अडानी समूह (Adani Group) के सामने जनवरी से ही लगातार चुनौतियां सामने आ रही हैं. इससे समूह की कंपनियों की वैल्यूएशन (Adani Group Companies Valuation) पर बुरा असर देखने को मिला है. जनवरी में हिंडनबर्ग की रिपोर्ट (Hindenburg Adani Report) आने के बाद हुए नुकसान से अब तक समूह उबर नहीं पाया है. हालांकि उसके बाद अडानी समूह ने कई बदम उठाए हैं, जो लगातार आ रही गिरावट को रोकने में कारगर साबित हुए हैं. समूह ने यह सिलसिला जारी रखते हुए मार्च तिमाही के दौरान गिरवी रखे शेयरों के बड़े हिस्से को छुड़ाया है.


चुकता हो गए ये वाले हिसाब


मिंट की एक खबर के अनुसार, अडानी समूह ने मार्च तिमाही के दौरान कम से कम 3 बिलियन डॉलर का बॉन्ड चुकाया है. इस तरह प्रवर्तकों के द्वारा गिरवी रखे गए समूह के शेयरों का हिस्सा और कम हुआ है. रिपोर्ट में मामले से सीधे तौर पर जुड़े दो लोगों के हवाले से बताया गया है कि अडानी समूह ने इसके अलावा तीन घरेलू म्यूचुअल फंड्स के बकाये को भी सुलटाया है.


इस रिपोर्ट से कम हुई थी वैल्यू


अडानी समूह के इस कदम को निवेशकों व कर्जदारों की चिंताएं दूर करने के उपायों से जोड़कर देखा जा रहा है. जनवरी महीने के आखिर में विवादास्पद हिंडनबर्ग रिपोर्ट सामने आने के बाद करीब एक महीने तक अडानी समूह के शेयरों में हर रोज भारी गिरावट आई थी. इससे अडानी समूह की कंपनियों का बाजार पूंजीकरण काफी कम हो गया था और गौतम अडानी दुनिया के सबसे अमीर लोगों की सूची में तीसरे स्थान से फिसलकर टॉप30 से बाहर हो गए थे. उसके बाद अडानी समूह अपने कर्जों का समय से पहले भुगतान करने में जुटा हुआ है. समूह का यह कदम कारगर साबित हुआ है और उसके शेयरों की गिरावट थम गई है.


यहां से मिले थे अडानी को फंड


ताजी खबर में दो लोगों के हवाले से बताया गया है कि अडानी समूह ने जीक्यूजी पार्टनर्स से इक्विटी फंडिंग के रूप में मिले 1.88 बिलियन डॉलर और प्रवर्तक समूहों की अतिरिक्त 1 बिलियन डॉलर की फंडिंग का इस्तेमाल बॉन्ड का भुगतान करने में किया है. इस तरह अडानी समूह ने समय से पहले बॉन्ड्स का भुगतान कर गिरवी रखे गए शेयरों को छुड़ाया है.


छुड़ाए गए इन कंपनियों के शेयर


अडानी समूह ने पिछले सप्ताह एक फाइलिंग में शेयर बाजारों को बताया था कि समूह की चार कंपनियों अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड, अडानी पोर्ट्स एंड सेज लिमिटेड, अडानी ट्रांसमिशन लिमिटेड और अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के उन शेयरों को छुड़ाने के लिए कम से कम 2.54 बिलियन डॉलर खर्च किए गए हैं, जिन्हें प्रवर्तकों के द्वारा गिरवी रखा गया था.


अडानी ने बदल दी है रणनीति


कहा जा रहा है कि यह किसी भी भारतीय समूह के द्वारा प्रवर्तकों के गिरवी रखे गए शेयरों को छुड़ाने के लिए एक तिमाही के दौरान किया गया अब तक का संभवत: सबसे बड़ा भुगतान है. संकटों में घिरने के बाद अडानी समूह ने अपनी कारोबारी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है. अब समूह सिर्फ विस्तार की योजनाओं पर पूरा ध्यान लगाने के बजाय कर्जों को कम करने को प्राथमिकता दे रहा है.


इन म्यूचुअल फंड्स को भी भुगतान


इतना ही नहीं बल्कि अडानी समूह ने मार्च तिमाही के दौरान बॉन्ड के अलावा कमर्शियल पेपर्स के बकाये का भी भुगतान किया है. खबर के अनुसार, अडानी समूह ने कम से कम 3,650 करोड़ रुपये के कमर्शियल पेपर्स का भुगतान किया है. ये कमर्शियल पेपर्स तीन घरेलू म्यूचुअल फंड्स को बेचे गए थे. इनमें एसबीआई म्यूचुअल फंड को 2,750 करोड़ रुपये, आदित्य बिड़ला सन लाइफ म्यूचुअल फंड को 500 करोड़ रुपये और एचडीएफसी म्यूचुअल फंड को 450 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है.


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