कोरोना वायरस संक्रमण से बुरी तरह प्रभावित एयरलाइंस कंपनियों ने कर्मचारियों को काम से हटाना शुरू कर दिया है. सरकारी एयरलाइंस एयर इंडिया ने अपने कुछ स्थायी कर्मचारियों को बिना वेतन के छह से दो साल के लिए छुट्टी (LWP) पर भेजने का फैसला किया है. इसे पांच साल तक के लिए बढ़ाया जा सकता है. कंपनी ने मौजूदा कोरोनावायरस संकट में अपनी लागत घटाने का लिए यह फैसला किया है. यह फैसला ऐसे समय में किया गया है, जब इस सरकारी एयरलाइंस को बेचने की कोशिश हो रही है.


कर्मचारियों की कार्य क्षमता और स्वास्थ्य के आधार पर तैयार हो रही है  लिस्ट 


‘एयरलाइंस अपनी जरूरत, कर्मचारियों की कार्यक्षमता, कार्य प्रदर्शन और स्वास्थ्य के आधार पर एक लिस्ट बनाएगी.  इसी के आधार पर कर्मचारियों को बिना वेतन की छुट्टी पर भेजा जाएगा. एयरलाइंस के रीजनल हेड्स को कहा गया है कि वे 15 अगस्त तक ऐसे कर्मचारियों की लिस्ट भेजें, जिन्हें बिना वेतन के छुट्टी पर भेजा जाना है. एयर इंडिया में 11 हजार स्थायी कर्मचारी हैं. इनमें सब्सीडियरी कंपनियों के कर्मचारी भी शामिल हैं.


एयर इंडिया पर 58,000 करोड़ रुपये का कर्ज


एयर इंडिया पर  लगभग 58,000 करोड़ रुपए का कर्ज है. सरकार एयरलाइन को बेचने की कोशिश में लगी है. पिछले साल सरकार इसकी 76 फीसदी हिस्सेदारी बेचने में नाकाम रही थी. सरकार का कहना है कि एयर इंडिया का प्राइवेटाइजेशन नहीं हुआ तो इसे बंद करना पड़ सकता है.  वित्त वर्ष 2018-19 में एयर इंडिया को 8400 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था. रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के अनुमान के मुताबिक कोरोनावायरस संक्रमण की वजह से भारतीय एयरलाइन कंपनियों को 2020 से 2022 के बीच 1.3 लाख करोड़ रुपये के घाटे की आशंका है. कोरोनावायरस संक्रमण की वजह से हॉस्पेटिलिटी और एयरलाइंस इंडस्ट्री के कंपनियों को सबसे ज्यादा नुकसान  हुआ. इन सेक्टरों में बड़ी संख्या में कर्मचारियों की छंटनी हुई है.