GST के बाद महंगी होंगी दवाइयां: जानें दवाइयों पर कितना बढ़ा टैक्स
नई दिल्लीः नए टैक्स सिस्टम GST में दवाइयों पर टैक्स बढ़ने वाला है. कई तरह की दवाइयां महंगी होने वाली है. लेकिन इससे पहले ही बाजार में दवाइयों की कमी होने लगी है. एबीपी न्यूज ने पड़ताल की तो पता चला की दवाइयों के दुकानदार GST के बाद नुकसान की आशंका की वजह से स्टॉक्स कम रख रहे हैं. और मरीजों को दवाइयां नहीं मिल पा रही हैं.
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जीएसटी की वजह से दवा बाजार पर क्या असर होगा. इसका जवाब दिल्ली में दवा की दुकान पर लगे एक नोटिस से मिल सकता है जिसमें लिखा है कि जीएसटी की वजह से दवाइयों की कमी है. खरीदी गई दवाई वापस भी नहीं ली जाएगी.
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दवा विक्रेता संघ के अध्यक्ष कैलाश गुप्ता ने कहा कि दुकानों पर दवाइयों की ये कमी जून महीने में तब से शुरू हुई जब से जीएसटी लागू होने की तारीख तय हुई है. छोटे दुकानदारों का मानना है कि जीएसटी की वजह से दवाइयों पर लगने वाले टैक्स में इजाफा होगा. इस वजह से उन्होंने दुकान में ज्यादा स्टॉक नहीं रखा ताकि नुकसान कम से कम हो. नतीजा ये कि दवाइयों की किल्लत हो गई.
- आपको बता दें कि जीएसटी लागू होने के बाद जिन दवाइयों पर अभी तक 5 फीसदी टैक्स लगता था अब वो 12 फीसदी हो जाएगा.
- बेबी फूड़्स प्रोडक्ट्स और सप्लीमेंट्स पर जो अब तक 12 फीसदी टैक्स के दायरे में आते थे अब 18 फीसदी टैक्स उन पर लगेगा.
- कॉस्मेटिक प्रोडक्टस पर टैक्स तो 12 फीसदी से बढ़कर 28 फीसदी तक पहुंच जाएगा.
देश भर में दवाइयों की कमी की पड़ताल को पूरी करने के लिए दवा दुकानदारों और सप्लायर्स से बातचीत करने पर पता चला कि जून महीने में डिस्ट्रीब्यूटर्स ने मेडिकल कंपनी से दवाइयां कम ली. मुंबई में 1500 से ज्यादा मेडिकल स्टोर पर दवाई सप्लाई करने वाले नॉर्थ वेस्ट फार्मा हब के मालिक के मुताबिक इसी वजह से मेडिकल स्टोर पर भी दवाइयों की कमी सामने आई.
जानें क्यों और कितना बढ़ा दवाओं पर टैक्स- राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण-नेशनल फार्मा प्राइसिंग पॉलिसी (एनपीपीए) ने भी टैक्स बढ़ाने की इजाजत दे दी है, मौजूदा समय में जरूरी दवाओं पर 9 फीसदी टैक्स लगता है लेकिन नए फार्मूले के तहत सीलिंग प्राइस नए सिरे से रिवाइज्ड किया जाएगा, जिस पर जीएसटी के तहत 12 फीसदी टैक्स लगेगा.
- 12 फीसदी जीएसटी से दवाओं की कीमत पहले से करीबन 2.5 फीसदी तक बढ़ जाएगी.
- जरूरी दवाओं पर अभी कुल मिलाकर 9 फीसदी टैक्स लगते हैं लेकिन एनपीपीए (नेशनल फार्मा प्राइसिंग पॉलिसी) के नए फार्मूले के तहत 65 फीसदी जरूरी दवाओं के एमआरपी पर छह फीसदी एक्साइज ड्यूटी कम होगी. ये ये एनपीपीए की वेबसाइट पर जारी नोटिफिकेशन में बताया गया है.
- इसके अलावा सीलिंग प्राइस पर 5 फीसदी लगने वाला लोकल टैक्स हट जाएगा. पुराने एमआरपी से ये दोनों वैल्यू घटाने के बाद जो कीमत होगी, वह नया सीलिंग प्राइस होगा इस प्राइस पर 12 फीसदी जीएसटी टैक्स लगेगा, यही फाइनल एमआरपी होगा.
- जीएसटी में जीवन रक्षक दवाओं पर 5 फीसदी टैक्स लगेगा. - इनमें मलेरिया, एचआईवी-एड्स, टीबी और डायबिटीज की दवाएं आती हैं. वहीं दवाइयों के कच्चे माल पर टैक्स की दर 18 फीसदी रखी गई है.
जिन गाहकों ने पहले ही दवा खरीद कर घर में स्टॉक रख लिया वो तो खुश हैं बाकी जो रहे गए उन्हें अभी दिक्कत हो रही है. हालांकि अस्पतालों का दावा है कि जरूरी दवाइयों की कमी नहीं है. उम्मीद है कि जीएसटी लागू होने के बाद दवाइयों की किल्लत जल्द से जल्द खत्म हो जाएगी.