कोरोना वायरस को लेकर देशभर में लागू किए गए 21 दिनों का लॉकडाउन अपने आखिरी हफ्ते में प्रवेश कर चुका है. राज्य सरकारें इस बात पर सहमती जताती नजर आ रही है कि वे चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन में ढील देंगी.


लॉकडाउन के दौरान ज्यादातर उद्योगों का काम ठप्प हो गया है जरूरी वस्तुओं की सप्लाई पूरी तरह से प्रभावित हुई है. खपत के साथ-साथ उत्पादन का रेशियो पूरी तरह से गड़बड़ हो गया है, जो उत्पादकों से लेकर डिस्ट्रीब्यूटर्स के साथ-साथ रिटेलर्स के लिए सिरदर्दी का सबब बन चुका है.


ऐसे में उन सेक्टर्स पर ध्यान देना चाहिए जिन्हें लॉकडाउन के बाद वारस से रिवाइव करने की जरूरत है.


लॉकडाउन के बाद उत्पादन क्षेत्र में खास तौर पर फूड प्रोसेसिंग यूनिट में फिलहाल काम को बढ़ाने की जरूरत क्योंकि जरूरती खाद्य प्रशंसकरण उत्पादों से बाजारों को कुछ हिस्से को भरा जा सकता है जिनकी मांग रोजमर्रा के लिहाज से होती है.


कृषि क्षेत्र में रबी की भसल के खाद्यानों के अंतिम दौर चल रहा है. खेतों में गेहूं की फसले पक कर तैयार हैं ऐसे में किसानों की गतिविधियों पर फिर शुरू करने की जरूरत है जो लॉकडाउन के दौरान बिल्कुल ही ठप पड़ गई है.


जिलेवार होने वाले उत्पादन में खास तौर पर महिलाओं द्वारा अपने घरों में रह कर उत्पादित की जाने वाली वस्तुओं के उत्पादन में को बढ़ाया जा सकता है. इस तरह महामारी की जद में वित्तीय तौर पर भी हुई त्रासदी में वित्तीय तौर उम्मीद बधाई जा सकती है.


लॉकडाउन की वजह से कामगारों को वित्तीय स्तर पर हानि तो हुई है मगर नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस ऑफ़ इंडस्ट्रीज के वार्षिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में फिलहाल इन सेक्टर्स - बुनियादी धातु, गैर-धातु खनिज उत्पाद, मोटर वाहन और ट्रेलर, मशीनरी, रसायन, प्लास्टिक और रबर उत्पाद, धातु उत्पाद और बिजली के उपकरण के उत्पादन में उत्सुक्ता नहीं दिखाई गई है.


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