चौंकाने वाली खबरः नोटबंदी के बाद घटा डेबिट-क्रेडिट कार्ड से लेनदेन
नई दिल्लीः नोटबंदी के बाद डेबिट कार्ड और क्रेडिट खार्ड से प्वाइंट ऑफ सेल्स यानी पीओएस मशीन के जरिए औसतन करीब 1700 रुपये की खरीदारी हुई जबकि अक्टूबर के महीने मे ये रकम 22 सौ रुपये से भी ज्यादा थी. दूसरी ओर पीओएस के जरिए डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड से लेन-देन की संख्या जरुर बढ़ी, लेकिन कीमत की बात करें तो नवम्बर में कुल रकम फरवरी के बाद सबसे कम थी.
नोटबंदी के बाद बाजार में खरीदारी कम होने की बात तो कई बार सामने आयी, अब उसके कुछ पक्के सबूत भी दिख रहे हैं. क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड से प्वाइंट ऑफ सेल्स यानी पीओएस मशीन के जरिए की गयी खरीदारी को लेकर भारतीय स्टेट बैंक की एक ताजा रिसर्च रिपोर्ट बताती है कि
- अक्टूबर के महीने में क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड के जरिए पीओएस मशीन पर 51 हजार 121 करोड़ रुपये के लेन-देन हुए जो नवम्बर में घटकर 35 हजार 240 करोड़ रुपये पर आ गया.
- दिसम्बर के महीने में 13 दिसम्बर तक कुल 18 हजार 130 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ
- औसत लेन-देन की बात करें तो अक्टूबर के महीन में रकम 2229 रुपये थी जो नवम्बर में घटकर 1714 रुपये औऱ दिसम्बर में 1643 रुपये हो गयी.
जानकारों की राय में डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड से लेन-देन में कमी इस बात का सबूत है कि लोग बेहद जरुरी चीजों को छोड़ बाकी खर्च को टाल रहे हैं, जिसका असर आने वाले दिनों में आर्थिक विकास पर देखने को मिलेगा.
इंडिया रेटिंग्स के चीफ इकोनॉमिस्ट, डी के पंत ने कहा कि नकदी राशन किए जाने के बाद लोग भले ही डेबिट या क्रेडिट कार्ड से खरीदारी करने में हिचक रहे हो, लेकिन मोबाइल बैंकिंग के जरिए लेन-देन में तेजी दिख रही है. रिपोर्ट बताती है कि मोबाइल बैंकिंग के जरिए अक्टूबर में औसत लेन देन 14 हजार 536 रुपये था वो नवम्बर में बढ़कर 17 हजार 207 रुपये पर पहुंच गया.
मोबाइल बैंकिंग में तेजी की एक बड़ी वजह ये है कि अब ऐसी बैकिंग के लिए केवल स्मार्टफोन का होना जरुरी नहीं रह गया है. आम फोन यानी फीचर फोन पर भी आसानी से स्टार 90 हैशटैग डायल कर अपने बैंक खाते से लेन-देन मुमकिन हो गया है. गौर करने की बात है कि देश मे इस्तेमाल होने वाले 100 फोन में करीब 60 से 65 फीचर फोन होते हैं जबकि बाकी स्मार्ट फोन हैं.
फिलहाल, गौर करने की बात ये है कि मोबाइल बैंकिंग में जो तेजी दिख रही है, उसमे मोबाइल वॉलेट या ई-वॉलेट का कोई योगदान नही है. दरअसल, ई-वॉलेट को प्रीपेड इंस्ट्रूमेंट के नाम से अलग समूह में रखा जाता है. वहीं आम धारणा के उलट पीपीआई से लेन-देन में कमी आय़ी है. इसकी एक वजह ये है कि अभी भी इन माध्यमो को लेकर लोग बहुत ज्यादा आश्वस्त नहीं हो पाए हैं.
फिलहाल, एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि डिजिटल लेन-देन की संभावनाओं में कोई कमी नहीं है. अब इन संभावनाओं को भुनाने के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं, जैसे डिजिटल माध्यमो से खरीदारी में ग्राहकों को डिस्काउंट, सर्विस टैक्स में रियायत और व्यापारियो को जीएसटी में कुछ प्रोत्साहन. सरकार पहले ही छूट का ऐलान कर चुकी है जबकि सर्विस टैक्स में छूट दी गयी है.