Adani-Hindenburg Case SC Verdict: अडानी-हिंडनबर्ग मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज आएगा और बुधवार सुबह 10.30 बजे सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने की उम्मीद है. 24 नवंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने अडानी-हिंडनबर्ग मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग की जनवरी 2023 में जारी की गई रिसर्च रिपोर्ट में अडानी ग्रुप की कंपनियों में गड़बड़ी के आरोप लगाए गए थे. सुप्रीम कोर्ट ने शेयर बाजार का रेग्युलेटर होने के नाते सेबी (सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) से ये पता लगाने को कहा था कि अडानी समूह की ओर से नियमों का उल्लंघन तो नहीं किया गया है. 


अडानी-हिंडनबर्ग मामले के तारीखवार अपडेट


24 जनवरी 2023 को शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह पर शेयरों के भाव को धोखाधड़ी कर बढ़ाने का आरोप लगाते हुए रिपोर्ट जारी की.


हिंडनबर्ग के आरोपों के बाद अडानी समूह के खिलाफ जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिकाएं दायर की गई.


सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च 2023 को सेबी को अडानी-हिंडनबर्ग मामले की जांच का आदेश दिया था.  


सुप्रीम कोर्ट ने छह सदस्यों की एक्सपर्ट कमेटी भी बनाई गई थी.


इसकी अध्यक्षता पूर्व जस्टिस एएम सप्रे को सौंपी गई थी.


मई 2023 में कोर्ट ने सेबी को तीन महीने के भीतर अडानी समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में लगाये गए आरोपों की जांच पूरी कर कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट जमा कराने को कहा.


सेबी ने हिंडनबर्ग-अडानी मामले में किए जांच की स्टेटस रिपोर्ट को कोर्ट में जमा कराया.


सेबी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि 24 मामलों में से 22 मामलों की रिपोर्ट फाइनल है जबकि 2 मामलों की जांच रिपोर्ट अंतरिम है. 


अडानी-हिंडनबर्ग मामले की जांच पर सुप्रीम कोर्ट ने 24 नवंबर-शुक्रवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. 


चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के साथ जेबी पर्दीवाला और मनोज मिश्रा की तीन सदस्यीय बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.


सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को 27 नवंबर तक लिखित दलीलें जमा करवाने को कहा था. 


अडानी समूह पर क्या आरोप लगे थे?


हिंडनबर्ग रिपोर्ट में कई आरोप लगाए गए जैसे कि गौतम अडानी और उनके समूह ने पैसे गलत तरीके से दुबई और मॉरीशस भेजे. फिर उन्हीं पैसों को वापस अडानी के शेयर में इन्वेस्ट किया गया और इसके जरिए शेयरों की कीमतों में उतार-चढ़ाव कराया गया और शेयरधारकों के हितों के साथ खिलवाड़ किया गया. याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने मांग की थी कि अडानी कंपनियों के शेयरों में हुए निवेश की जांच के साथ ये भी देखा जाए कि किसे क्या फायदा दिलाया गया. 


सुप्रीम कोर्ट में पिछली सुनवाई में क्या हुआ?


24 नवंबर को हुई आखिरी सुनवाई में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण से कहा कि कहा कि हम हिंडनबर्ग रिपोर्ट की हर बात को शाश्वत सत्य नहीं मान सकते. इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को जांच के लिए आदेश दिया था. जवाब में प्रशांत भूषण ने कहा कि सेबी ने सही जांच नहीं की है और इसी कारण से कोर्ट को देखना होगा कि शेयरधारकों के साथ कोई धोखा ना हो. 


याचिकाकर्ताओं का कहना था कि सेबी की गतिविधियां शक के दायरे में हैं. बाजार नियामक सेबी के पास 2014 से ही पूरी डिटेल हैं क्योंकि खुफिया निदेशालय ने 2014 में सेबी चीफ के साथ पूरी डिटेल्स साझा की थीं. फिर भी जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग रिपोर्ट सामने आने और मार्च में सुप्रीम कोर्ट के आदेश देने के बाद ही सेबी ने अडानी ग्रुप के खिलाफ जांच आगे बढ़ाई. 


सेबी के वकील की तरफ से क्या कहा गया


पिछली सुनवाई में सेबी की तरफ से वकील और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से तय समय सीमा में सेबी ने जांच पूरी कर ली. सेबी पर अवमानना का मामला भी नहीं बनता है जो आरोप लगाए गए थे कि सेबी तय समय में जांच पूरी नहीं कर पाया. 


क्या है पूरा मामला


अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने 24 जनवरी 2023 को अडानी समूह के ऊपर कई गंभीर आरोप लगाए थे. हिंडनबर्ग रिसर्च के कई सनसनीखेज आरोपों में से एक ये भी था कि शेयरों में पैसे लगाने वाले एफपीआई कहीं न कहीं अडानी समूह से जुड़े हुए हैं. इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद अडानी समूह के शेयर बाजार में लिस्टेड स्टॉक्स 85 फीसदी नीचे जा लुढ़के. इसके चलते निवेशकों को खासा नुकसान हुआ. 


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