(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Rice Export: देश में चावल निर्यात पर बैन का असर, बंदरगाहों पर फंसे 10 लाख टन माल, देखें क्या है कारण
Rice Export Ban: चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. अब इसे विदेशी बाजार में भेजने पर 20% अतिरिक्त शुल्क चुकाना पड़ेगा.
Rice Export Ban In India 2022 : केंद्र की मोदी सरकार ने देश में चावल के निर्यात पर रोक लगा रखी है. इसके बाद भारतीय पोर्ट पर लगभग 10 लाख टन चावल की खेप फंस गई है. वही विदेशी चावल खरीदारों ने अतिरिक्त शुल्क देने से इनकार कर दिया है.
क्या है वजह
भारतीय निर्यातकों के लिए अभी मुश्किल भरा दौर हैं. केंद्र सरकार ने घरेलू बाजार में चावल की कीमतें बढ़ने से रोकने के लिए ऐसा फैसला किया है. चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था और इसे विदेशी बाजार में भेजने पर 20 फीसदी अतिरिक्त शुल्क चुकाना पड़ेगा. निर्यातकों के अनुसार विदेशी खरीदारों ने चावल आयात पर 20 फीसदी अतिरिक्त शुल्क देने से मना कर दिया है. अब 10 लाख टन चावल पोर्ट पर ही फंस गए हैं.
20 लाख टन निर्यात
देश में हर महीने लगभग 20 लाख टन चावल का निर्यात किया जाता है. इसमें सबसे ज्यादा लोडिंग आंध्र प्रदेश के पूर्वी पोर्ट ककिनडा और विशाखापत्तनम से की जाती है. देश के सबसे बड़े चावल निर्यातक सत्यम बालाजी के कार्यकारी निदेशक हिमांशु अग्रवाल का कहना है कि अमूमन सरकार निर्यात पर रोक लगाने के बावजूद पहले से करार हुए चावल को भेजने की अनुमति दे देती थी, इस बार ऐसा नहीं हुआ है.
कई देश हुए परेशान
भारत दुनिया के 150 देशों को चावल का निर्यात करता है. इसके शिपमेंट में कमी आने का असर ग्लोबल मार्केट (Global Market) में बढ़ती कीमतों पर पड़ेगा. भारतीय चावल निर्यातक संगठन (Indian Rice Exporters Organization) के अध्यक्ष बीवी कृष्ण राव का कहना है कि सरकार ने तो तत्काल प्रभाव से शुल्क लगाया है. लेकिन इसके लिए खरीदार तैयार नहीं थे.
फिलहाल हमने चावल का लदान रोक दिया है. दुनिया के सबसे बड़े चावल निर्यातक देश भारत के रोक लगाने के बाद अब पड़ोसी देशों सहित दुनियाभर के चावल आयातक देशों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. यह रोक मॉनसून की बारिश कम होने और घरेलू बाजार में सप्लाई में कमी आने से रोकने के लिए लगाई गई है.
20 फीसदी अतिरिक्त शुल्क
बीवी कृष्ण राव ने कहा कि चावल के कारोबार में अब मार्जिन काफी कम रह गया है, लेकिन निर्यातक 20 फीसदी का अतिरिक्त शुल्क नहीं झेल सकते हैं. लिहाजा सरकार को पहले से करार हुए चावल को बाहर भेजने की अनुमति देनी चाहिए. दरअसल, इस साल गेहूं निर्यात पर रोक लगाने के बावजूद सरकार ने पहले से हुए करार को भेजने की इजाजत दी थी.
देखें प्रतिबंध का असर
निर्यातकों का कहना है कि प्रतिबंध के बाद पोर्ट पर करीब 7.5 लाख टन सफेद चावल फंसे पड़े हैं, जिन पर 20 फीसदी अतिरिक्त शुल्क चुकाया जाना है. इसके अलावा 3.5 लाख टन टूटे चावल की खेप भी देश के कई पोर्ट पर फंसी पड़ी है. आयातकों ने भी 20 फीसदी शुल्क देने से इनकार कर दिया है. अब यह खेप विदेश में भेजने में काफी मुश्किलें हैं.
इन देशों में होता है निर्यात
मालूम हो कि भारतीय पोर्ट पर फंसे चावल का निर्यात चीन, सेनेगल जैसे देशों को होना था. इसमें सबसे ज्यादा शिपमेंट टूटे चावल का था. वहीं, बेनिन, श्रीलंका, टर्की और यूएई को सफेद चावल का निर्यात किया था. निर्यातकों ने सरकार से पहले से करार हुए चावल को भेजने की अनुमति देने की मांग की है. इसमें 7.5 लाख टन सफेद चावल और 5 लाख टन टूटे चावल की खेप है.
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