Aviation Sector: देश में हवाई किराया तेजी से बढ़ता जा रहा है. पिछली 6 तिमाही में यह लगभग 40 फीसदी बढ़ चुका है. फिर भी राहत की बात यह है कि अभी यह दुनिया में सबसे कम है. भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते सिविल एविएशन मार्केट में से एक है. रोजाना करीब 4.5 लाख यात्री विभिन्न एयरलाइन से उड़ान भरते हैं. इसके बावजूद चिंताजनक बात यह है कि देश की कुल आबादी का एक बहुत ही छोटा हिस्सा अभी हवाई यात्रा कर रहा है. साथ ही कई विमान विभिन्न मुद्दों के चलते फिलहाल उड़ान नहीं भर पा रहे हैं. 


दो दशक में नाममात्र बढ़ा था किराया 


एविएशन कंसल्टेंसी फर्म सीएपीए इंडिया (CAPA India) के मुताबिक, देश के 20 टॉप रूट्स पर औसत किराया पिछले दो दशक में नाममात्र बढ़ा था. मगर, पिछली छह तिमाही में किराया लगभग 40 फीसदी बढ़ चुका है. इनमें मुंबई-दिल्ली, बेंगलुरु-दिल्ली, बेंगलुरु-मुंबई और दिल्ली-हैदराबाद रूट शामिल हैं. लगभग 150 विमानों की कमी के चलते किराए में यह उछाल आया है. किराए में यह उछाल वित्त वर्ष 2026 तक जारी रहने की आशंका है. कोरोनो महामारी के बाद किराए में तेज वृद्धि हुई है. फिर भी भारत में औसत किराया दुनिया में सबसे कम है.


कम एयर फेयर के चलते कई एयरलाइंस हुईं बंद 


इंटरग्लोब टेक्नोलॉजी कोटिएंट लिमिटेड के प्रेसिडेंट और सीईओ संजय कुमार ने कहा कि दिल्ली और मुंबई के बीच औसत किराया लगभग 5,000 रुपये होगा. यह ज्यादा लग सकता है. हालांकि, महंगाई के संदर्भ में यह ज्यादा नहीं है. उन्होंने बताया कि कीमत को लेकर भारतीय संवेदनशील होते हैं. कम एयर फेयर के दबाव के चलते कई एयरलाइंस को भारत से बोरिया बिस्तर समेटना पड़ा है. 


इन देशों में भारत से ज्यादा है हवाई किराया


एविएशन एनालिटिक्स फर्म सीरियम के डेटा के अनुसार, साल 2023 में भारत का औसत घरेलू हवाई किराया सबसे कम था. भारत में इकोनॉमी क्लास का औसत किराया 622 मील की दूरी के लिए 80 अमेरिकी डॉलर था जबकि ऑस्ट्रेलिया में 768 मील के लिए 167 अमेरिकी डॉलर और ब्राजील में 709 मील के लिए 114 अमेरिकी डॉलर था. अमेरिका में यही किराया 1,108 मील के लिए 180 अमेरिकी डॉलर, चीन में 860 मील के लिए 126 अमेरिकी डॉलर, यूरोप में 813 मील के लिए 106 अमेरिकी डॉलर और कनाडा में 928 मील के लिए 173 अमेरिकी डॉलर था.


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