Privatisation: अडानी समूह को यकीन, गठबंधन सरकार में भी नहीं पड़ेगा निजीकरण पर कोई असर
Adani Group on Privatisation: बीते 10 सालों के दौरान निजीकरण पर जोर देने से अडानी समूह को अच्छा फायदा हुआ है. अभी समूह देश में 7 हवाईअड्डों के परिचालन को संभाल रहा है...
देश के प्रमुख कारोबारी घरानों में से एक अडानी समूह को लगता है कि केंद्र में गठबंधन सरकार बनने के बाद भी निजीकरण नहीं रुकने वाला है. समूह के अनुसार, भले ही केंद्र में एक बार फिर से गठबंधन की राजनीति का दौर वापस आ गया है, लेकिन उससे निजीकरण के सरकार के प्रयासों पर कोई खतरा नहीं है.
अडानी समूह के सीएफओ को ये यकीन
समूह के मुख्य वित्तीय अधिकारी रॉबी सिंह का मानना है- चाहे गठबंधन सरकार रहे या कोई और, भारत की संरचना बुनियादी तौर पर बदल चुकी है. अब भारत का उद्देश्य बड़ा है और वह इस सरकार या किसी भी राज्य की सरकार से बड़ा है. आप उसके साथ राजनीति नहीं करते हैं. अडानी समूह के सीएफओ देश में निजीकरण के बारे में ये इशारा कर रहे थे.
अडानी समूह के सीएफओ के अनुसार, पिछले दशक के दौरान पूंजीगत व्यय जीडीपी के 1.2 फीसदी से बढ़कर 3.3 फीसदी पर पहुंच गया है. उसी अवधि में सब्सिडी जीडीपी के 1.9 फीसदी के बराबर से कम होकर 1.6 फीसदी पर आ गई है. भारत के आधुनिक इतिहास के 75 सालों में पहली बार ऐसा हुआ है, जब पेट्रोलियम पर सब्सिडी पूरी तरह से समाप्त हो गई है. गठबंधन हो या नहीं हो, उत्पादकता की यह मुहिम रहने वाली है. मतलब निजीकरण जारी रहने वाला है.
गठबंधन सरकार के चलते उभरी ये आशंका
यह टिप्पणी इस लिहाज से अहम हो जाती है, क्योंकि 10 साल के अंतराल के बाद केंद्र में फिर से गठबंधन सरकार का दौर लौट आया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में 2014 में लंबे समय बाद देश में किसी एक पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी थी. उसके बाद 2019 के चुनाव में भी भाजपा अकेले बहुमत पाने में कामयाब रही थी. हालांकि इस साल हुए चुनाव के परिणाम में भाजपा अकेले बहुमत पाने से दूर रह गई और उसे तेलुगु देशम पार्टी व जनता दल यूनाइटेड जैसे क्षेत्रीय दलों की मदद से सरकार बनाना पड़ा है. ऐसे में आशंकाएं जताई जा रही हैं कि केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियां प्रभावित हो सकती हैं.
निजीकरण में हवाईअड्डों की अहम भूमिका
मोदी सरकार ने बीते दो कार्यकाल में आर्थिक सुधारों पर खूब जोर दिया है. बीते 10 साल में देश में कर सुधार समेत कई बड़े आर्थिक सुधार किए गए हैं. उनमें निजीकरण पर जोर देना भी शामिल है. सरकार के निजीकरण के प्रयासों में एविएशन सेक्टर की भूमिका अहम रही है और देश के कई बड़े एयरपोर्ट निजी हाथों में सौंपे गए हैं. हवाईअड्डों के निजीकरण से अडानी समूह को काफी फायदा हुआ है और अभी वह भारत में हवाईअड्डों का संचालन करने वाला सबसे बड़ा प्राइवेट प्लेयर है.
अडानी समूह के पास ये 7 हवाईअड्डे
अडानी समूह अभी देश में सात हवाईअड्डों का परिचालन संभाल रहा है. उनमें मुंबई, अहमदाबाद, लखनऊ, मंगलुरू, जयपुर, गुवाहाटी और तिरुवनंतपुरम शामिल हैं. उनके अलावा अडानी समूह के पास नवी मुंबई का ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट भी है, जिसके चालू वित्त वर्ष में पूरा हो जाने की उम्मीद है. अडानी समूह को लगता है कि आने वाले सालों में देश में और भी हवाईअड्डों का निजीकरण होने वाला है. इसके चलते समूह ने हवाईअड्डों के लिए बोलियां लगाने की रणनीति को बरकरार रखने की बात की है.
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