AIBEA: अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संगठन (एआईबीईए) ने आज कहा कि सरकार की विभिन्न नीतियों के विरोध में आयोजित बैंकों का दो दिवसीय हड़ताल का पहला दिन सफल रहा. सरकार की आर्थिक नीतियों और श्रम नीतियों को जनविरोधी बताते हुये बैंकिंग क्षेत्र सहित कई ट्रेड यूनियनों ने 28 और 29 मार्च को दो दिवसीय हड़ताल का आह्वान किया था. 


लगातार 4 दिन बंद रहने से लोगों को होगी परेशानी
बैंक में पहले ही माह के चौथे शनिवार के कारण 26 मार्च को कामकाज बंद था. इसके बाद 27 मार्च को रविवार का अवकाश था और अब सोमवार तथा मंगलवार को भी बैंकों का कामकाज ठप रहेगा, जिससे आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.
एआईबीईए के महासचिव सी एच वेंकटचलम ने बताया कि देश भर के विदेशी, क्षेत्रीय , सरकारी, निजी और सहकारी बैंकों के कर्मचारी इस हड़ताल में शामिल हुये हैं. उन्होंने बताया कि प्रारंभिक रिपोर्ट के मुताबिक हड़ताल का आयोजन सफल रहा है.


निजीकरण से नाखुश हैं बैंक के कर्मचारी
वेंकटचलम ने कहा कि कर्मचारी बैंकों के निजीकरण से नाखुश हैं, लाखों युवा कर्मचारी और अधिकारी बहुत ही कठिन चयन प्रक्रिया से गुजरकर सरकारी बैंकों को ज्वॉइन करते हैं. कई तो आईटी और अन्य निजी क्षेत्र की नौकरियों को छोड़कर सिर्फ जॉब सिक्योरिटी के लिये सरकारी बैंकों को ज्वॉइन करते हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे में बैंकों के निजीकरण का सरकार का फैसला उनके लिये बहुत निराशाजनक और एक झटके जैसा है. 


सी एच वेंकटचलम ने बताया कि हड़ताल मंगलवार को भी जारी रहेगी. इस बीच सरकारी बीमा कंपनियों में जारी हड़ताल से आम लोगों पर प्रभाव नहीं पड़ा है. बीमा कंपनियों के कर्मचारी हड़ताल पर हैं लेकिन अधिकारी बीमा प्रीमियम को स्वीकार कर रहे हैं ताकि ग्राहकों के इंश्योरेंस कवर में कोई ब्रेक न हो. 


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