Housing Prices In India: महानगरों में रहने वाले हर किसी का सपना होता है कि उसका भी अपना एक अदद आशियाना हो. सपनों का घर ऐसी जगह हो जो दफ्तर से ज्यादा दूर हो और बच्चों को स्कूल-कॉलेज आने-जाने में भी घर से सहुलियत हो. घर का पास शॉपिंग मॉल से लेकर सभी सुविधाएं उपलब्ध हो. पर क्या आप जानते हैं देश के महानगरों में घर खरीदने का सपना आम लोगों से दूर होता जा रहा है. महामगरों में घर या फ्लैट खरीदना सपना बनकर रह गया है. रियल एस्टेट कंपनियां अब जो हाउसिंग प्रोजेक्ट्स महानगरों में लॉन्च कर रही हैं वो आम लोगों के बजट से बाहर होता जा रहा है. हाउसिंग कंपनियों का फोकस अब अफोर्डेबल हाउसिंग लॉन्च करने पर नहीं बल्कि लग्जरी हाउसिंग प्रोजेक्ट्स लॉन्च करने पर है.
घट रही अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट्स की संख्या
आपको आंकड़े के जरिए समझाते हैं. रियल एस्टेट कंसलटेंट एनारॉक के रिपोर्ट के मुताबिक रियल एस्टेट मार्केट के लिहाज से देश के सात टॉप शहरों में 2023 की पहली तिमाही में अफोर्डेबल हाउसिंग की हिस्सेदारी में 20 फीसदी की गिरावट आई है. इस अवधि में 1.14 लाख नए हाउसिंग यूनिट्स बिके हैं उसमें अफोर्डेबल हाउसिंग की संख्या केवल 23,110 है. जबकि 2019 में उसकी हिस्सेदारी 40 फीसदी के करीब थी. पिछले साल दिल्ली एनसीआर में 53,710 हाउसिंग यूनिट्स बिके थे उसमें 15 फीसदी हाउसिंग यूनिट्स 1.5 करोड़ रुपये से ज्यादा वाले लग्जरी यूनिट्स थे. जबकि 2019 में लग्जरी घरों की हिस्सेदारी कुल बिके 46,910 यूनिट्स में केवल 3 फीसदी थी. 2019 में लॉन्च किए गए नए हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में 12 फीसदी घरों की कीमत 1.5 करोड़ रुपये से ज्यादा थी. जबकि 2022 में लॉन्च हुए कुल 25,660 यूनिट्स में 27 फीसदी यूनिट्स 1.5 करोड़ रुपये से ज्यादा कीमत वाली थी. महंगे होम लोन के बावजूद 3.5 करोड़ रुपये से महंगे कीमत वाले अल्ट्रा-लग्जरी घरों की मांग ज्यादा रहने की उम्मीद है. 2020 के बाद से लग्जरी हाउसिंग सेगमेंट वाले प्रोजेक्ट की लॉन्चिंग 9 गुना बढ़ी है.
मुंबई में लग्जरी हाउसिंग प्रोजेक्ट्स पर फोकस
मुंबई में तो लग्जरी हाउसिंग प्रोजेक्ट्स की मांग में जबरदस्त बढ़ोतरी आई है. 2022 में 3 करोड़ रुपये से ज्यादा कीमत वाले हाउसिंग यूनिट्स की लॉन्चिंग में 76 फीसदी की बढ़ोतरी आई है. जबकि 3 से 5 करोड़ वाले यूनिट्स की लॉन्चिंग में 147 फीसदी बढ़ी है. 10 से लेकर 20 करोड़ करोड़ या उससे ज्यादा कीमत वाल हाउसिंग यूनि्टस की लॉन्चिंग में 142 फीसदी का उछाल आया है तो 5 से 10 करोड़ वाले यूनिट्स की लॉन्चिंग में 19 फीसदी का उछाल आया है.
बिल्डर्स ने अफोर्डेबल हाउसिंग से किया तौबा!
रियल एस्टेट कंपनियां अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट्स से इन दिनों तौबा कर चुकी हैं. हाउसिंग कंपनियों का फोकस अब अफोर्डेबल हाउसिंग लॉन्च करने पर नहीं बल्कि लग्जरी हाउसिंग प्रोजेक्ट्स लॉन्च करने पर है. और जो 50 से 60 लाख रुपये कीमत वाले हाउसिंग प्रोजेक्ट्स लॉन्च हुए भी हैं तो वे शहर से इतने दूर हैं कि वहां परिवार के साथ रहना संभव नहीं है. उन इलाकों में ट्रांसपोर्टेशन का संकट है तो बेहतर स्कूल कॉलेजों से लेकर अस्पतालों का भी अभाव है. ऐसे में सवाल पैदा होता कि मेट्रो शहरों में जो लोग लग्जरी घर अफोर्ड नहीं कर सकते उनके घर का सपना कैसे पूरा होगा?
सरकार को उठाने होंगे ये कदम
रियल एस्टेट कंपनियों द्वारा लग्जरी हाउसिंग प्रोजेक्ट्स लॉन्च करने की कई वजह है. जिसमें प्रमुख है कि सरकार ही महंगे दामों पर शहरों में जमीन बेच रही है. जिसके चलते बिल्डर्स के लिए अफोर्डेबल घर बनाना संभव नहीं है. ऐसे में अफोर्डेबल हाउसिंग को बढ़ावा देने के लिए ये जरुरी है कि राज्य सरकारें ऊंचे दामों पर जमीनें बेचना बंद करे. या फिर कुछ जमीनें केवल अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के लिए ही बेचे. जानकारों का मानना है कि सरकार को अफर्डोबल हाउसिंग के कैटगरी की भी समीक्षा करने की जरुरत है,. मौजूदा समय में अफर्डोबल हाउसिंग की लिमिट 45 लाख रुपये है जिसे बढ़ाना चाहिए क्योंकि इस कीमत पर शहर की भीतर तो घर मिलने से रहा. साथ ही सरकार को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के जरिए अफोर्डेबल हाउसिंग को बढ़ाना देने के लिए फंडिंग बढ़ाना चाहिए जिससे एक बड़े तबके का मेट्रो शहरों में रहने का सपना पूरा हो सके.
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