एक्सप्लोरर
Advertisement
क्या है जीएसटी? क्या होंगे फायदे या नुकसान, जानिए GST का A टू Z
नई दिल्ली: आखिरकार सालों का लंबा इंतजार आज खत्म हुआ है. आज राज्यसभा में जीएसटी बिल पास हो गया है. संसद के मानसून सत्र में जीएसटी पास कराने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील रंग लाई है और सदन में 197 वोटों के साथ जीएसटी बिल को पास कर दिया गया है. जीएसटी के लिए संविधान संशोधन बिल के खिलाफ एक भी वोट नहीं पड़ा यानी पूर्ण बहुमत से जीएसटी बिल को पास कर दिया गया है. राज्यसभा में कांग्रेस का समर्थन मिलने के बाद जीएसटी यानी वस्तु और सेवा कर लागू करने के लिए जरूरी संविधान संशोधन विधेयक पर संसद की मुहर लग चुकी है. यह अब तक सबसे कड़ा आर्थिक सुधार है, क्योंकि इससे पूरे देश में एक समान कर लगेगा.
गुड्स एंड सर्विस टैक्स यानी जीएसटी के लिए जरुरी संविधान संशोधन विधेयक पर आज राज्यसभा में मुहर लग सकती है. राज्यसभा से ये बिल पास हो जाने पर केंद्र सरकार लोकसभा की सहमति जुटाएगी. हालांकि इसके बाद कई और विधायी प्रक्रिया पूरी करनी होंगी और नियम-कानून को अंतिम रुप देना होगा. अगर सब ठीक रहा तो उम्मीद है कि अगले साल 1 अप्रैल से जीएसटी लागू हो सकता है.
बिल को लेकर वित्त मंत्री अरूण जेटली काफी उत्साहित हैं. उन्हें लगता है कि नई कर व्यवस्था लागू होने से देश की अर्थव्यवस्था को काफी फायदा होगा. विभिन्न सामान और सेवाओं के लिए देश को एक बाजार बनाने वाले जीएसटी में कई करें मिला दी जाएंगी. इनकी जगह सिर्फ तीन तरह के टैक्स होंगे.
सेट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स यानी सीजीएसटी
स्टेट गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स यानी एसजीएसटी
इंटिग्रेटेड गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स यानी आईजीएसटी
सीजीएसटी में केंद्र सरकार की ओर से लगाए जाने वाले सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स, एडिशनल कस्टम ड्यूटी, स्पेशल एडिशनल कस्टम ड्यूटी, सेंट्रल सेल्स टैक्स के साथ कई तरह के सरचार्ज और सेस मिल जाएंगे.
जीएसटी का अब तक का सफर, जीएसटी से जुड़े सारे सवालों के जवाब यहां
एसजीएसटी में राज्य सरकारों की ओर से लगने वाले वैल्यू एडेड टैक्स यानी वैट, ऑक्ट्रॉय व इंट्री टैक्स, परचेज टैक्स, लग्जरी टैक्स, लॉटरी पर लगने वाले टैक्स और तमाम सेस और सरचार्ज मिल जाएंगे. वहीं दो राज्यों के बीच होने वाले कारोबार पर आईजीएसटी लगेगा.
जीएसटी से क्या-क्या होगा बाहर
शराब पूरी तरह से जीएसटी से बाहर रहेगी, यानी इस पर टैक्स लगाने के लिए राज्य सरकारें स्वतंत्र होंगी. पेट्रोल, डीजल, एलपीजी और रसोई गैस को भी फिलहाल जीएसटी से बाहर ऱखने का फैसला किया गया है. मतलब केंद्र और राज्य सरकारें दोनों मिलकर उस पर टैक्स लगाती रहेगी.
अब जीएसटी बिल हकीकत बनने जा रहा है, आज राज्यसभा में पेश होगा
राजनीतिक सहमति बनाने के लिए केंद्र ने जहां राज्यों को जीएसटी लागू होने की सूरत में किसी भी तरह के नुकसान की पूरी-पूरी भरपाई पांच साल करने का प्रस्ताव दिया है, वहीं एक फीसदी के अतिरिक्त टैक्स का प्रस्ताव भी वापस ले लिया है.
जीएसटी की दर फिलहाल तय नहीं
इसके साथ ही जीएसटी पर विवादों को सुलझाने के लिए बने काउंसिल में राज्यों की आवाज बुलंद होगी. फिलहाल, अभी ये तय नहीं कि जीएसटी की दर क्या होगी. दर तय करने का जिम्मा वित्त मंत्री की अगुवाई वाले जीएसटी काउंसिल पर होगी, जिसमें विभिन्न राज्यों के वित्त मंत्री सदस्य होंगे.
GST की राह में होंगे ये रोड़े
राज्यसभा से संविधान संशोधन विधेयक पारित हो जाने के बाद एक लंबी चौड़ी प्रक्रिया शुरु होगी. इसमें तीन कानून बनने के साथ-साथ जीएसटी काउंसिल का गठन होना शामिल है.
अगर राज्यसभा ने मूल विधेयक में फेरबदल को मंजूरी दे दी तो उस पर लोकसभा की भी मंजूरी जुटानी होगी. फिर संविधान संशोधन विधेयक को कम से कम 15 राज्यों के विधानसभाओं से अनुमोदित कराना होगा. ये हो जाने के बाद, राष्ट्रपति संविधान संशोधन विधेयक पर हस्ताक्षर करेंगे जिसके बाद वो कानून बन जाएगा.
काउंसिल तय करेगी जीएसटी की दर
संविधान में फेरबदल के बाद पहला काम वित्त मंत्री की अगुवाई में जीएसटी काउंसिल का गठन होना होगा. ये काउंसिल जीएसटी की दर तय करेगी. साथ ही नई कर व्यवस्था में विवादों का निपटारा करेगी.
उधऱ, केंद्र सरकार सीजीएसटी यानी सेंट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स और आईजीएसटी यानी इंटिग्रेटेड गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स के लिए दो कानून बनाएगी. वहीं राज्य सरकारें एसजीएसटी यानी स्टेट गुड्स एंड सर्विजेस टैक्स के लिए अपने-अपने यहां कानून बनाएंगी. इन सब के बाद जीएसटी के लिए नियमों को अंतिम रूप दिया जाएगा.
वैसे तो केंद्र ने अगले साल पहली अप्रैल से नई व्यवस्था लागू करने का इरादा जताया है. लेकिन इसे पूरे कारोबारी साल के दौरान कभी भी लागू किया जा सकता है.
क्या सस्ता होगा और क्या महंगा
जीएसटी लागू होने के बाद कई सवाल हैं. पहला सवाल तो ये हैं कि जीएसटी लागू होने के बाद क्या सस्ता होगा और क्या महंगा होगा.
मोबाइल के बिल से लेकर रेस्त्रा में खाना-पीना. क्रेडिट कार्ड पर खरीदारी से लेकर हवाई सफर. आज की तारीख मे गिनी चुनी सेवाओं को छोड़कर सभी पर सर्विस टैक्स लगता है. भले ही अभी ये तय नहीं हुआ हो किन सामान के लिए जीएसटी की दर क्या होगी, लेकिन एक बात तो तय है कि सर्विस टैक्स बढ़ेगा. इस बारे में पहला संकेत मुख्य आर्थिक सलाहकार अऱविंद सुब्रमण्यिन की रिपोर्ट से ही मिल गए थे.
क्या है सुब्रमण्यिन की रिपोर्ट में
सुब्रमण्यिन की रिपोर्ट में सामान और सेवाओं के लिए स्टैंडर्ड रेट 17 से 18 फीसदी रखने का सुझाव दिया गया. मतलब ये है कि अगर समिति की सिफारिशें पूरी तरह से मान ली जाए तो सर्विस टैक्स की दर 17 से 18 फीसदी के बीच हो सकती है. जबकि अभी दो तरह के सेस को मिलाकर सर्विस टैक्स की दर 15 फीसदी है. यानी सर्विस टैक्स का बोझ बढ़ सकता है.
वैसे ध्यान रहे कि मोबाइल बिल पर जहां पूरे सर्विस चार्ज पर सर्विस टैक्स लगता है, वहीं रेस्त्रा में खाने के बिल के 40 फीसदी हिस्से पर ही सर्विस टैक्स लगता है.
दूसरी ओर बाजार में अभी आप जो सामान खऱीदते हैं उसके लिए आपको टैक्स पर टैक्स देना पड़ता है. एक की ही सामान पर कई बार टैक्स देना पड़ता है और वो भी पहले से लगाए टैक्स के ऊपर. आप इसे यूं समझ सकते है.
कोई सामान मसलन कार जब फैक्ट्री से तैयार होकर निकलती है तो उस पर केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी लगाती है.
उदाहरण के तौर पर - मान लीजिए कार की लागत है दो लाख रुपए और सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी की दर 10 फीसदी है तो फैक्ट्री से निकलते ही कार की कीमत हो जाएगी दो लाख 20 हजार रुपए. 1 फीसदी अगर इंफ्रास्ट्रक्चर सेस जोड़ दे तो कीमत हो जाएगी दो लाख 22 हजार रुपए.
अब यही कार किसी दूसरे राज्य में जाती है तो चुंगी और सेट्रल सेल्स टैक्स जोड़ने के बाद कीमत हो जाती है दो लाख 30 हजार रुपए. अब जिस राज्य में कार बेची जानी है, वो राज्य सरकार उस पर वैट यानी वैल्यू एडेड टैक्स लगाएगी, जो साढ़े 12 फीसदी हो सकती है. वैट 2 लाख 30 हजार रुपये पर लगेगा यानी कीमत हो जाएगी दो लाख 58 हजार 750 रुपए.
इस पर रोड टैक्स भी दिया जाना है जिसके बाद ही ग्राहक को वो गाड़ी मिल सकेगी यानी दो लाख की गाड़ी कीमत ग्राहक तक पहुंचते-पहुंचेत 2 लाख 65 हजार रुपए तक हो सकती है.
अभी तक ग्राहक को ये पता नहीं होता कि वो कितने तरह का टैक्स दे रहा है और कितना टैक्स पर टैक्स दे रहा है. लेकिन जीएसटी की नई व्यवस्था में रोड टैक्स के अलावा ग्राहक को सिर्फ एक टैक्स देना होगा. इस टैक्स का आधा हिस्सा केंद्र और आधा राज्य को जाएगा.
जीएसटी की दर यदि 20 फीसदी रखी जाती है तो कीमत हो जाएगी दो लाख 40 हजार रुपए अब इसमें रोड टैक्स जोड़ दिया जाए तो ग्राहक को ज्यादा से ज्यादा ढ़ाई लाख रुपए कीमत देनी होगी. यानी सीधे-सीधे 15 हजार रुपये का फायदा
हो सकता है कि आपका फायदा और बढ़ जाए, क्योंकि टैक्स की नई व्यवस्था में कंपनियों को कच्चे माल और कल पूर्जों पर टैक्स क्रेडिट का भी प्रावधान है. इससे कच्चा माल और कल पूर्जें सस्ते हो जाएगा, जिसका फायदा कंपनियां ग्राहकों तक पहुंचा सकती है.
हालांकि किस सामान पर जीएसटी की दर क्या होगी, ये तय करने का जिम्मा जीएसटी काउंसिल पर छोड़ दिया गया है. लेकिन सुब्रमण्यिन समिति ने चार तरह की दरों का सुझाव दिया है.
सुब्रमण्यिन समिति के चार सुझाव
सोना समेत बहुमूल्य धातुओं पर जीएसटी की दर दो से छह फीसदी होनी चाहिए. एक निचली दर 12 फीसदी होनी चाहिए जो मुख्य रुप से आम जरुरत की चीजों के लिए होगा. ज्यादातर सामान के लिए 17-18 फीसदी के स्टैंडर्ड रेट का सुझाव दिया गया है. वहीं तंबाकू और विलासिता जैसे डीमेरिट गुड्स के लिए 40 फीसदी का सुझाव है.
जीएसटी लागू होने के बाद महंगाई में आएगी कमी !
वैसे सभी जानकार इस बात पर सहमत है कि जीएसटी लागू होने के बाद कुछ समय तक खुदरा महंगाई दर में बढ़ोतरी हो सकती है. वैसे भी मलयेशिया और आस्ट्रेलिया में जीएसटी लागू होने के दो साल तक महंगाई में बढ़ोतरी देखी गई. लेकिन राहत की बात ये रही कि जीएसटी की शुरुआती दिक्कतें खत्म होने के बाद महंगाई में भी कमी आई. कम से कम यहां भी ये उम्मीद की जा सकती है.
जीडीपी में होगी बढ़ोत्तरी !
जीएसटी लागू होने के बाद जीडीपी में दो फीसदी तक की बढ़ोत्तरी की उम्मीद जताई जा रही है. दूसरी ओर आम लोगों के साथ-साथ उद्योग और कारोबार के लिए भी टैक्स व्यवस्था बेहद सरल हो जाएगी.
पड़ोस के किराने की दुकान वाले और बेहद छोटे कारोबारियों को जीएसटी को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि वैसे तो अभी ये तय नहीं है कि कितना सालाना कारोबार करने वालों को जीएसटी के लिए रजिस्ट्रेशन कराना होगा. लेकिन उम्मीद की जा रही है कि कम से कम 10 लाख रुपये से ज्यादा कारोबार करने वाले ही नई व्यवस्था के दायरे में लाया जाएगा. जानकारों को भी लगता है कि नई व्यवस्था से दुकानदारों को भयभीत होने की जरूरत नहीं है.
क्या उद्योग को मिलेगा फायदा ?
उम्मीद है कि नयी व्यवस्था में 10 लाख रुपये से लेकर 1.5 करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वालों पर राज्य सरकार की व्यवस्था चलेगी. जबकि 1.5 करोड़ रुपये से ज्यादा के कारोबार करने वालों पर केंद्र औऱ राज्य सरकारें, दोनों की व्यवस्था चलेगी.
जानकारों का कहना है कि नई व्यवस्था से पूरा देश एक बाजार बन जाएगा. ये इज ऑफ डूइंग बिजनेस की तरफ एक अहम कदम है जिसका फायदा पूरे उद्योग को मिलेगा.
वैसे उद्योग जगत से जुड़े लोग नई व्यवस्था से उत्साहित तो हैं, लेकिन उन्हें नई टैक्स व्यवस्था की बारीकियों का इंतजार है. क्योंकि उनका मानना है कि असली बात तो बारीकियों में ही छिपी होती है.
हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें ABP News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ लाइव पर पढ़ें बॉलीवुड, लाइफस्टाइल, बिजनेस और खेल जगत, से जुड़ी ख़बरें
और देखें
Advertisement
IPL Auction 2025
Advertisement
ट्रेंडिंग न्यूज
Advertisement
टॉप हेडलाइंस
चुनाव 2024
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड
आईपीएल
इंडिया
Advertisement
राजेश शांडिल्यसंपादक, विश्व संवाद केन्द्र हरियाणा
Opinion