Real Estate Sector: रियल एस्टेट दिग्गज निरुपा शंकर ने जीरोधा के निखिल कामथ को बताया, क्यों सस्ते घर बनाना हुआ मुश्किल!
Affordable Housing: कोविडकाल के बाद से अफोर्डेबल सेगमेंट वाले हाउसिंग की लॉन्चिंग घटी है तो कम डिमांड के चलते सेल्स में भी गिरावट आई है.

India Real Estate Market: क्या जमीन के कीमतों में तेज उछाल के चलते 50 लाख रुपये कम दाम वाले अफोर्डेबल घर खरीदने का सपना होमबायर्स से दूर होता जा रहा है? जीरोधा (Zerodha) के को-फाउंडर निखिल कामथ (Nikhil Kamath) के पॉडकास्ट में रियल एस्टेट कंपनी ब्रिगेड एंटरप्राइजेज की ज्वाइंट एमडी निरूपा शंकर (Nirupa Shankar) ने इसी ओर इशारा किया है. उन्होंने बताया कि अफोर्डेबल सेगमेंट का घर बनाना बहुत मुश्किल हो गया है.
क्यों कठिन हुआ अफोर्डेबल घर बनाना ?
निखिल कामथ के पॉडकास्ट (WTF is with Nikhil Kamath) के लेटेस्ट एपिसोड (WTF are Indian Real Estate Giants Up To?) में रियल एस्टेट सेक्टर के दिग्गज प्रेस्टीज ग्रुप के चेयरमैन और एमडी इरफान रज्जाक, ब्रिगेड एंटरप्राइजेज की ज्वाइंट एमडी निरूपा शंकर और वीवर्क इंडिया के सीईओ करण वीरवानी शामिल हुए. अफोर्डेबल हाउसिंग के मुद्दे पर निरुपा शंकर ने कहा, अफोर्डेबल हाउसिंग बनाना सबसे कठिन हो चुका है. 45 लाख रुपये से लेकर 60 लाख रुपये तक की कीमतों वाले घरों को अफोर्डेबल हाउसिंग बताया जाता है. लेकिन जिस प्रकार जमीन की कीमतें बढ़ रही हैं अफोर्डेबल हाउसिंग का निर्माण करना बेहद मुश्किल हो चुका है. उन्होंने अक्टूबर महीने के पहले हफ्ते में आए नाईट फ्रैंक इंडिया (Knight Frank India) के रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि अफोर्डेबल हाउसिंग में 50 फीसदी की गिरावट आई है.
क्या बदल गई अफोर्डेबल घरों के सेगमेंट की परिभाषा!
नाईट फ्रैंक के मुताबिक कुल हाउसिंग यूनिट्स के सेल्स में 46 फीसदी हिस्सेदारी 1 करोड़ रुपये या उससे ज्यादा कीमत वाले घरों का है. 50 लाख से 1 करोड़ रुपये के बीच की कीमत वाले घरों की कुल हाउसिंग सेल्स में हिस्सेदारी 30 फीसदी, जबकि 50 लाख रुपये से कम कीमत वाले घरों की सेल्स की हिस्सेदारी 24 फीसदी है. निरुपा शंकर ने कहा कि बिल्डर्स 3 करोड़ रुपये से ज्यादा कीमत वाले घरों को ही लग्जरी सेगमेंट का घर मानते हैं. 1.3 से 3 करोड़ रुपये घर अपर मिड-प्रीमियम कैटगरी में आते हैं और इससे कम कीमत वाले घर अफोर्डेबल सेगमेंट में आते हैं.
क्यों घट रही अपोर्डेबल घर की डिमांड!
नाईट फ्रैंक इंडिया ने अपने रिपोर्ट में बताया कि 2024 की तीसरी तिमाही जुलाई से सितंबर के दौरान 50 लाख रुपये या उससे कम कीमत वाले घरों की सेल्स में 14 फीसदी की गिरावट आई है. इस सेगमेंट के घरों की कुल 20,769 यूनिट्स बिकी है जो 2023 की तीसरी तिमाही में 23,026 यूनिट्स रही थी. इसकी मुख्य वजह घरों की कीमतों में उछाल, होम लोन की महंगी ब्याज दरें, डिमांड में कमी है. नाईट फ्रैंक इंडिया के मुताबिक घरों की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते इस प्राइस सेगमेंट के होमबायर्स ने बाजार से दूरी बना रखी है तो अफोर्डेबल सेगमेंट वाले घरों की कम लॉन्चिंग के साथ सप्लाई में कमी के चलते भी इस सेगमेंट के घरें कम बिक रही है.
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