नई दिल्ली: नोटबन्दी के बाद मोदी सरकार की सख्ती का नतीजा दिखने लगा है. आंकड़ों के मुताबिक़ अब तक 2 लाख 24 हज़ार ऐसी कम्पनियां बन्द हो चुकी हैं जिनमे 2 साल या उससे ज़्यादा समय से कोई कारोबार नहीं हो रहा था. इन कम्पनियों के कई बैंक खाते भी सील कर दिए गए हैं क्योंकि इन खातों से काला धन को सफ़ेद करने का खेल चल रहा था.


मोदी सरकार की सख्ती का असर

ये सब सम्भव हुआ है नोटबन्दी के बाद सरकार की सख्ती और जांच के चलते. सरकारी एजेंसियों जैसे केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, वित्तीय खुफिया यूनिट और रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया की जांच में ये खुलासा हुआ है.

सरकारी जांच में कुछ और भी चौकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. 35000 अन्य कम्पनियों के 58000 बैंक खातों की जांच से पता चला है कि नोटबन्दी के बाद इन खातों में 17000 करोड़ रुपये से ज़्यादा की रक़म का लेन देन हुआ, यानी पैसा जमा भी हुआ और उसे निकाल भी लिया गया.

एक ऐसी कम्पनी का भी पता चला जिसके खाते में 8 नवम्बर 2016 ( नोटबन्दी ) के पहले निगेटिव ओपनिंग अमाउंट था लेकिन उसके बाद उस खाते में 2484 करोड़ रुपये डाले और निकाले गए. इस बात की जांच की जा रही है कि अचानक इस कम्पनी में इतने पैसे कहाँ से आये ? शक है कि ये पैसे नोटबन्दी के दौरान काले पैसे को जमा कर सफेद करने के लिए इस्तेमाल किये गए थे. ऐसी ही एक कम्पनी के 2134 बैंक खातों का पता चला है.

नोटबन्दी की सालगिरह पर विपक्ष के हमलों का सामना कर रही मोदी सरकार के लिए ये आंकड़े राहत ले कर आई है.

निदेशकों के खिलाफ भी कार्रवाई

सरकारी एजेंसियों ने उन कम्पनियों के निदेशकों के खिलाफ भी कार्रवाई शुरू की है जिन कम्पनियों ने 2013 -14 और उसके बाद लगातार 3 साल तक अपना सालाना रिटर्न नहीं भरा है. अब तक ऐसे क़रीब 3 लाख 9 हज़ार निदेशकों के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है. इनमे 3000 के करीब ऐसे लोग पाए गए हैं जो 20 से भी ज़्यादा कम्पनियों में निदेशक थे जो नियमों के खिलाफ है.

कार्रवाई के लिए पीएमओ ने बनाई टास्क फोर्स
ऐसी कंपनियों पर कार्रवाई के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से विशेष टास्क फोर्स बनाई गई है. टास्क फोर्स के अध्यक्ष रेवेन्यू और कंपनी मामलों के सचिव हैं. ये एसटीएफ फर्जी कंपनियों के खिलाफ अभियान चलाएगी. अभी तक एसटीएफ की पांच बैठकें हुईं और कई फर्जी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई हुई है जिससे काला धन नितालने में मदद मिलेगी.


रिटर्न दाखिन ना करने वाली कंपनियों के डायरेक्टर अयोग्य घोषित
2013-14 से 2015-16 तक लगातार जिन कंपनियों ने वित्तीय स्टेटमेंट या एनुअल रिटर्न दाखिल नहीं किए हैं उनके निदेशकों को अयोग्य घोषित करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है. प्राथमिक जानकारी के मुताबिक 3000 से ज्यादा अयोग्य घोषित किए गए निदेशक 20-20 से ज्यादा कंपनियों के निदेशक हैं जो कानून के खिलाफ है.