Tata Deal: टाटा ग्रुप (Tata Group) ने एयर इंडिया (Air India) के बाद एक और सरकारी कंपनी नीलांचल इस्पात निगम लिमिटेड (NINL) को अपने नाम कर लिया है. NINL के प्राइवेटाइजेशन से जुड़ी प्रक्रिया पूरी हो गई है. अब NINL स्टील का कंट्रोल टाटा ग्रुप (Tata Group) की कंपनी टीएसएलपी (TSLP) के हाथों में है. इस बारे में वित्त मंत्रालय की तरफ से जानकारी दी गई है.
टाटा के पास 140 देशों में 96 कम्पनियां
मालूम हो कि अभी हाल ही में एयर इंडिया (Air India) के प्राइवेटाइजेशन कर टाटा ग्रुप ने टेक ओवर कर लिया है. इसके बाद टाटा समूह के पास कुल 96 कम्पनियां 7 अलग-अलग व्यवसायिक क्षेत्रों में सक्रिय हैं. इन 96 में से केवल 28 publicly listed कम्पनियाँ हैं. टाटा समूह 6 महाद्वीपों के 40 से भी अधिक देशों में कार्य कर रही है. टाटा समूह दुनिया के 140 से भी अधिक देशों को सेवाएँ दे रही है.
दूसरा सबसे बड़ा प्राइवेटाइजेशन
मौजूदा मोदी सरकार के कार्यकाल में यह दूसरा बड़ा प्राइवेटाइजेशन हुआ है. इससे पहले टाटा ग्रुप ने ही एयर इंडिया की बोली जीती थी. इस बार भी टाटा ग्रुप (Tata Group) की कंपनी टाटा स्टील लॉन्ग प्रोडक्ट्स (TSLP) ने एनआईएनल (NINL) के लिए आमंत्रित की गई बोलियों में विजेता घोषित हुई. घाटे में चल रही NINL के लिए टाटा ग्रुप की टाटा स्टील लॉन्ग प्रोडक्ट्स (TSLP) ने 12,100 करोड़ रु की बोली लगाई थी. कंपनी का आरक्षित मूल्य 5,616.97 करोड़ रु था. बोली इसके दो गुने से भी अधिक की रही है.
93.71% शेयर ट्रांसफर
NINL का सौदा ISLP को 93.71 % शेयरों का ट्रांसफर होने का प्रोसेस आज पूरा हो गया है. NINL सार्वजनिक क्षेत्र की 4 कंपनियों MMTC, NMDC, BHEL और Macon के अलावा ओडिशा सरकार की दो इकाइयों OMC और epicol का जॉइंट वेंचर है.
कब खरीदे थे शेयर
NINL इस्पात कंपनी में MMTC के पास सबसे ज्यादा 49.78 % हिस्सेदारी थी. वहीं एनएमडीसी के पास 10.10 %, बीएचईएल के पास 0.68 % और मेकॉन के पास 0.68 % हिस्सेदारी थी. ओडिशा सरकार की कंपनियों के पास क्रमशः 20.47 % एवं 12 % हिस्सेदारी थी. NINL के लिए लगाई बोली में टाटा ग्रुप की कंपनी के विजेता बनकर उभरने के बाद 10 मार्च को शेयर खरीद समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.
खरीदारी से सरकारी खजाने में कुछ नहीं गया
आपको बता दे इस समझौते में परिचालन लेनदार, कर्मचारियों और विक्रेताओं के बकाया संबंधी शर्तों को पूरा किया गया है. इस कंपनी में सरकार के पास कोई हिस्सेदारी नहीं होने से इसकी बिक्री से सरकारी खजाने में कोई लाभ नहीं हुआ है.