लस कैश और आंतरिक खातों की रकम का इस्तेमाल बॉन्ड को खरीदने में करने की योजना बना रहा है. इसकी शुरुआत अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन (Adani Ports & Special Economic Zone) के 650 मिलियन डॉलर के बॉन्ड को खरीदने से होगी. सूत्रों का कहना है कि अडानी समूह अपनी अन्य कंपनियों के बॉन्ड का भी मूल्यांकन कर रहा है और इसके बाद उन्हें भी खरीदा जा सकता है.


मार्च तिमाही में इतने बॉन्ड का भुगतान


अडानी समूह का यह कदम निवेशकों व कर्जदारों की चिंताएं दूर करने के लिए है. अडानी समूह ने इससे पहले मार्च तिमाही के दौरान कम से कम 3 बिलियन डॉलर का बॉन्ड चुकाया है. समूह ने जीक्यूजी पार्टनर्स से इक्विटी फंडिंग के रूप में मिले 1.88 बिलियन डॉलर और प्रवर्तक समूहों की अतिरिक्त 1 बिलियन डॉलर की फंडिंग का इस्तेमाल बॉन्ड का भुगतान करने में किया था. अडानी समूह बदली रणनीति के तहत समय से पहले बॉन्ड्स का भुगतान कर रहा है.


छुड़ाए गए इतने शेयर


अडानी समूह ने इस महीने की शुरुआत में एक फाइलिंग में शेयर बाजारों को बताया था कि समूह की चार कंपनियों अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड, अडानी पोर्ट्स एंड सेज लिमिटेड, अडानी ट्रांसमिशन लिमिटेड और अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के उन शेयरों को छुड़ाने के लिए कम से कम 2.54 बिलियन डॉलर खर्च किए गए हैं, जिन्हें प्रवर्तकों के द्वारा गिरवी रखा गया था. इसे किसी भी भारतीय समूह के द्वारा प्रवर्तकों के गिरवी रखे गए शेयरों को छुड़ाने के लिए एक तिमाही के दौरान किया गया अब तक का सबसे बड़ा भुगतान बताया जा रहा है.


यहां भी समूह ने किया भुगतान


इन सब के अलावा अडानी समूह ने मार्च तिमाही के दौरान बॉन्ड के अलावा कमर्शियल पेपर्स के बकाये का भी भुगतान किया था. अडानी समूह ने कम से कम 3,650 करोड़ रुपये के कमर्शियल पेपर्स का भुगतान किया था. ये कमर्शियल पेपर्स तीन घरेलू म्यूचुअल फंड्स को बेचे गए थे. इनमें एसबीआई म्यूचुअल फंड को 2,750 करोड़ रुपये, आदित्य बिड़ला सन लाइफ म्यूचुअल फंड को 500 करोड़ रुपये और एचडीएफसी म्यूचुअल फंड को 450 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था.


अडानी पर सबसे ज्यादा इनका बकाया


अडानी की कंपनियों पर कुल बकाया कर्ज में सबसे ज्यादा हिस्सा फॉरेन करेंसी बॉन्ड का है. ये बॉन्ड अडानी समूह की कंपनियों के कुल कर्ज के 39 फीसदी के बराबर हैं. इसके बाद सबसे ज्यादा कर्ज विदेशी और भारतीय बैंकों से मिले टर्म लोन के रूप में हैं.


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