एशिया की सबसे बड़ी और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन इन दिनों मुश्किलों में है. लंबे समय तक वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए इंजन की भूमिका निभाने वाले चीन को पहले डिफ्लेशन की चुनौती परेशान कर रही थी. अभी डिफ्लेशन से पार पाने का रास्ता भी नहीं मिला था कि बेरोजगारी ने चिंताएं बढ़ा दी है.


इतनी हो गई जून में बेरोजगारी दर


न्यूज एजेंसी एएफपी की एक ताजी रिपोर्ट बताती है कि हाल के समय में हर महीने बेरोजगारी नया रिकॉर्ड बना रही है. जून महीने के आंकड़े बताते हैं कि चीन में 16 से 24 साल के हर 100 युवाओं में करीब 21 लोगों के पास काम नहीं है. इस एज ग्रुप में बेरोजगारी की दर जून महीने के दौरान बढ़कर 21.3 फीसदी पर पहुंच गई.


नए रिकॉर्ड पर युवाओं की बेरोजगारी


16 से 24 साल के युवाओं के मामले में बेरोजगारी अभी रिकॉर्ड उच्च स्तर पर है. इससे पता चलता है कि वैसे युवाओं को नौकरी मिलने में परेशानी हो रही है, जिनके पास या तो अनुभव नहीं है या कम है. मतलब चीन के युवाओं के लिए पहली या दूसरी-तीसरी नौकरी खोज पाना अभी टेढ़ी खीर हो गई है. इस साल और पीछे जाकर देखें तो पता चलता है कि जनवरी से ही हर महीने इस एज ग्रुप में बेरोजगारी की दर बढ़ रही है.


सरकार ने बंद किया आंकड़ों का प्रकाशन


हाल ही में चीन में सरकार को भी बेरोजगारी के कारण आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. चीन ने बेतहाशा बढ़ती बेरोजगारी के कारण युवाओं की बेरोजगारी के आंकड़े बताने वाली रिपोर्ट का प्रकाशन बंद कर दिया. बताया जा रहा है कि जून में युवाओं की बेरोजगारी की दर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाने के बाद सरकार ने शर्मिंदगी छिपाने के लिए यह कदम उठाया है.


बेरोजगारी से पहले डिफ्लेशन का संकट


युवाओं की बेरोजगारी का यह संकट ऐसे समय आया है, जब चीन को अप्रत्याशित तरीके से डिफ्लेशन की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. चीन में महंगाई की दर जुलाई महीने में कम होकर 0.3 फीसदी पर आ गई. महंगाई में इस तरह की गिरावट की स्थिति को डिफ्लेशन कहा जाता है. डिफ्लेशन के साथ समस्या है कि इसका मुख्य कारण डिमांड का एक दम कमजोर पड़ जाना होता है.


इस कारण खतरनाक है महंगाई


चूंकि बाजार में मांग नहीं बची है, ऐसे में सामानों के दाम तेजी से कम हो रहे हैं और यही कारण है कि महंगाई दर शून्य के बेहद करीब पहुंच गई है. ऐसे में चीन की सरकार बाजार में मांग पैदा करने के लिए विभिन्न उपायों पर गौर कर रही है. अगर डिफ्लेशन की चुनौती से सरकार ने जल्द पार नहीं पाया तो चीन की अर्थव्यवस्था पर इसका काफी बुरा असर हो सकता है और उसकी आर्थिक वृद्धि दर में भारी गिरावट आ सकती है.


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