Adani Ports & SEZ: ...तो सही थे हिंडनबर्ग के आरोप! अडानी की कंपनी पर गहराया संदेह, ऑडिटर को खल गई ये बात
Adani Ports Auditor Report: अडानी समूह को जनवरी में उस समय तगड़ा झटका लगा था, जब अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने उसके खिलाफ रिपोर्ट जारी की थी...
भारतीय अरबपति गौतम अडानी (Gautam Adani) और विभिन्न क्षेत्रों में कारोबार करने वाली उनकी कंपनियों की एक मुसीबत समाप्त नहीं होती है कि दूसरी शुरू हो जाती है. हिंडनबर्ग के आरोपों के बाद सेबी की जांच का सामना कर रहे अडानी समूह को अब एक नया झटका लगा है. यह झटका लगा है अडानी समूह की कंपनी अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन (Adani Ports & Special Economic Zone) को.
ऑडिटर को नहीं है पूरा भरोसा
दरअसल ताजा मामले में अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन (APSEZ) के ऊपर उसकी ऑडिटर कंपनी को ही पूरा भरोसा नहीं हो पा रहा है. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट की मानें तो अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन ने अपनी ऑडिटर कंपनी डिलॉयट हैसकिन्स एंड सेल्स एलएलपी (Deloitte Haskins & Sells LLP) को कुछ लेन-देन के बारे में पूरी जानकारी नहीं दी है.
इन 3 निकायों के साथ लेन-देन
रिपोर्ट के अनुसार, डिलॉयट हैसकिन्स एंड सेल्स एलएलपी ने अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन की तीन निकायों के साथ हुए लेन-देन पर मंगलवार को अपनी चिंताएं व्यक्त की. अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन का कहना है कि ये तीनों निकाय अनरिलेटेड पार्टीज हैं, यानी उनका कंपनी के साथ संबंध नहीं है. वहीं ऑडिटर का कहना है कि वह संबंधित निकायों के अनरिलेटेड पार्टी होने की बात को कंफर्म नहीं कर सकते हैं. ऑडिटर ने यह भी कहा कि स्वतंत्र बाहरी जांच कराने से इसे कंफर्म करने में मदद मिल सकती थी, लेकिन अडानी पोर्ट्स ने उसके लिए मना कर दिया.
पहली बार मिली सीमित समीक्षा
डिलॉयट हैसकिन्स एंड सेल्स एलएलपी का कहना है कि उसने जो मूल्यांकन किया है, उसमें ऑडिट के उद्देश्य को पूरा करने के लिए पर्याप्त जानकरियां नहीं थीं. ऐसे में ऑडिटर ने कहा कि कंपनी यानी अडानी पोर्ट्स पूरी तरह से स्थानीय कानूनों का पालन कर रही है नहीं, इस बारे में टिप्पणी कर पाना मुश्किल है. यह पहली बार है जब अडानी समूह को ऑडिटर से क्वालिफाइड ओपिनियन यानी सीमित समीक्षा मिली है.
हिंडनबर्ग ने लगाया था आरोप
अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने 24 जनवरी को जारी रिपोर्ट में अडानी समूह के ऊपर कई आरोप लगाए थे. हिंडनबर्ग के आरोपों में यह भी कहा गया था कि अडानी समूह की कंपनियों में शेल कंपनियों के जरिए पैसे लगाए गए हैं. यह मुद्दा भारत में राजनीतिक रंग भी ले चुका है. हिंडनबर्ग के आरोपों के बाद अडानी समूह को भारी नुकसान हुआ है, जिसकी भरपाई अब तक नहीं हो पाई है. दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में बाजार नियामक सेबी अडानी समूह पर हिंडनबर्ग रिसर्च के द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच कर रहा है.
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