Alibaba Share Price: चीन में किसकी गिरफ्तारी से कंपनी के शेयर हुए धड़ाम, एक झटके में घट गई इतनी अरब वैल्यू
Alibaba Share Price: अलीबाबा के शेयरों में 9 फीसदी तक की भारी गिरावट आई. यह गिरावट हांग झोउ में स्थित कंपनी के मुख्यालय से एक मा (Ma) नाम के व्यक्ति के हिरासत में लिए जाने की खबरों के बाद आई है.
Alibaba Share Price: चीन की दिग्गज ई-कॉमर्स क्षेत्र और इंटरनेट से जुड़ी कंपनी अलीबाबा ( Alibaba) के शेयरों में शुक्रवार को 9 फीसदी तक की भारी गिरावट आई. यह गिरावट हांग झोउ में स्थित कंपनी के मुख्यालय से एक मा (Ma) नाम के व्यक्ति के हिरासत में लिए जाने की खबरों के बाद आई है.
चीन के सरकारी टीवी चैनल CCTV की एक रिपोर्ट के मुताबिक 'मा' नाम के व्यक्ति को 'चीनी सत्ता के खिलाफ अलगाव और विरोध को बढ़ावा देने के लिए चीन के विरोधी विदेशी ताकतों के साथ मिलीभगत' के संदेह में हिरासत में लिया गया था.
खबर सामने आने के बाद इसे कई और मीडिया हाउसों ने लगातार चलाया और यह काफी तेजी से वायरल हुआ. व्यक्ति के बारे में अधिक जानकारी नहीं होने के चलते लोगों ने 'मा' नाम के इस शख्स को गलती से अलीबाबा का फाउंडर 'जैक मा (Jack Ma)' समझ लिया. इस वजह से हांगकांग में अलीबाबा के शेयरों में घबराहट में बिकवाली देखी गई.
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इतनी घट गई मार्केट वैल्यू
रिपोर्ट के मुताबिक, अलीबाबा की मार्केट वैल्यू कुछ ही देर में 26 अरब डॉलर तक घट गई. हालांकि बाद में कंपनी की तरफ से स्पष्टीकरण आने के बाद इसके शेयरों में कुछ सुधार देखा गया. चीन के एक और सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स के पूर्व एडिटर-इन-चीफ ने कहा कि संदिग्ध व्यक्ति को लेकर आई पहली रिपोर्ट भ्रामक थी.
सरकार से नाराजगी की वजह
जैक मा की फर्म एंट ग्रुप (Ant Group) साल 2020 में दुनिया का अब तक का सबसे बड़ा IPO लाई थी. हालांकि लिस्टिंग से महज दो दिन पहले चीनी अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद जैक मा ने इस आईपीओ को वापस ले लिया था. इसके बाद से जैक मा सार्वजनिक तौर पर कम ही दिखाई देते हैं.
इस दौरान उनके और चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के बीच अनबन की खबरें भी सामने आती रही हैं. ये भी कहा जाता है कि जैक मा ने आईपीओ से पहले साल 2020 में एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने चीन के रेगुलेटर्स की आलोचना करते हुए कहा था कि उनके नियमों की वजह से इनोवेशन पर बाधा आ रही है. चीन सरकार उनके इस बयान से काफी नाराज हुई थी और तभी से वो सार्वजिनक तौर कम दिखने लगे हैं.
चीन की सरकार ने पिछले एक साल में अपने देश की टेक कंपनियों पर काफी सख्ती बरती है. डाटा प्राइवेसी और एकाधिकार-विरोधी नियमों के उल्लंघन को लेकर ये कंपनी चाइनीज रेगुलेटर्स की जांच का भी सामना कर रही हैं.