Akshaya Tritiya: मोतिलाल ओसवाल ने कहा, सोने से ज्यादा रिटर्न देगी चांदी, 1 लाख रुपये/किलो तक जा सकती है कीमत
Akshaya Tritiya 2024: ब्रोकरेज हाउस ने कहा कि सोने और चांदी में आई तेजी के बाद कीमतों में नरमी से कोई इंकार नहीं किया जा सकता है.
Gold Silver Prices: सोने के मुकाबले चांदी में निवेश आने वाले दिनों में निवेशकों को ज्यादा रिटर्न दे सकता है. अक्षय तृतीया के मौके पर मोतिलाल ओसवाल ने एक रिपोर्ट जारी किया है जिसमें ब्रोकरेज हाउस ने कहा है कि चांदी सोने के आउटपरफॉर्म कर सकता है. ब्रोकरेज हाउस ने निवेशकों 1 लाख रुपये प्रति किलो के लक्ष्य के लिए चांदी और 75,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के लक्ष्य के लिए सोना खरीदने की सलाह दी है.
सोने से ज्यादा रिटर्न देगा चांदी!
मोतिलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (Motilal Oswal Financial Services Limited) ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि चांदी, आने वाले दिनों में सोने को आउटपरफॉर्म (Outperform) कर सकता है. डेटा के मुताबिक 2024 में सोने की कीमतों में 13 फीसदी और चांदी की कीमतों में 11 फीसदी का उछाल आया है. मोतिलाल ओसवाल ने कहा सोने और चांदी पर उसका रूख सकारात्मक है और ब्रोकरेज हाउस ने घरेलू मोर्चे पर निवेशकों को हर गिरावट पर 75,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के लक्ष्य के लिए सोना और 1 लाख रुपये प्रति किलो के लक्ष्य के लिए चांदी खरीदने की सलाह दी है. जबकि कॉमेक्स पर 2450 डॉलर प्रति औंस के लक्ष्य के लिए सोना और 34 डॉलर प्रति औंस के लिए चांदी खरीदने की सलाह दी है.
सोने-चांदी में नरमी से इंकार नहीं
मोतिलाल ओसवाल के मुताबिक 2024 की पहली तिमाही में सोने में निवेश पर दूसरे एसेट क्लास के मुकाबले ज्यादा रिटर्न मिला है और सोने की कीमतों में उछाल ने ब्रोकरेज हाउस के सालाना टारगेट को पहले ही हासिल कर लिया है जबकि चांदी के सालाना चारगेट का 85 फीसदी हासिल किया जा चुका है. ब्रोकरेज हाउस ने कहा कि सोने और चांदी में आई तेजी के बाद कीमतों में नरमी से कोई इंकार नहीं किया जा सकता है.
2024 सुरक्षित एसेट क्लास में निवेश का वर्ष
मोतिलाल ओसवाल के मुताबिक ये साल सोने और चांदी जैसे सुरक्षित एसेट्स में निवेश करने वाला है जिसमें शानदार तेजी देखने को मिली है. बुलियन मार्केट में जियो-पॉलिटिकल टेंशन जैसे रूस - यूक्रेन, इजरायल-हमास, इजरायल-ईरान और दूसरे भू-राजनीतिक तनाव के चलते सुरक्षित जगहों पर निवेश करने के चलते रिस्क प्रीमियम बढ़ सकता है. साथ फेडरल रिजर्व की मॉनिटरी पॉलिसी और फेड के ब्याज दरों में कटौती के इस साल आसार का भी बुलियन मार्केट पर असर है.
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